बायोइंफॉर्मेटिक्स (Bioinformativ) को कंप्यूटेशनल बायोलॉजी
(Computational Biology) भी कहा जाता है। इसमें कंप्यूटिंग तकनीक का उपयोग करके
बायोलॉजिकल डाटा एकत्र करना, संरक्षित करना और उसका विश्लेषण करना होता है। 3डी
तकनीक और कंप्यूटेशनल केमिस्ट्री के इस्तेमाल के जरिए ड्रग डिजाइन करना, जीवों के
बीच जेनेटिक डेटा की तुलना करना आदि भी करना होता है।
क्या है बायोइन्फॉर्मेटिक्स? What is Bioinformatics
बायोइन्फॉर्मेटिक्स कंप्यूटर टेक्नोलॉजी का एक एप्लीकेशन है। यह इन्फोर्मेशन
टेक्नोलॉजी और बायोटेक्नोलॉजी से मिलकर बना है। यह एक स्पेशलाइज्ड एरिया है। इसका
इस्तेमाल खासतौर पर मॉलिक्यूलर बायोलॉजी में होता है।
बायोइंफॉर्मेटिक्स के लिए योग्यता
बायोइंफोमेटिक्स में दोनों ही टाइप के कोर्स होते हैं। बीएससी और एमएससी।
बायोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी, जेनेटिक्स, केमिस्ट्री, फार्मेसी, फिजिक्स, मैथ्स,
इंजीनियरिंग के कोर्स करने वाले छात्र बायोइंफॉर्मेटिक्स के क्षेत्र में करिअर बना
सकते हैं। पीसीएम और पीसीबी दोनों ही स्ट्रीम से बाहरवीं पास छात्र इसके बैचलर
डिग्री कोर्स में दाखिला ले सकते हैं। हालांकि इसके अधिकतर कोर्स पोस्ट ग्रेजुएशन
स्तर पर होते हैं। संबंधित स्ट्रीम में स्नातक डिग्री वाले एमएससी के बाद रिसर्च और
इंडस्ट्री में जॉब मिलती है। रिसर्च ऑर्गनाइजेशन में काम करने के मौके मिलते हैं।
रिसर्च आधारित कोर्स होने के कारण छात्रों के पास पीएचडी का विकल्प होता है।
बायोइंफॉर्मेटिक्स क्षेत्र के पद
इस क्षेत्र के डिग्रीधारियों के लिए विभिन्न कंपनियों में बतौर क्लीनिकल
फार्माकोलॉजिस्ट, इंफॉर्मेटिक्स डेवलपर, कंप्यूटेशनल केमिस्ट, बायोएनालिटिक्स आदि
पदों पर सेवा देने का मौका मिलता है। पेशेवरों के लिए नौकरियों के सबसे ज्यादा मौके
रिसर्च एंड एनालिसिस के क्षेत्र में होते हैं।
बायोइंफॉर्मेटिक्स क्षेत्र का वेतनमान
वेतन : योग्यता और संस्थान के अनुसार वेतन अलग हो सकता है। शुरुआत में 20-25
हजार रुपए से हो सकती है। अनुभव एवं योग्यता के आधार पर बाद में बड़ी रिसर्च
कंपनियों में आकर्षक पैकेज मिल जाते हैं।
बायोइन्फॉर्मेटिक्स में रोजगार के अवसर
इस फील्ड में पढ़ाई करने के बाद आप स्किवेंस एसेंबलिंग, सिक्वेंस एनालिसिस,
क्लीनिकल फार्माकोलॉजिस्ट, कंप्यूटेशनल केमिस्ट्री में करियर बना सकते हैं। इस
क्षेत्र में आप डॉ. रेड्डी लेबोरेट्रीज, लैंडस्काई सोल्यूशंस, इनजेनोविस जैसी
कंपनियों में काम कर सकते हैं। कई निजी मेडिकल और इंस्टीट्यूशंस भी इस क्षेत्र से
जुड़े प्रोफेशनल्स को हायर करते हैं। ये रिसर्च करके दवाओं की क्वालिटी सुधारने के
लिए भी काम करते हैं।
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