देश की नामी मसाला कंपनी महाशिया दी हट्टी (MDH) के मालिक महाशय धर्मपाल गुलाटी
का 98 साल की उम्र में हार्ट अटैक से निधन हो गया है। उन्होंने आज 3 नवंबर 2020 को
सुबह 5.38 बजे माता चन्नन देवी हॉस्पिटल में अंतिम सांस ली। गुलाटी कोरोना से
संक्रमित होने के बाद ठीक हो गए थे। व्यापार और उद्योग में उल्लेखनीय योगदान देने
के लिए पिछले साल उन्हें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद्मभूषण से नवाजा था।
धर्मपाल गुलाटी का जन्म 27 मार्च, 1923 को सियालकोट (जो अब पाकिस्तान में है) में
हुआ था। साल 1933 में, उन्होंने 5वीं कक्षा की पढ़ाई पूरी करने से पहले ही स्कूल
छोड़ दी थी। साल 1937 में, उन्होंने अपने पिता की मदद से व्यापार शुरू किया और उसके
बाद साबुन, बढ़ई, कपड़ा, हार्डवेयर, चावल का व्यापार किया।
हालांकि महाशय धर्मपाल गुलाटी लंबे वक्त ये काम नहीं कर सके और उन्होंने अपने पिता
के साथ व्यापार शुरू कर दिया। उन्होंने अपने पिता की 'महेशियां दी हट्टी' के नाम की
दुकान में काम करना शुरू कर दिया। इसे देगी मिर्थ वाले के नाम से जाना जाता था।
1947 में देश विभाजन के बाद वह भारत आ गए। तब उनके पास महज 1,500 रुपये थे। इस
पैसों से महाशय धर्मपाल गुलाटी ने 650 रुपये में एक तांगा खरीदा और नई दिल्ली रेलवे
स्टेशन से कुतुब रोड के बीच तांगा चलाया। कुछ दिनों बाद उन्होंने तांगा भाई को दे
दिया और करोलबाग की अजमल खां रोड पर ही एक छोटा सी दुकान लगाकर मसाले बेचना शुरू
किया। मसाले का कारोबार चल निकला और एमडीएच ब्रांड की नींव पड़ गई।
इस दुकान से मसाले का कारोबार धीरे-धीरे इतना फैलता गया कि आज उनकी भारत और दुबई
में मसाले की 18 फैक्ट्रियां हैं। इन फैक्ट्रियों में तैयार एमडीएच मसाले दुनियाभर
में पहुंचते हैं। एमडीएच के 62 प्रॉडक्ट्स हैं। कंपनी उत्तरी भारत के 80 प्रतिशत
बाजार पर कब्जे का दावा करती है।
व्यापार के साथ ही उन्होंने कई ऐसे काम भी किए हैं, जो समाज के लिए काफी मददगार
साबित हुए. इसमें अस्पताल, स्कूल आदि बनवाना आदि शामिल है। उन्होंने अभी तक कई
स्कूल और विद्यालय खोले हैं। वे अभी तक 20 से ज्यादा स्कूल खोल चुके हैं।
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