क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट (Clinical Psychology) को नैदानिक मनोविज्ञान कहा जाता है। पूरी दुनिया में कोरोना वायरस महामारी के कारण लोगों में मानसिक तनाव सबसे ज्यादा देखा गया। जिसके कारण पैदा हुए जटिल हालात, अपनों से दूरी और मानसिक पीड़ा पैदा हुई है। ब्रिटेन स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ शेफील्ड के वैज्ञानिकों ने शोध में पाया कि बीते साल अप्रैल में कोरोनोवायरस लॉकडाउन के दौरान अवसाद और चिंता की समस्याओं की शिकायत करने वाले लोगों का अनुपात 52 प्रतिशत तक पहुंच गया। कोविड से पहले यह औसत अनुपात 17 फीसदी था। ऐसे में साइकोलॉजिस्ट (Psychology) की मांग बढ़ रही है। क्योंकि क्लिनिकल साइकॉलजिस्ट लोगों को अपने विचार और व्यवहार में सकारात्मक बदलाव लाने में मदद करता है। इसलिए कॅरिअर के मामले में भी क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट में अवसरों की कमी नहीं रहेगी।
क्या है क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट ?
क्लिनिकल साइकोलॉजी ऐसी विधा है, जिसके जरिए तनावगरस्त लोगों के मनोविज्ञान को समझकर उनके उपचार के उपाय सुझाए जाते हैं। साइकोलॉजिस्ट व्यक्ति के व्यवहार, वैज्ञानिक पहलुओं का आकलन करते हैं। शोध के आधार पर सुझावों से समस्याओं को निपटाते हैं। इसमें काउंसलिंग से लेकर उपचार तक के कार्य शामिल होते हैं।
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क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट के लिए योग्यता
क्लिनिकल साइकोलॉजी में कॅरिअर बनाने के लिए 50 प्रतिशत अंकों के साथ स्नातक होना जरूरी है। इसके बाद परास्नातक कोर्स में दाखिला मिलेगा। कुछ संस्थान बारहवीं के बाद स्नातक स्तर पर कोर्स में दाखिला भी देते हैं। इससे संबंधित पीजी डिप्लोमा, मास्टर्स, एमफिल, पीएचडी तक के पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं। सफल साइकोलॉजिस्ट बनने के लिए संवेदनशील, धैर्यवान, मानसिक रूप से मजबूत होना जरूरी है। पीड़ितों को मानसिक मजबूती और भावनात्मक सहारा देने की योग्यता होनी चाहिए।
क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट क्षेत्र में अवसर
क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट की जरूरत अस्पतालों के अलावा, कारपोरेट क्षेत्र, स्कूलों, काउंसलिंग सेंटर आदि जगहों पर भी होती है। इस क्षेत्र में कमाई के काफी अवसर हैं। शुरू में किसी विशेषज्ञ के साथ जुड़ कर काम कर सकते हैं। शुरू में 20 से 25 हजार रुपए प्रति माह आराम से मिल जाएंगे। इसके बाद अनुभव मिलने पर वेतन में इजाफा होता रहेगा। अपना सेंटर खोलने में आमदनी की कोई सीमा नहीं है।
क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट के लिए योग्यता
क्लिनिकल साइकोलॉजी में कॅरिअर बनाने के लिए 50 प्रतिशत अंकों के साथ स्नातक होना जरूरी है। इसके बाद परास्नातक कोर्स में दाखिला मिलेगा। कुछ संस्थान बारहवीं के बाद स्नातक स्तर पर कोर्स में दाखिला भी देते हैं। इससे संबंधित पीजी डिप्लोमा, मास्टर्स, एमफिल, पीएचडी तक के पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं। सफल साइकोलॉजिस्ट बनने के लिए संवेदनशील, धैर्यवान, मानसिक रूप से मजबूत होना जरूरी है। पीड़ितों को मानसिक मजबूती और भावनात्मक सहारा देने की योग्यता होनी चाहिए।
क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट क्षेत्र में अवसर
क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट की जरूरत अस्पतालों के अलावा, कारपोरेट क्षेत्र, स्कूलों, काउंसलिंग सेंटर आदि जगहों पर भी होती है। इस क्षेत्र में कमाई के काफी अवसर हैं। शुरू में किसी विशेषज्ञ के साथ जुड़ कर काम कर सकते हैं। शुरू में 20 से 25 हजार रुपए प्रति माह आराम से मिल जाएंगे। इसके बाद अनुभव मिलने पर वेतन में इजाफा होता रहेगा। अपना सेंटर खोलने में आमदनी की कोई सीमा नहीं है।
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