सेप ब्लाटर 5वीं बार बने फीफा के अध्यक्ष


सेप ब्लाटर को 29 मई, 2015 को हुये चुनाव में फुटबॉल की अंतरराष्ट्रीय संस्था फीफा का अध्यक्ष चुन लिया गया। यह पांचवी बार है जब उन्हें फीफा का अध्यक्ष चुना गया है।

अध्यक्ष पद की दौड़ में जॉर्डन के प्रिंस अली बिन अल-हुसैन भी थे। हालांकि पहले राउंड में हुई वोटिंग का कोई नतीजा नहीं निकलने के बाद उन्होंने अपना नाम वापस ले लिया था। चुनाव जीतने के लिए कुल वोट के दो तिहाई वोट यानी 140 वोट मिलने ज़रूरी थे, जिसमें ब्लाटर केवल सात वोट से पीछे रह गए थे।

209 सदस्यीय फीफा की कांग्रेस में 79 साल के ब्लाटर ने जॉर्डन के प्रिंस अली बिन अल हुसैन को पहले चरण में 73 के मुकाबले 133 वोटों से पराजित कर दिया। फीफा को भ्रष्टाचार मुक्त करने का वादा लेकर मैदान में उतरे प्रिंस अली बिन अल हुसैन की अपील सदस्यों पर ज्यादा असर नहीं डाल सकी। प्रिंस अली ने 73 वोट हासिल कर चुनाव को दूसरे चरण के लिए बढ़ा जरूर दिया था लेकिन इससे पहले कि दूसरा चरण होता प्रिंस अली ने हार स्वीकार कर ली।

कैसे होता है चुनाव ?
फुटबॉल की वैश्विक संस्था फीफा के 209 सदस्य हैं। फीफा कांग्रेस के दौरान उम्मीदवारों को अपनी बात रखने का मौका मिलता है। वोटिंग के दौरान किसी उम्मीदवार को दो-तिहाई यानी 140 वोटों की जरूरत होती है। अगर मतदान के दौरान पहले चरण में फैसला नहीं होता तो फिर दूसरा चरण होता जिसमें स्पष्ट बहुमत हासिल करने वाला जीत दर्ज करने में सफल हो जाता है।

कब-कब रहे ब्लाटर फीफा अध्यक्ष
1998 पेरिस : फीफा कांग्रेस में ब्लाटर ने स्वीडन के जाॅनसन को 111-80 से पराजित किया था। दूसरे चरण से पहले ही जाॅनसन ने अपनी हार स्वीकार कर ली थी।
2002 सियोल : ब्लाटर को कैमरून के हेआतू से चुनौती मिली जोकि अफ्रीकन फेडरेशन के अध्यक्ष भी थे। ब्लाटर 139-56 से जीत दर्ज करने में सफल रहे।
2007 ज्यूरिख : जोसफ सेप ब्लाटर को कोई चुनौती नहीं मिली और वह निर्विरोध लगातार तीसरे कार्यकाल के लिए अध्यक्ष बन गए।
2011 ज्यूरिख : एशियन कन्फेडरेशन के अध्यक्ष कतर के मोहम्मद बिन हम्माम ने ब्लाटर के खिलाफ मैदान में उतरने का फैसला किया लेकिन चुनाव से पहले उन पर वोटों के लिए पैसे देने की पेशकश का आरोप लगा और वह चुनाव से हट गए। हालांकि इंग्लैंड एसोसिएशन ने चुनाव का विरोध किया और चुनाव टालने की कोशिश की लेकिन ज्यूरिख में हुई कांग्रेस में उसका प्रस्ताव 206 में से 172 वोटों से गिर गया। ब्लाटर फिर अध्यक्ष बन गए।
2015 ज्यूरिख : ब्लाटर ने जॉर्डन के प्रिंस अली बिन अल हुसैन को पराजित किया। पहले राउंड में ब्लाटर को 133 और प्रिंस अली को 73 वोट मिले थे। पहले चरण में बहुमत के लिए ब्लाटर को दो-तिहाई बहुमत यानी सात और वोटों की जरूरत थी। इससे पहले कि दूसरा चरण होता प्रतिद्वंद्वी प्रिंस अली ने नाम वापस ले लिया।

फीफा अध्यक्ष : खास तथ्य
पिछले 40 सालों से दो व्यक्ति ही फीफा की शीर्ष कुर्सी पर विराजमान रहे। पहले ब्राजील के जोओ हेवलेंग जो 24 साल रहे और फिर स्विस सेप ब्लाटर पिछले 17 सालों से।
• ब्लाटर कुल 23 सालों से फीफा में विभिन्न भूमिका निभाते रहे हैं। 1975 में टेक्निकल प्रोगाम के डायरेक्टर के रूप में जुड़े फिर महासचिव और सीआईओ भी बने और उसके बाद 8 जून 1998 से फीफा के अध्यक्ष।
• 1975 में जब ब्लाटर फीफा से जुड़े थे तब प्रिंस अली बिन अल हुसैन का जन्म भी नहीं हुआ था।
• 2002 के बाद पहली बार ब्लाटर को चुनाव में कुछ हद तक टक्कर मिली।
• जॉर्डन के प्रिंस अली के अलावा पुर्तगाल के पूर्व फुटबॉल स्टार लुइस फिगो और नीदरलैंड फुटबॉल संघ के अध्यक्ष माइकल वॉन प्राग भी फीफा अध्यक्ष की रेस में शामिल थे लेकिन उन्होंने प्रिंस अली के समर्थन में नाम वापस ले लिया था।

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