भिन्नार्थक शब्द | अर्थ व उदाहरण सहित

Homonyms Words

भिन्नार्थक शब्द (Bhinnarthak Shabd): हिंदी भाषा में अनेक ऐसे शब्द हैं, जो पढ़ने और सुनने में लगभग एक-से लगते हैं। जबकि उनके अर्थ अलग-अलग होते है यानि दोनों शब्दों के अर्थ में सूक्ष्म अंतर होता है। ऐसे शब्द ही श्रुतिसम/समोच्चारित भिन्नार्थक शब्द (Homonyms Words) कहलाते है। सरल शब्दों में कहे तो भिन्नार्थक शब्द ऐसे शब्द है जिनमें स्वर, मात्रा अथवा व्यंजन में थोड़ा-सा अंतर होता है। इसी दृष्टि से यहां आमतौर पर प्रयोग किये जाने वाले भिन्नार्थक शब्दों की सूची प्रस्तुत की गई है–



अबला : अबला स्त्री मात्र को कहते हैं।
निर्बला : बलहीन नारी।

अभिमान : सच्चा वर्ग।
अहंकार : झूठा घमंड।

दर्प : नियम के विरुद्ध काम करने पर भी घमंड।
घमंड : सभी परिस्थितियों में अपने को बड़ा और दूसरे को हीन समझना।

अवस्था : उम्र, जीवन के कुछ बीते समय।
आयु : जीवन की पूरी गणना।

अलौकिक : अद्भुत, उत्तम गुणवाला।
अस्वाभाविक : प्रकृति के विरुद्ध।

ईर्ष्या : दूसरे की उन्नति से जलना।
द्वेष : वैर-भाव।

उद्योग : उद्यम, परिश्रम।
उपाय : समस्या सुलझाने का तरीका या तरकीब।

कृपा : किसी के कष्ट दूर करने की साधारण चेष्टा या किसी की सहायता।
दया : दीन-दुःखी पर पिघलना अथवा दुःखियों के दुःख दूर करने की स्वाभाविक इच्छा।

खेद : मन का खिन्न होना।
शोक : मृत्यु आदि पर अफसोस।

कष्ट : साधारण तकलीफ।
दुःख : तन-मन या आत्मा का दुःखी होना।

निर्णय : फैसला।
न्याय : इनसाफ।

पाप : धर्म के विरुद्ध कार्य।
अपराध : कानून के विरुद्ध कार्य करना।

देखना : साधारण अर्थ में देखना।
दर्शन देना : सम्मान के अर्थ में।

श्रद्धा : महात्माओं, धर्मों के प्रति।
भक्ति : ईश्वर के प्रति।

भिन्न : अलग।
विपरीत : उलटा।

भ्रम : जो नहीं है उसे समझ बैठना, जैसे- रस्सी को सांप समझना।
संदेह : दुविधा, जैसे- सांप है या रस्सी।

धर्म : सत्य आदि मानवता के आदर्श।
मत : मजहब।

मूर्ख : मुढ़ बुद्धिहीन।
अनभिज्ञ : जिसे पता न हो।

अज्ञात : जिसका पता न हो।
अपरिचित : नावाकिफ।

स्त्री : संपूर्ण नारी जाति।
पत्नी : किसी की विवाहिता।

लज्जा : शर्म।
ग्लानि : किसी पाप या अपराध का अफसोस।

शंका : शक।
आशंका : खतरा।

भय : साधारण डर।
त्रास : भयंकर भय।

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बहुमूल्य : बहुत कीमती।
अमूल्य : जिसका मूल्य न आंका जा सके।

यत्न : कोशिश।
चेष्टा : हरकत।

वेदना : शारीरिक कष्ट।
व्यथा : मानसिक कष्ट।

कलंक : भारी दोष लगना।
अपयश : अपकीर्ति।

प्रलाप : बकना, बकवाद।
विलाप : किसी के मरने पर रोना।

परिचर्या : रोगी की सेवा।
सेवा : किसी की भी सेवा।

अनुग्रह : कृपा करना।
अनुकंपा : बहुत कृपा।

अनुरोध : बराबर वालों से अनुरोध किया जाता है।
प्रार्थना : ईश्वर या अपने से बड़ों से प्रार्थना की जाती है।

अस्त्र : वह हथियार जो फेंककर चलाया जाता है।
शस्त्र : वह हथियार जो हाथ में लेकर चलाया जाता है।

अधिक : आवश्यकता से ज्यादा।
काफी : पर्याप्त।

अनुराग : किसी विषय-वस्तु पर शुद्ध भाव से मन का केंद्रित होना।
आसक्ति : मोहजनित प्रेम।

अंतःकरण : विशुद्ध मन की केंद्रीय शक्ति।
आत्मा : अनश्वर, जीवों की चेतना।

अध्यक्ष : किसी गोष्ठी, समिति या संस्था के स्थायी प्रधान।
सभापति : अस्थायी प्रधान।

अर्चना : धूप, दीप, फूल इत्यादि से पूजा करना।
पूजा : बिना किसी सामग्री के भी भक्तिपूर्ण विनय अथवा प्रार्थना।

अभिनंदन : किसी श्रेष्ठ का मान या स्वागत।
स्वागत : अपनी सभ्यता-संस्कृति से संबंधित किसी को सम्मान देना।

आदि : साधारणतः एक या दो उदाहरण के बाद।
इत्यादि : दो से अधिक या पूरे उदाहरण के बाद।

आज्ञा : पूज्य व्यक्ति द्वारा दिया गया कार्य-निर्देश।
आदेश : किसी अधिकारी द्वारा दिया गया कार्य-निर्देश।





आदरणीय : अपने से बड़ों या महान् व्यक्तियों के प्रति सम्मान सूचक शब्द।
पूजनीय : पिता, गुरु या महान् पुरुषों के प्रति सम्मान सूचक शब्द।

इच्छा : साधारण चाह।
अभिलाषा : किसी विशेष वस्तु की हार्दिक इच्छा।

उत्साह : काम करने की बढ़ती हुई इच्छा।
साहस : भय पर विजय प्राप्त करना।

कंगाल : जिसे पेट पालने के लिए भीख मांगनी पड़े।
दीन : निर्धनता के कारण जो दया का पात्र हो।

ग्रंथ : इससे पुस्तक के आकार की गुरुता और विषय के गांभीर्य का बोध होता है।
पुस्तक : साधारणतः सभी प्रकार की किताबें।

दक्ष : जो हाथ से किये जाने वाले काम को अच्छी तरह और जल्दी करें।
निपुण : जिसने अपने कार्य विषय का पूरा-पूरा ज्ञान प्राप्त कर लिया हो।

कुशल : जो हर काम में मानसिक तथा शारीरिक शक्तियों का अच्छा प्रयोग करना जानता है।
कर्मठ : जिस काम पर लगाया जाये उस पर लगा रहने वाला।

निबंध : ऐसी गद्य रचना जिसमें विषय गौण और लेखक का व्यक्तित्त्व एवं शैली प्रधान हो।
लेख : ऐसी गद्य रचना जिसमें वस्तु या विषय की ही प्रधानता हो।

निधन : महान् और लोकप्रिय व्यक्ति की मृत्यु।
मृत्यु : सामान्य शारीरांत की मृत्यु।

निकट : सामीप्य का बोध।
पास : अधिकार के सामीप्य का बोध।

प्रणाम : बड़ों को प्रणाम किया जाता है।
नमस्कार/नमस्ते : बराबर वालों को।

पारितोषिक : किसी प्रतियोगिता में विजयी होने पर।
पुरस्कार : किसी व्यक्ति के अच्छे काम या सेवा पर।

पुत्र : अपना बेटा।
बालक : कोई भी लड़का।

बड़ा : आकार का बोधक।
बहुत : परिणाम का बोधक।

बुद्धि : प्रज्ञा कर्तव्य का निश्चय करती है।
ज्ञान : इंद्रियों द्वारा प्राप्त अनुभव।

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मित्र : वह पराया व्यक्ति जिसके साथ आत्मीयता हो जाती है।
बंधु : आत्मीय मित्र, संबंधी।

मन : जहां संकल्प-विकल्प हो।
चित्त : जहां बातों का स्मरण-विस्मरण हो।

महाशय : सामान्य लोगों के लिए महाशय का प्रयोग होता है।
महोदय : अपने से बड़ों या अधिकारिकयों को महोदय कहा जाता है।

यंत्रणा : असहाय दुःख का अनुभव।
यातना : आघात से उत्पन्न कष्ट की अनुभूति, विशेषकर शारीरिक क्षेत्र में या रूप में।

विषाद : अतिशय दुःखी होने के कारण किंकर्तव्यविमूढ़ होना।
व्यथा : किसी आघात के कारण मानसिक कष्ट या पीड़ा।

सेवा : गुरुजनों की टहल।
शुश्रुषा : दीन-दुःखियों या रोगियों की सेवा।

साधारण : जो वस्तु या व्यक्ति एक ही आधार पर आश्रित हो।
सामान्य : जो बात दो अथवा कई वस्तुओं तथा व्यक्तियों आदि में समान रूप से पायी जाती है।

सहानुभूति : दूसरे के दुःख को निज दुःख मानना।
स्नेह : छोटों के प्रति प्रेम-भाव रखना।

सम्राट : राजाओं का राजा।
राजा : साधारण राजा।

अनुरूप : रूप के अनुसार।
अनुकूल : अपने पक्ष के मुताबिक।

अनुभव : अभ्यासादि द्वारा प्राप्त ज्ञान।
अनुभूति : चिंतन मननादि द्वारा प्राप्त आंतरिक ज्ञान।

अनबन : दो व्यक्तियों का आपस में नहीं बनना।
खटपट : दो पात्रों या व्यक्तियों में साधारण झगड़ा।

अर्पण : अपने से बड़े को जो भेंट दी जाती है।
प्रदान : बड़ों की ओर से छोटों को दिया जाना।

अन्वेषण : अज्ञात पदार्थ, स्थानादि का पता लगाना।
अनुसंधान : छानबीन, जांच-पड़ताल करना।
गवेषणा : किसी गूढ़ विषय की मूल स्थिति जानने के लिए गम्भीर अध्ययन-मननादि।

अशुद्धि : लाई गयी भूल।
भूल : कार्य-व्यवहारादि में किसी चीज का छूट जाना, रह जाना।

आधि : मानसिक कष्ट।
व्याधि : शारीरिक कष्ट।

आह्लाद : वह प्रसन्नता जो क्षणिक, पर तीव्र भावों से समन्वित हो।
उल्लास : किसी अभिलषित पदार्थ की प्राप्ति की आशा में जो आनंद आता है।

आगामी : आगे आने वाला समय।
भावी : भविष्य का बोध हो जाना।

आराधना : किसी देवता या गुरुजन के समक्ष दया की याचना।
उपासना : अपने इष्टदेव से किसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए एकनिष्ठ साधना करना।

उपकरण : वह सामग्री जो किसी कार्य की सिद्धि के लिए जुटाई जाती है।
उपादान : किसी पदार्थ के निर्माण की सामग्री।

उदाहरण : किसी पदार्थ को सिद्ध करने के लिए दिया गया प्रमाण आदि।
दृष्टांत : किसी बात की परिपुष्टि के लिए दिया गया तथ्य।

अभिनेत्री : रंगमंच पर नारी की भूमिका अदा करने वाली अभिनेत्री कहलाती है।
नायिका : नाटक या उपन्यासादि की मुख्य नारी पात्र।

त्रुटि : कमी का भाव प्रकट होना।
दोष : उचित-अनुचित का भाव।

निवेदन : अधिकारी व्यक्ति के समक्ष नम्रता का भाव बरतना।
आवेदन : दरख्वास्त।

क्रांति : जनसाधारण द्वारा शासन को उलटने के लिए संघर्ष।
विद्रोह : शासन के विरुद्ध कार्य।

आज्ञा : किसी गुरुजन की आज्ञा।
अनुज्ञा : अनुमति स्वीकृति।

आमंत्रण : किसी समारोह में सम्मिलित होने के लिए बुलावा।
निमंत्रण : कहीं भोजन करने के लिए बुलाहट।

ऋषि : सत्य का साक्षात्कार, आविष्कार करने वाला।
मुनि : सत्य का मनन करने वाला।
संत : पवित्र, निष्काम तथा निर्विरोध जीवन बिताने वाला।

बालक : अल्पवयस्क मानव, शिशु से अधिक उम्र वाला।
लड़का : बालक और बेटा दोनों अर्थों में प्रसंगानुसार प्रयुक्त।

बचपन : बच्चे की अवस्था।
बचपना : बच्चों का स्वभाव, बच्चे जैसी चेष्टा।

धन्यवाद : किसी की सहायता पाकर उसके प्रति कृतज्ञता का भाव प्रकट करना।
बधाई : किसी की उपलब्धि से अपनी प्रसन्नता प्रकट करते हुए उसकी उन्नति की शुभकामना।

सहयोग : किसी काम को मिल-जुलकर करना।
सहायता : किसी काम में मदद, हाथ बंटाना।

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