अलेक्जेंडर ग्राहम बेल (Alexander Graham Bell) ने अपने टेलीफोन आविष्कार का पेटेंट 7 मार्च 1876 में कराया था। 1874
में अलेक्जेंडर ग्राहम बेल एक इलेक्ट्रिशियन थॉमस वॉटसन के साथ काम करते थे। उसके बाद दोनों ने
मिलकर हार्मोनिक टेलीग्राफ और 'वॉइस ट्रांसमीटर' पर काम करना शुरू किया। धीरे-धीरे
बेल और वॉटसन टेलीग्राफ के तार के माध्यम से आवाज को 13 किलोमीटर की दूरी तक
संप्रेषित करने में सफल रहे। टेलीफोन का प्रदर्शन 10 मई, 1876 को बोस्टन में
'अमेरिकन एकेडमी ऑफ साइंसेस' के विशेषज्ञों के सामने किया गया। शुरुआत में टेलीफोन
कॉल आने पर घंटी नहीं बजती थी। कॉल पाने वाले का ध्यान आकर्षित करने के लिए टेलीफोन
में 'थंपर' नामक यक्ति लगी होती थी। इसे वॉटसन ने पहले 'बजर' में बदला, जिसका स्थान
अंततः घंटी ने ले लिया।
उस समय टेलीग्राफ कंपनियां टेलीफोन को व्यावसायिक रूप से बाजार में उतारने के लिए
तैयार नहीं थीं। शायद उन्हें डर था कि टेलीफोन कहीं टेलीग्राफ यंत्र का
प्रतिद्वंद्वी न बन जाए। यह देखकर बेल ने स्वयं अपने नाम से एक टेलीफोन कंपनी खोलने
का निश्चय किया। बेल द्वारा स्थापित टेलीफोन कंपनी का पहला विज्ञापन 1877 में
बोस्टन के समाचार पत्रों में प्रकाशित हुआ। आज बेल की वह ऐतिहासिक कंपनी 'एटी एंड
टी' के नाम से जानी जाती है। 1878 में रानी विक्टोरिया के सामने टेलीफोन के
प्रदर्शन का उन्हें निमंत्रण मिला। इस बीच बेल के सहयोगी वाटसन ने टेलीफोन को अधिक
उपयोगी और कार्यदक्ष बनाने के लिए उसमें कई परिवर्तन भी किए।
शुरुआत में टेलीफोन कॉल आने पर घंटी नहीं बजती थी। कॉल पाने वाले का ध्यान आकर्षित
करने के लिए टेलीफोन में 'थंपर' नामक यक्ति लगी होती थी। इसे वॉटसन ने पहले 'बजर'
में बदला, जिसका स्थान अंततः घंटी ने ले लिया। इसके साथ ही सूचना के क्षेत्र में एक
नई क्रांति ने भी जन्म लिया था।
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