मैन बुकर पुरस्कार 2020 - डगलस स्टुअर्ट बने विजेता

man booker prize winner 2020

प्रश्न : मैन बुकर पुरस्कार 2020 किसे दिया गया?
(A) मार्गरेट एटवुड
(B) अवनि दोशी
(C) डगलस स्टुअर्ट
(D) बराक ओबामा
उत्तर : (C)
 
मैन बुकर पुरस्कार 2020 (The Booker Prize 2020) - न्यूयॉर्क में बसे स्कॉटलैंड के लेखक डगलस स्टुअर्ट (Douglas Stuart) ने उनके पहले उपन्यास 'शग्गी बैन' (Shuggie Bain) के लिए 2020 का बुकर पुरस्कार जीत लिया है। 'शग्गी बैन' की कहानी में 1980 के ग्लासगो की पृष्ठभूमि पर आधारित है, जो एक डेब्यू उपन्यास है। दुबई में बसी भारतीय मूल की लेखिका अवनि दोशी का पहला उपन्यास 'बर्ट शुगर' भी इस श्रेणी में नामित था लेकिन अंतिम समय में वे दौड़ में पिछड़ गईं। कुल छ: लोगों के उपन्यास नामित ​थे। कोरोना वायरस के मद्देनजर बुकर प्राइज 2020 के समारोह को लंद के राउंडहाउस से प्रसारित किया गया।

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शग्गी बैन की कहानी में ग्लासगो की पृष्ठभूमि है। इस उपन्यास की कथावस्तु 1980 के दशक के स्कॉटिश शहर ग्लासगो में गरीबी और शराब की लत से जूझती एक मां को उसके बेटे द्वारा संभालने की कोशिश पर आधारित है। 

44 वर्षीय डगलस स्टुअर्ट को पुरस्कार के रूप में 50,000 पाउंड (करीब 50 लाख रुपये) की राशि मिलेगी। स्टुअर्ट के अनुसार, शग्गी एक काल्पनिक किताब है, लेकिन इसे लिखना मेरे लिए बेहद खास रहा। उन्होंने किताब अपनी मां का समर्पित की है। दरअसल, स्टुअर्ट जब 16 साल के थे तब उनकी मां का निधन अत्यधिक शराब पीने की वजह से हो गया था। इसके बाद वह लंदन के रॉयल कॉलेज ऑफ आर्ट से स्नातक करने के बाद, फैशन डिजाइन में कैरियर बनाने के लिए न्यूयॉर्क चले गए।



मैन बुकर पुरस्कार : मुख्य तथ्य
मैन बुकर पुरस्कार की स्थापना वर्ष 1969 में इंगलैंड की बुकर मैकोनल कंपनी द्वारा की गई। इसमें 50,000 पाउंड (करीब 50 लाख रुपये) की राशि विजेता लेखक को दी जाती है। मैन बुकर पुरस्कार हेतु पहले उपन्यासों की एक सूची तैयार की जाती है और फिर पुरस्कार वाले दिन पुरस्कार विजेता की घोषणा की जाती है।


– मैन बुकर पुरस्कार फ़ॉर फ़िक्शन को लघु रुप में मैन बुकर पुरस्कार या बुकर पुरस्कार भी कहा जाता है।
– यह पुरस्कार राष्ट्रकुल (कॉमनवेल्थ) या आयरलैंड के नागरिक द्वारा लिखे गए मौलिक अंग्रेजी उपन्यास हेतु प्रति वर्ष प्रदान किया जाता है। 
– पहला बुकर पुरस्कार अलबानिया के उपन्यासकार इस्माइल कादरे को दिया गया था।
– अभी तक कुल 5 बार यह पुरस्कार भारतीय मूल के लेखकों– वी.एस. नाइपॉल, अरुंधति राय, सलमान रश्दी, किरण देसाई और अरविंद अडिग को दिया गया है।

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