महात्मा गांधी के उपनाम : किसने क्या कहा गांधी को? Mahatma Gandhi Nicknames

Mahatma Gandhi Nicknames

महात्मा गांधी के उपनाम (Mahatma Gandhi Nicknames in Hindi) :
महात्मा गांधी को अनेक लोगों ने अलग अलग उपनामों (Nicknames) से संबोधित किया। सुभाष चंद्र बोस ने उनको राष्ट्रपिता कहा, तो जवाहरलाल नेहरू ने बापू। इसी तरह गांधी के अनेक उपनाम प्रसिद्ध हुए, जैसे–मलंग बाबा, वनमैन बाउंड्री फोर्स, भर्ती करने वाला सार्जेंट, अर्धनंगा फकीर, सेवाग्राम का संत, भंगी शिरोमणि, कुली बैरिस्टर, कर्मवीर, भिखारियों का राजा, दो महात्मा, कैसर ए हिंद, देशद्रोही फकीर आदि। इस लेख के माध्यम से हम आपको महात्मा गांधी की प्रमुख उपाधियां का उल्लेख कर रहे है। जो आपके लिए सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए उपयोगी होगी।

उपाधि संबोधनकर्ता विशेष विवरण
1. राष्ट्रपिता सुभाष चंद्र बोस 4 अगस्त 1944 को बोस ने रंगून रेडियो से एक प्रसारण में भावनात्मक अपील में कहा- 'राष्ट्रपिता हम भारत के इस पवित्र मुक्ति युद्ध में आपका आशीर्वाद और शुभ कामना चाहते हैं।'
2. बापू सी.एफ.एंड्रूज और जवाहरलाल नेहरू पंडित नेहरू प्रेम भावना से बापू कहकर पुकारते थे।
3. मलंग बाबा कबायलियों द्वारा 1930 के सविनय अवज्ञा आंदोलन के समय कबायलियों द्वारा 'मलंग बाबा' संबोधित किया।
4. वनमैन बाउंड्री फोर्स लॉर्ड माउंटबेटन माउंटबेटन उपाधि देते हुए कहे- 'जो काम 50 हजार हथियारबंद सिपाही नहीं कर सकते थे वह काम गांधी ने कर दिखाया।'
5. भर्ती करने वाला सार्जेंट प्रथम विश्व युद्ध के समय
 
अंग्रेजी सरकार की तरफ से लड़ने के लिए लोगों को सेना में भर्ती होने के लिए प्रोत्साहित करने पर यह उपाधि दी गयी।
6. अर्धनंगा फकीर विंस्टन चर्चिल द्वितीय गोलमेज सम्मेलन के लिए इंग्लैंड प्रवास के दौरान दक्षिण पंथी नेता ने सर्वप्रथम गांधी को अर्धन फकीर से संबोधित किया।
7. सेवाग्राम का संत आश्रम के अतिथियों द्वारा आश्रम में गांधी की सेवा भावना से प्रभावित होने पर अतिथियों ने संबोधित किया।
8. भंगी शिरोमणि दक्षिण अफ्रीका के प्रवास के दौरान महात्मा गांधी स्वयं मेहतर का कार्य करते थे इसलिए उन्हें मित्र प्रेमवश भंगी शिरोमणि से संबोधित करते थे।
9. कुली बैरिस्टर दक्षिण अफ्रीका के अंग्रेज मजिस्ट्रेट दक्षिण अफ्रीका में अंग्रेज मजिस्ट्रेट व वकील उन्हें संबोधित करते थे।
10. कर्मवीर दक्षिण अफ्रीका के सहयोगी दक्षिण अफ्रीका प्रवास के दौरान सहयोगी द्वारा दी गयी उपाधि
11.भिखारियों का राजा पं. मदन मोहन मालवीय गांधी को इस उपाधि से भी संबोधित किया गया।
12. दो महात्मा
 
सरोजनी नायडू गांधी व इरविन को संबोधित किया गया।
13. कैसर ए हिंद प्रथम विश्व युद्ध के समय ब्रिटिश सरकार की सहायता के उपलक्ष्य में उन्हें यह उपाधि दी गयी।
14. देशद्रोही फकीर
विंस्टन चर्चिल
ब्रिटिश सरकार की आलोचना करते हुए चर्चिल ने कहा, 'वह देशद्रोही फकीर' महात्मा गांधी को कहकर पुकाया।




महात्मा गांधी का जीवन परिचय
पूरा नामः मोहनदास करमचंद गांधी
पिताः करमचंद गांधी
माताः पुतलीबाई
जन्म: 2 अक्टूबर, 1869 ई.
मृत्युः 30 जनवरी, 1948 ई. (78 वर्ष की आयु में निधन)


जन्म स्थानः पोरबंदर जिला (काठियावाड़, गुजरात)
विवाहः 1883 ई. को कस्तूरबा गांधी से (गांधी से 6 महीने बड़ी)
पुत्रः 4 (हरिलाल, मणिलाल, रामदास और देवदास)
राजनैतिक गुरू: गोपालकृष्ण गोखले
प्रमुख शिष्याः इंग्लैंड में जन्मी मीरा बेन (महात्मा गांधी द्वारा प्रदत्त नाम) का वास्तविक नाम मैडलीन स्लेड था।
कानून की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड गये: 1888 ई. (मुंबई से)
कानून (बैरिस्टर) की डिग्री प्राप्त की:  1891 ई.
अब्दुल्ला के मुकदमें के लिए दक्षिण अफ्रीका गये: 1893 ई.
दक्षिण अफ्रीका में नटाल कांग्रेस की स्थापना की: 1894 ई.
दक्षिण अफ्रीका में जुलु व बोअर पदक मिला: 1899 ई.
कैसर-ए-हिंद प्राप्त की: 9 जनवरी, 1915 ई.
डरबन (दक्षिणअफ्रीका) में फीनिक्स आश्रम की स्थापना की: 02 सितंबर 1904 ई
सत्याग्रह का प्रथम प्रयोगः 1906 ई. (दक्षिण अफ्रीका में)
कांग्रेस अधिवेशन में प्रथम बार शामिल: 1901 ई. (कलकत्ता कांग्रेस अधिवेशन)
जेल जीवन का प्रथम अनुभवः 1908 ई.
टॉलस्टाय फार्म की स्थापना: 30 मई 1910 ई. (जोहासबर्ग, दक्षिण अफ्रीका) भूमिदान जर्मन मित्र हर्मन कालेनबाख द्वारा प्रदान जबकि नामकरण रूसी विद्वान लियो टॉलस्टाय के नाम पर हुआ।
महात्मा गांधी का भारत आगमन: 9 जनवरी, 1915 ई. (मुंबई के अपोलो बंदरगाह पर S.S. सुदीव जहाज से उतरे।)
साबरमती आश्रम की स्थापनाः 17 जून 1917 ई.
कांग्रेस अधिवेशन की अध्यक्षताः 1924 (बेलगांव, कर्नाटक)
महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका में सक्रिय हुये: 21 वर्ष
आत्मकथाः सत्य के मेरे प्रयोग (1925)
रामराज्य के युगल सिद्धांतः सत्य एवं अहिंसा
प्रमुख उपनामः राष्ट्रपिता- सुभाष चंद्र बोस; बापू- पं. खुदाई खिदमतगार; अर्धनग्न फकीर-विस्टन चर्चिल; जादूगरशेख मुजीब-उर-रहमान।
अखिल भारतीय खादी बोर्ड की स्थापनाः 1923
अखिल भारतीय चरखा संघ की स्थापना: 23 सितंबर, 1925
प्रमुख पुस्तकें: इंडिया ऑफ माई ड्रीम, अनासक्ति योग, गीता माता, द स्टोरी ऑफ माई एक्सपेरीमेंट विद टुर्थ (आत्मकथा), सप्त महाव्रत, हिंद स्वराज (1909) (गांधी जी का वास्तविक दर्शन व पश्चिमी संस्कृति का विरोध), सुनो विद्याथियों।
 प्रमुख समाचार-पत्रः इंडियन ओपिनियन (1903, दक्षिण अफ्रीका में), द ग्रीन पैम्पलेट (14 अगस्त, 1896; राजकोट); यंग इंडिया (1919); हरिजन (1932)।

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