जानिये, CRP टेस्ट क्या है? CRP Test Kya Hai

CRP Test Kya Hai

सर्प टेस्ट क्या है इन हिंदी : CRP यानी सी-रिएक्टिव प्रोटीन। हमारा शरीर एक केमिकल फैक्ट्री की तरह काम करता है। जब भी कोई बाहरी वायरस या इन्फेक्शन हमला करता है तो शरीर में कई रासायनिक प्रक्रियाएं शुरू हो जाती हैं। इनमें से एक है इनफ्लेमेशन या सूजन। इस दौरान लिवर में सी-रिएक्टिव प्रोटीन (CRP) प्रोड्यूस होता है। यह एक ब्लड मार्कर है जो शरीर में इन्फेक्शन का लेवल बताता है।



यह एक सामान्य ब्लड टेस्ट है। खून का सैम्पल लेकर CRP लेवल मापा जाता है। कुछ ही मिनटों में रिजल्ट आ जाता है। CRP का लेवल जितना बढ़ा हुआ होगा, उतना ही इन्फेक्शन भी बढ़ा हुआ होगा। तब डॉक्टर दवाओं की मदद से इसे काबू में करने की कोशिश करते हैं।

CRP टेस्ट किसे और कब कराना चाहिए?
माइल्ड से मॉडरेट कोविड-19 लक्षणों वाले मरीजों को CRP टेस्ट की कोई जरूरत नहीं है। पर अगर इन्फेक्शन होने के 5 दिन बाद भी मरीज में कोई गंभीर लक्षण दिखता है तो यह टेस्ट कराना जरूरी हो जाता है। अगर लक्षण बढ़ रहे हैं या नए लक्षण सामने आ रहे हैं तो CRP ब्लड टेस्ट कराना चाहिए। इसका लेवल बढ़ता है तो विशेषज्ञ की सेवाएं लेनी चाहिए।

मरीज में अगर किसी भी तरह का कोई गंभीर लक्षण है तो भी उसका CRP टेस्ट कराया जा सकता है। समय पर यह टेस्ट कराने से इन्फेक्शन को माइल्ड और मॉडरेट से गंभीर होने से रोकने में मदद मिलती है। आम तौर पर यह टेस्ट उन लोगों में कराया जाता है, जिनके शरीर में गंभीर बैक्टीरियल या फंगल इन्फेक्शन होता दिखाई देता है। इससे उस इन्फेक्शन के स्तर को समझने में मदद मिलती है।





क्या यह टेस्ट खुद करा सकते हैं? इस पर कितना खर्च होता है?
नहीं। यह ऐसा टेस्ट नहीं है, जिसे खुद कराना चाहिए। डॉक्टर भी मरीज के लक्षणों की गंभीरता को देखकर ही यह टेस्ट करवाते हैं। आम तौर पर यह टेस्ट 500 रुपए में हो जाता है। अलग-अलग लैबोरेटरी इसके लिए कम या ज्यादा फीस ले सकती है।

CRP का सामान्य स्तर क्या है? यह किस खतरे के प्रति आगाह करता है?
आम तौर पर CRP का सामान्य कंसंट्रेशन स्तर 30-50 मिग्रा/ डेसीलीटर है। पर जब यह स्तर बढ़ जाता है तो खतरा बढ़ने लगता है। किसी व्यक्ति का ऑक्सीजन सैचुरेशन नॉर्मल है और CRP लेवल 70 यूनिट से अधिक है तो यह ऐसी स्थिति में ले जा सकता है, जहां शरीर के डिफेंस सिस्टम के प्रोटीन ही शरीर को नुकसान पहुंचाने लगते हैं।

डॉक्टरों का कहना है कि अगर मरीज में सी-रिएक्टिव प्रोटीन 70 यूनिट से अधिक है तो उसे स्टेरॉयड्स देने की जरूरत पड़ती है। अगर CRP इससे भी बढ़ जाता है तो मैकेनिकल वेंटिलेटर की जरूरत पड़ सकती है या मरीज की मौत भी हो सकती है। स्टेरॉयड्स ऐसे लोगों के जीवित रहने की संभावना को 70% तक बढ़ा देते हैं।

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