प्रश्न– वैश्विक भूख सूचकांक 2020 में भारत का स्थान कौन सा है?
(A) 64वां स्थान
(B) 73वां स्थान
(C) 94वां स्थान
(D) 107वां स्थान
उत्तर–(C)
भारत वैश्विक भूख सूचकांक 2020 में 107 देशों की सूची में 94वें स्थान पर है
और भूख की ‘गंभीर’ श्रेणी में है। पिछले साल 2019 में 117 देशों की सूची में भारत
का 102 स्थान पर था। साल 2018 के इंडेक्स में भारत 119 देशों की सूची में 103वें
स्थान पर था। वहीं, 2017 में इस सूचकांक में भारत का स्थान 100वां था। वैश्विक भूख
सूचकांक Global Hunger Index (GHI) की सालाना रिपोर्ट आयरलैंड की गैर लाभकारी संस्था कंसर्न वर्ल्डवाइड (Irish NGO Concern Worldwide) और
बर्लिन स्थित वेल्थुरहिल्फे (Germany-based Welthungerhilfe) जारी करती हैं।
वैश्विक भूख सूचकांक 2020 में भारत का स्थान (Global Hunger Index 2020 India Rank) खराब आने का कारण खराब कार्यान्वयन प्रक्रियाओं, प्रभावी निगरानी की कमी, कुपोषण से
निपटने का उदासीन दृष्टिकोण और बड़े राज्यों के खराब प्रदर्शन को पाया गया है। जबकि
भारत के साथ-साथ पड़ोसी देशों- बांग्लादेश, म्यांमार और पाकिस्तान भी ‘गंभीर’
श्रेणी में हैं, लेकिन इस साल के भूख सूचकांक में भारत से ऊपर हैं। सूचकांक के के
अनुसार, बांग्लादेश 75वें, म्यांमार 78वें और पाकिस्तान 88वें स्थान पर हैं. वहीं,
नेपाल 73वें और श्रीलंका 64वें स्थान पर हैं। दोनों देश ‘मध्यम’ श्रेणी में आते
हैं। भारत से पीछे रवांडा (97), नाइजीरिया (98), अफगानिस्तान (99), लीबिया (102),
मोजाम्बिक (103), चाड (107) जैसे महज 13 देश शामिल हैं।
जबकि चीन, बेलारूस, यूक्रेन, तुर्की, क्यूबा और कुवैत सहित 17 देश भूख और कुपोषण पर
नजर रखने वाले वैश्विक भूख सूचकांक (जीएचआई) में शीर्ष पायदानों पर हैं।
शिशु मृत्युदर में आई कमी
रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 2000 से 2018 के बीच पांच साल से कम उम्र के बच्चों की
मृत्यु दर में कमी आई। इसकी वजह निमोनिया और डायरिया से होने वाली मौतों पर लगाम
लगना है।
भारत की 14% आबादी कुपोषित
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की 14 फीसदी आबादी कुपोषण का शिकार है। पांच साल के
बच्चों में उम्र के लिहाज से लंबाई में कमी दर 37.4 प्रतिशत है। पांच साल तक के
बच्चों में उम्र के लिहाज से वजन में कमी दर 17.3 फीसदी है। पांच साल तक के बच्चों
में बाल मृत्युदर भी 3.7 फीसदी पर स्थिर है।
अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति शोध संस्थान, नई दिल्ली में वरिष्ठ शोधकर्ता पूर्णिमा
मेनन ने महामारी के कारण अभाव की समस्या को कम करने के लिए कई उपाय सुझाए हैं। उनके
अनुसार उन्होंने कहा कि पौष्टिक, सुरक्षित और सस्ते आहार तक पहुंच को बढ़ावा देना,
मातृ और बाल पोषण में सुधार लाने के लिए निवेश करना, बच्चे का वजन कम होने पर
शुरुआती समय में पता लगाने और उपचार के साथ ही कमजोर बच्चों के लिए पौष्टिक और
सुरक्षित भोजन महत्वपूर्ण हो सकते हैं।
बता दें कि वैश्विक भूख सूचकांक में देशों को चार प्रमुख संकेतकों के आधार पर
रैंकिग दी जाती है- अल्पपोषण, बाल मृत्यु, पांच साल तक के कमजोर बच्चे और बच्चों का
अवरूद्ध शारीरिक विकास। यह सूचकांक वैश्विक, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर भुखमरी
का आकलन करता है। भूख से लड़ने में हुई प्रगति और समस्याओं को लेकर हर साल इसकी
गणना की जाती है।
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