जानिये क्या है शत्रु संपत्ति ? Enemy Properties

Enemy Properties

क्या है शत्रु संपत्ति (Enemy Properties) ?
भारत-पाकिस्तान के बीच साल 1965 व 1971 और चीन के साथ 1962 में हुए युद्ध के बाद कई लोग देश छोड़ कर चले गए। भारत रक्षा अधिनियम के मुताबिक, जो लोग देश को छोड़ कर चले गए और दूसरे देशों की नागरिकता ले ली है। उन लोगों या कंपनियों की प्रॉपर्टी को शत्रु घोषित कर दिया जाता है और सरकार उस प्रॉपर्टी की देखरेख के लिए कस्टोडियन की नियुक्ति कर देती है।



शत्रु संपत्ति अधिनियम को भारत सरकार ने 1968 में लागू किया था, जिसके अंतर्गत अभिरक्षण में शत्रु संपत्ति को रखने की सुविधा प्रदान की गई थी। केंद्र सरकार भारत में शत्रु संपत्ति के अभिरक्षण के माध्यम से देश के विभिन्न राज्‍यों में फैली शत्रु संपत्तियों को अपने अधिकार में रखती है, इसके अलावा शत्रु संपत्तियों के तौर पर चल संपत्तियों की श्रेणियां भी शामिल है।

लेकिन अब मोदी सरकार के द्वारा शत्रु संपत्ति अधिनियम में बदलाव कर दिया गया है। जिसके तहत देश के बंटवारे के दौरान देश छोड़कर दूसरे देशों यानी पाकिस्तान और चीन में बसे लोगों के उत्तराधिकारियों का अब इस संपत्ति पर कोई दावा नहीं रह गया है।



अब तक क्या मिला?
भारत में 9280 पाकिस्तानी नागरिकों की और 126 चीनी नागरिकों की शत्रु संपत्ति हैं। पाकिस्तानी नागरिकों की सबसे ज्यादा 4991 शत्रु संपत्तियां उत्तर प्रदेश राज्य में हैं, जबकि पश्चिम बंगाल में 2735 और दिल्ली में 487 संपत्तियां हैं। चीन जा चुके लोगों की सबसे अधिक 57 संपत्तियां मेघालय में हैं। इसके अलावा 29 संपत्तियां पश्चिम बंगाल ओर 7 असम में मौजूद हैं। 2018 में तत्कालीन मंत्री हंसराज अहीर ने राज्यसभा में कहा था कि देश में मौजूद शत्रु संपत्ति की कुल कीमत एक लाख करोड़ रुपये से अधिक है। इसमें 4000 से अधिक संपत्ति उत्तर प्रदेश में, करीब 2700 पश्चिम बंगाल में और 487 से अधिक नई दिल्ली में है।