'अग्नि-5' का सफल परीक्षण, जानें महत्वपूर्ण तथ्य


भारत में तैयार किए गए अग्नि-5 मिसाइल का ओडिशा के बालासोर तट से 31 जनवरी 2015 ​को सफल परीक्षण किया गया। अग्नि-5 भारत का पहला अंतर-महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल है, जो 5,000 किलोमीटर की दूरी तक मार करने में सक्षम है। अमेरिका, रूस, फ्रांस और चीन के बाद भारत दुनिया का पांचवां ऐसा देश है, जिसके पास अंतर महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल है।

डीआरडीओ ने 4 साल में इस मिसाइल को बनाया है और इस पर करीब 50 करोड़ रुपये की लागत आई है। इस मिसाइल का वजन 50 टन और इसकी लंबाई 17.5 मीटर है। यह एक टन का परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है और 20 मिनट में 5,000 किमी की दूरी तय कर सकती है। चीन और यूरोप के सभी ठिकाने इस मिसाइल की पहुंच में है।

अग्नि-5 दुश्मनों के सैटेलाइट नष्ट करने में भी उपयोगी है। लंबी दूरी की मारक क्षमता वाली मिसाइल का आज तीसरा प्रायोगिक परीक्षण था। पहला परीक्षण 19 अप्रैल 2012 को और दूसरा 15 सितंबर 2013 को इसी जगह से हुआ था। इस बार इसे खास तरह के कनस्तर के सहारे लॉन्च किया गया। सिर्फ प्रधानमंत्री के आदेश के बाद ही इस मिसाइल को छोड़ा जा सकता है।

अग्नि श्रृंखला की अन्य मिसाइलों से अलग नवीनतम 'अग्नि-5' नेविगेशन और मार्गदर्शन, वारहेड और इंजन के मामले में कुछ नयी तकनीक से लैस है। परिष्कृत रिंग लेसर गायरो आधारित इनरशियल नेविगेशन सिस्टम (आरआईएनएस) और अत्याधुनिक माइक्रो नेविगेशन सिस्टम सुनिश्चित करता है कि मिसाइल बेहद सटीकता के साथ अपने लक्षित बिंदु को भेदे।

भारत के पास अग्नि श्रृंखला के तहत 700 किलोमीटर मारक क्षमता वाली अग्नि-1, 2000 किलोमीटर रेंज की अग्नि-2 और 2500 से 3500 किलोमीटर तथा ज्यादा रेंज वाली अग्नि 3 और अग्नि 4 मिसाइल है। कुछ और प्रयोगों के बाद अग्नि-5 को सेवा में शामिल कर लिया जाएगा।

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