क्या है जीआई टैग? किसी क्षेत्र या प्रांत को उनके विशेष उत्पादों को जियोग्रॉफिल इंडीकेशन टैग (जीआई टैग) के माध्यम से विशेष पहचान मिलती है। जैसे–कांजीवरम की साड़ी, दार्जिलिंग चाय, मलिहाबादी आम आदि। अभी तक 300 से ज्यादा उत्पादों को जीआई टैग मिल चुका है। इस टैग से अंतर्राष्ट्रीय मार्केट में उस सामान की कीमत और उसका महत्व बढ़ जाता है। देश-विदेश से लोग उस खास जगह पर टैग वाले सामान को देखने आते हैं इससे व्यापार और टूरिज्म दोनों से उस प्रांत को फायदा होता है। भारत की दार्जिलिंग चाय को सबसे पहले 2004 में जीआई टैग मिला था। इसके अलावा महाबलेश्वर स्ट्रॉबेरी, जयपुर के ब्लू पोटरी, बनारसी साड़ी और तिरुपति के लड्डू और मध्य प्रदेश के झाबुआ के कड़कनाथ मुर्गा सहित कई उत्पादों को जीआई टैग मिल चुका है।
पहला GI टैग मिला दार्जिलिंग चाय
चेन्नई स्थित GI-डेटाबेस में आवेदन के बाद इसकी पुष्टि की जाती है। इसी के बाद ये अधिकार व्यक्तियों, उत्पादकों और संस्थाओं को मिल सकते हैं। ये टैग 10 सालों तक मान्य होता है। पहली बार साल 2004 में दार्जिलिंग चाय को ये टैग मिला।
वस्तु | प्रकार | राज्य | प्राप्ति समय |
दार्जिलिंग ग्रीन और व्हाइट टी | चाय | पश्चिम बंगाल | नवंबर, 2019 |
पानडुम | शॉल | मिजोरम | अगस्त, 2019 |
न्गोतेखेह | शॉल |
मिजोरम
|
अगस्त, 2019 |
हमराम | शॉल | मिजोरम | अगस्त, 2019 |
पलानी पंचामिर्थम | प्रसाद | तमिलनाडु | अगस्त, 2019 |
तवलोहपुआन | शॉल | मिजोरम | अगस्त, 2019 |
मिजो पुआनचेई | शॉल | मिजोरम | अगस्त, 2019 |
खोला मिर्च | मिर्च | गोवा | अगस्त, 2019 |
तिरूर पान का पत्ता | पत्ता | केरल | अगस्त, 2019 |
मखाना | मखाना | बिहार | अक्टूबर, 2019 |
ओडिशा रसगुल्ला | मिठाई | ओडिशा | जुलाई, 2019 |
कोल्हापुरी चप्पल | चप्पल | कर्नाटक व महाराष्ट्र | जून, 2019 |
हिमाचली काला जीरा | जीरा | ओडिशा | मई, 2019 |
चुली का तेल | तेल | हिमाचल प्रदेश | मई, 2019 |
कन्धमाल हल्दी | हल्दी | ओडिशा | अप्रैल, 2019 |
गुलबर्गा तुर दाल | दाल | कर्नाटक | अगस्त, 2019 |
इदू मिश्मी | कपड़ा | अरुणाचल प्रदेश | अगस्त, 2019 |
डिण्डीगुल ताले | ताले | तमिलनाडु | अगस्त, 2019 |
कन्दांगी साड़ी | साड़ी | तमिलनाडु | अगस्त, 2019 |
मरयूर गुड़ | गुड़ | केरल | मार्च, 2019 |
तिरुभुवनम सिल्क साड़ी | साड़ी | तमिलनाडु | मार्च, 2019 |
जीराफूल चावल | चावल | छत्तीसगढ़ | मार्च, 2019 |
सिरसी सुपारी | सुपारी | कर्नाटक | मार्च, 2019 |
चुनार बलुआ पत्थर | पत्थर | उत्तर प्रदेश | मार्च, 2019 |
इरोड हल्दी | हल्दी | तमिलनाडु | मार्च, 2019 |
कूर्ग अरेबिका कॉफी | कॉफी | कर्नाटक | मार्च, 2019 |
वायनाड रोबस्टा कॉफी | कॉफी | केरल | मार्च, 2019 |
चिकमगलूर अरेबिका कॉफी | कॉफी | कर्नाटक | मार्च, 2019 |
अराकू वैली अरेबिका कॉफी | कॉफी | आंध्र प्रदेश व ओडिशा | मार्च, 2019 |
बाबू बूदन गिरि अरेबिका कॉफी | कॉफी | कर्नाटक | मार्च, 2019 |
पेठापुर ब्लॉक प्रिटिंग | प्रिटिंग |
गुजरात
|
मार्च, 2019 |
सिलाव खाजा | मिष्ठान | बिहार | दिसंबर, 2018 |
सांगली हल्दी | हल्दी | महाराष्ट्र | नवंबर, 2018 |
शाही लीची | फल | बिहार | अक्टूबर, 2018 |
अल्फोन्सो आम | फल |
महाराष्ट्र
|
अक्टूबर, 2018 |
कतरनी चावल | चावल | बिहार | मार्च, 2019 |
मगही पान का पत्ता | पत्ता | बिहार | मार्च, 2019 |
जर्दालु आम | फल | बिहार | मार्च, 2019 |
मधुबनी पेंटिंग | पेंटिंग | बिहार | मार्च, 2019 |
श्री विल्लिपुथुर पलकोवा | मिठाई | तमिलनाडु | सितंबर, 2019 |
भारतीय संसद ने 1999 में रजिस्ट्रेशन एंड प्रोटेक्शन एक्ट के तहत 'जियोग्राफिकल इंडिकेशंस ऑफ गुड्स' लागू किया था। इसके आधार पर भारत के किसी भी क्षेत्र में पाए जाने वाली विशिष्ट वस्तु का कानूनी अधिकार उस राज्य को दिया जाता है। जियोग्राफिकल इंडिकेशन टैग का काम उस खास भौगोलिक परिस्थिति में मिलने वाली चीजों का दूसरे स्थानों पर गैरकानूनी इस्तेमाल को कानूनी तौर पर रोकता है।
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