नोट पर गांधी जी का फोटो क्यों होती है?

Why is Gandhiji's photo on the note?

वर्ष 1969 में महात्मा गांधी की जन्म शताब्दी के मौके पर पहली बार 100 रुपए मूल्य के बैंक नोट पर राष्ट्रपिता की तस्वीर छापी गई थी। 1947 में आजादी मिलने के बाद यह महसूस किया गया कि ब्रिटिश राजा की तस्वीर को महात्मा गांधी की तस्वीर से बदला जाना चाहिए। इस मुद्दे पर सर्वसम्मति बनाने के लिए सरकार को काफी समय लगा। इस बीच राजा की तस्वीर को गांधी की तस्वीर से बदलने के बजाय सारनाथ के सिंह स्तंभ से बदल दिया गया।

फिर 1969 में भारतीय रिजर्व बैंक ने महात्मा गांधी के चित्र वाला पहला 100 रुपए का नोट जारी किया, जिसमें गांधीजी को सेवाग्राम आश्रम के आगे बैठा हुआ दिखाया गया था। यह पहला मौका था जब गांधीजी की तस्वीर भारतीय नोट पर छापी गई। इसके बाद 1987 में राष्ट्रपिता की तस्वीर बैंक नोटों पर नियमित तौर पर छापी जाने लगी। उसी साल अक्टूबर में 500 रुपए के नई शृंखला में मुस्कुराते हुए गांधीजी की फोटो छापी गई। इसके बाद महात्मा गांधी की तस्वीर का इस्तेमाल नियमित रूप से विभिन्न मूल्य के नोटों पर किया जाने लगा।

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वायसराय हाउस में खींची गई थी तस्‍वीर
वर्तमान में हम नोट पर गांधी जी की जो फोटो देखते हैं, वह वायसराय हाउस (अब राष्‍ट्रपति भवन) में 1946 में खींची गई थी। राष्‍ट्रपिता म्यांमार (तब बर्मा) और भारत में ब्रिटिश सेक्रेटरी के रूप में कार्यरत फ्रेडरिक पेथिक लॉरेंस से मुलाकात के लिए पहुंचे थे। वहीं ली गई गांधीजी की तस्वीर को पोट्रेट के रूप में भारतीय नोटों पर अंकित किया गया। हालांकि, यह तस्‍वीर किस फोटोग्राफर ने खींची इसके बारे में कोई जानकारी उपलब्‍ध नहीं है।



1980 में पूरी तरह नए नोट जारी हुए 
गांधीजी की तस्वीर से पहले कई डिजाइन और तस्वीरों को बैंक नोट में इस्तेमाल किया गया था। 1949 में सरकार अशोक स्तंभ के साथ एक रुपए का नया नोट लेकर आई थी। इसके बाद 1953 में नए नोटों पर हिंदी को प्रमुखता से प्रदर्शित किया गया था। 1954 में 1000, 500 और 10,000 रुपए मूल्य के नोटों को दोबारा चालू किया गया। 1980 में पूरी तरह से नए नोटों को जारी किया गया। आरबीआई ने 1996 में अतिरिक्त फीचर्स और महात्मा गांधी की नई शृंखला के तहत नोटों को जारी किया।

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