राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन क्या है? - National Green Hydrogen Mission

देश में हरित हाइड्रोजन (Green Hydrogen) व इसके सहायक उत्पादों के व्यावसायिक उत्पादन को बढ़ावा देकर निर्यात के अवसरों के सृजन के साथ-साथ बड़े पैमाने पर रोजगार के नए अवसरों के सृजन तथा औद्योगिक एवं ऊर्जा क्षेत्रों में कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने आदि उद्देश्यों के लिए राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन शुरू करने का उल्लेख वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2021-22 के लिए केंद्रीय बजट प्रस्तुत करते हुए किया था। प्रस्तावित मिशन का उल्लेख प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी बाद में अगस्त 2021 में किया था। इस महत्वाकांक्षी मिशन को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की 4 जनवरी, 2023 की बैठक में मंजूरी प्रदान की गई है। मिशन के लिए प्रारम्भिक व्यय ₹ 19744 करोड़ स्वीकृत किया गया है, जिसमें साइट (SIGHT) कार्यक्रम के लिए ₹17,940 करोड़, पायलट परियोजनाओं के लिए ₹ 1,466 करोड़, अनुसंधान एवं विकास के लिए ₹400 करोड़ और अन्य मिशन घटकों के लिए ₹ 388 करोड़ शामिल हैं। नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय को इस मिशन के कार्यान्वयन के लिए नोडल एजेंसी बनाया गया है।

वर्ष 2030 तक इस मिशन से निम्नलिखित परिणाम प्राप्त होने की सम्भावना सरकार द्वारा व्यक्त की गई है—
• देश में ग्रीन हाइड्रोजन की कम-से-कम 5 मिलियन मीट्रिक टन वार्षिक उत्पादन क्षमता का विकास।
• वर्ष 2030 तक ₹ 8 लाख करोड़ से अधिक का कुल निवेश होने की सम्भावना।
• इसी अवधि तक छह लाख से अधिक रोजगार का सृजन होने की सम्भावना।
• कुल मिलाकर ₹ 1 लाख करोड़ से अधिक मूल्य के जीवाश्म ईंधन (Fossil Fuel) के आयात में कमी।
• ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में लगभग 50 MMT (मिलियन मीट्रिक टन) प्रतिवर्ष की कमी।


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सरकार का मानना है कि इस मिशन से हरित हाइड्रोजन व उसके सहायक उत्पादों के निर्यात के अवसर उत्पन्न होंगे, उद्योगों व ऊर्जा क्षेत्रों में कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी। तथा बड़े पैमाने पर उत्पादन और हाइड्रोजन के इस्तेमाल करने में सक्षम क्षेत्रों की पहचान की जाएगी और उन्हें ग्रीन हाइड्रोजन हब के रूप में विकसित किया। वर्तमान में जब सम्पूर्ण विश्व तेजी के साथ पूरी ऊर्जा प्रणाली को कार्बन रहित करने की दिशा में अग्रसर है, ऐसे में हरित हाइड्रोजन (Green hydrogen) की भूमिका में वृद्धि तथा इसके उत्पादन में वृद्धि की आवश्यकता होगी। (हरित हाइड्रोजन का उत्पादन नवीकरणीय ऊर्जा का इस्तेमाल कर इलेक्ट्रोलिसिस द्वारा किया जाता है तथा इस प्रकार से उत्पादित ग्रीन हाइड्रोजन में कार्बन का कोई अंश नहीं होता है।

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