आरोग्य सेतु ऐप ​​क्यों जरूरी और कैसे करेगा कोरोना ट्रैकिंग

Aarogya Setu App

आरोग्य सेतु एप (Aarogya Setu App)  कुल 11 भाषाओं में उपलब्ध है। इसे एप स्टोर के जरिये डाउनलोड किया जा सकता है। यह एंड्राइड और आईओएस दोनों को सपोर्ट करता है। इस एप की मदद से यूजर्स को अपने आसपास कोरोना संक्रमित की जानकारी मिलती है। इस एप में दिया गया सिस्टम आपको यह भी बताता है कि आप कोरोना संक्रमित हैं या नहीं। इस ऐप को 2 अप्रैल को लॉन्च किया गया और अब तक यह करीब 5 करोड़ डाउनलोड हुए हैं।



विश्व बैंक की 12 अप्रैल को जारी एक रिपोर्ट कहती है कि आरोग्य सेतु जैसे अभिनव समाधान संक्रामक रोगों को ट्रैक करने में मदद कर सकते हैं, वहीं ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय भी डिजिटल संपर्क-निगरानी को प्रभावी मानता है, बशर्ते कि इस तकनीक को व्यापक रूप से अपनाया गया हो।

आरोग्य सेतु ऐप कहां से डाउनलोड करें
आरोग्य सेतु एप एंड्रॉयड और आईओएस दोनों पर उपलब्ध है. इसे एप स्टोर के जरिये डाउनलोड किया जा सकता है. सुनिश्चित करें कि आरोग्‍य (Aarogya) और सेतु (Setu) के बीच कोई स्थान नहीं हो या फिर एप खोजने के लिए सर्च बार में 'AarogyaSetu' टाइप करें. हमने नीचे लिंक भी दिए हैं:

एंड्रॉयड : https://play.google.com/store/apps/details?id=nic.goi.aarogyasetu
आईओएस : https://apps.apple.com/in/app/aarogyasetu/id1505825357

आरोग्य सेतु को इस आधार पर डिजाइन किया गया है कि अगर दो मोबाइल फोन एक-दूसरे के ब्लूटूथ रेंज में हैं, तो उनके उपयोगकर्ता एक-दूसरे तक नॉवेल कोरोना वायरस का संक्रमण पहुंचाने के लिए पर्याप्त निकट है।


आरोग्य सेतु क्या हरेक​ को डाउनलोड करना अनिवार्य है?
कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए दुनिया के तमाम देशों की तरह भारत ने भी लॉकडाउन का तरीक़ा अपनाया है। देश में बीते 25 मार्च से ही लॉकडाउन है। लेकिन सरकार सोशल डिस्टेंसिंग के साथ-साथ संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए तकनीक का भी सहारा ले रही है। इसी को ध्यान में रखकर भारत सरकार ने दो अप्रैल को आरोग्य सेतु ऐप लॉन्च किया था। जिसकी मदद से आसपास के कोविड 19 मरीज़ के बारे में जानकारी हासिल की जा सकती है।
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पीआईबी की वेबसाइट के अनुसार, ये ऐप कोविड-19 संक्रमण के प्रसार के जोख़िम का आंकलन करने और आवश्यक होने पर आइसोलेशन सुनिश्चित करने में मदद करेगा। आरोग्य सेतु ऐप को केंद्र सरकार के अधीन काम करने वाले कर्मचारियों के लिए अनिवार्य किया गया है।

भारत सरकार ने 29 अप्रैल को एक ज्ञापन जारी किया था। जिसका शीर्षक था, "कोरोना वायरस संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए (चेन ब्रेक) आरोग्य सेतु ऐप का प्रभावी इस्तेमाल।" इसके तहत सभी सरकारी अधिकारियों की सुरक्षा को और प्रभावी बनाने के लिए निम्नलिखित निर्देशों का सख़्ती से पालन किया जाना चाहिए।

– केंद्र सरकार के अधीन काम करने वाले सभी अधिकारियों, कर्मचारियों (आउटसोर्स कर्मचारियों सहित) को अपने मोबाइल पर हाथों हाथ 'आरोग्यसेतु' ऐप डाउनलोड करना चाहिए।
– ऑफ़िस में काम करना शुरू करने से पहले सभी को 'आरोग्यसेतु' ऐप पर अपनी स्थिति की समीक्षा करनी चाहिए। जब एप्लिकेशन 'सुरक्षित' या 'कम जोख़िम' की स्थिति दिखाए, तभी आना-जाना शुरू करें।
– अधिकारियों/कर्मचारियों को सलाह दी जाती है कि यदि एप्लिकेशन पर 'मध्यम' या 'उच्च जोख़िम' दिखाए तो उन्हें ऑफ़िस नहीं आना है और उस वक़्त तक ऑफ़िस नहीं आना है जब तक ऐप पर स्थिति 'सुरक्षित' या 'कम जोख़िम' नहीं हो जाती।
– इस ज्ञापन में स्पष्ट लिखा है कि आरोग्य सेतु ऐप केंद्र सरकार के अधीन काम करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए अनिवार्य है। लेकिन जो केंद्र सरकार के अधीन काम नहीं करते हैं क्या यह उनके लिए भी अनिवार्य है?



वही इसे अब प्राईवेट सोसाइटी व आॅफिस में भी डाउनलोड करने को कहा जा रहा है। इसे बिना उन्हें वहां प्रवेश नहीं दिया जायेगा। इस तरह इसकी अनिवार्यता बढ़ती जा रही है। लेकिन कुछ लोग इसे निजता का हनन बताकर डाउनलोड भी नहीं कर रहे है। क्योंकि यह सरकार के द्वारा आरोग्य सेतु का हर फोन में डाउनलोड करना एक एडवाइज़री है न कि कोई क़ानून। इसे मानव सुरक्षा के आधार पर डाउनलोड करने को कहा जा रहा है।

आरोग्य सेतु ऐप 2 अप्रैल में लॉन्च होने के बाद इसके यूज़र्स को 12 अप्रैल को प्राइवेसी पॉलिसी में बदलाव का नोटिफ़िकेशन मिला था। मतलब यह कि इसमें कुछ नए फीचर भी जुड़ गए।

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ऐप की गोपनीयता नीति में कहा गया है कि जानकारी सिर्फ ''रिपोर्ट तैयार करने, हीट मैप्स और अन्य सांख्यिकीय गणना के उद्देश्य से'' ली जाती है और उसे अनाम और संकलित डेटासेट में क्लाउड सर्वर पर अपलोड किया जाता है। आलोचकों का तर्क है कि यह स्पष्ट नहीं है कि सरकार का 'अनाम' से क्या आशय है। संपर्क पर नजर रखने वाले ऐप पर एक विस्तृत रिपोर्ट में, नई दिल्ली स्थित एनजीओ इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन (आइएफएफ) ने डेटा संग्रह और भंडारण, उद्देश्य सीमा और पारदर्शिता के संदर्भ में ऐप की कमियों को चिन्हित किया है।

ऐप की गोपनीयता नीति में कहा गया है कि सूचनाओं को फोन से 30 दिनों और सर्वर से 45 दिनों के बाद हटा दिया जाएगा, उपयोगकर्ता को अगर उस अवधि में जांच में कोविड संक्रमित नहीं पाया जाता है। जिस उपयोगकर्ता में संक्रमण की पुष्टि हुई है उससे जुड़ी सूचनाओं को उसके स्वस्थ घोषित होने के 60 दिनों के बाद हटा दिया जाएगा। लेकिन ऐप के लिए रजिस्ट्रेशन करते समय एकत्र व्यक्तिगत डेटा को तब तक बनाए रखा जाएगा जब तक कि खाता मौजूद है और उसके बाद भी, जब तक कि किसी लागू कानून के तहत यह आवश्यक हो। इस नीति में कहीं भी, इसके लिए कानूनी आवश्यकता को परिभाषित नहीं किया गया है।

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हालांकि ऐप के ज़रिए कोरोना पर लगाम लगाने की और ट्रेसिंग के लिए तकनीकी मदद लेने वाला भारत इकलौता देश नहीं है। इसराइल की सरकार ने तो कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग को रोकने के लिए रातोंरात एक अस्थायी क़ानून ही बना दिया है। इसराइल के अलावा चीन, दक्षिण कोरिया, अमरीका, सिंगापुर जैसे देशों में भी सरकारें तकनीकी मदद ले रही हैं।

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