List of Nobel Prize Winners in Economics in Hindi
साल 1998 में अमर्त्य सेन पहले भारतीय अर्थशास्त्री बने जिन्हें लोक कल्याण अर्थशास्त्र के लिए यह पुरस्कार दिया गया था। इसके बाद साल 2019 में अभिजीत बनर्जी को गरीबी हटाने की दिशा में काम करने के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया। अर्थशास्त्र के जानकार अमर्त्य सेन का जन्म साल 1933 में पश्चिम बंगाल में हुआ था, मगर पढ़ाई ढाका (बांग्लादेश) में की थी। वही साल 1961 में मुबंई में पैदा हुए अभिजीत बनर्जी 10वें नोबेल पुरस्कार पाने वाले भारतीय बने। उनके साथ उनकी पत्नी को भी यह खिताब दिया गया। उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय से पढ़ाई की और फिर जेएनयू गए। उन्होंने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से साल 1988 में पीएचडी की।
वर्ष | विजेता | क्षेत्र |
1969 | रैगनर फिश और जॉन टिनबरजन | गत्यात्मक इकोनोमीट्रिक मॉडल्स का विकास |
1970 | पॉल सैमुअलसन | आर्थिक सिद्धांतों के विश्लेषण में योगदान |
1971 | साइमन कुजनेट्स | आधुनिक आर्थिक विकास का विश्लेषण |
1972 | केनेथ एरो और जॉन हिक्स | सामान्य संतुलन व कल्याण सिद्धांत |
1973 | डब्ल्यू. लिऑटिफ | इनपुट-आउटपुट मैट्रिक्स मॉडल्स का विकास |
1974 | गुन्नार मिर्डल और एफ वॉन हैयक | विकास अर्थशास्त्र में महत्वपूर्ण योगदान |
1975 | टी. कूपमैन्स और लिऑनिड कांटोरोविच | अनुकूलतम संसाधन आवंटन पर शोध-कार्य |
1976 | मिल्टन फ्रीडमैन | मौद्रिक इतिहास व उपभोग विश्लेषण |
1977 | जेम्स मीड और बर्टिल ओहलिन | अंतर्राष्ट्रीय व्यापार व पूँजी प्रवाह |
1978 | हरबर्ट साइमन | संगठनों में निर्णय प्रक्रिया |
1979 | थियोडोर शुल्ज और आर्थर लुइस | पिछड़े राष्ट्रों में आर्थिक विकास |
1980 | लॉरेंस क्लीन | आर्थिक उतार-चढ़ावों के विश्लेषण संबंधी मॉडल |
1981 | जेम्स टॉबिन | विश्व वित्तीय बाजारों का विश्लेषण |
1982 | जॉर्ज स्टिगलर | सार्वजनिक नियमन पर शोध |
1983 | गेरार्ड डेबू | सामान्य संतुलन विश्लेषण का सुधार |
1984 | रिचर्ड स्टोन | राष्ट्रीय आय लेखांकन प्रणालियों का विकास |
1985 | एफ. मोडिग्लिआनी | वित्तीय बाजारों व बचतों का विश्लेषण |
1986 | जेम्स बुचानन | आर्थिक व राजनीतिक निर्णय लेने संबंधी सिद्धांत |
1987 | रॉबर्ट टी. सोलो | आर्थिक विकास सिद्धांतों में योगदान |
1988 | मॉरिस एलाइस | साधनों के कुशल उपयोग का सिद्धांत |
1989 | ट्रिग्वे हावेल्मो | अर्थशास्त्र में प्रोबेबिलिटी थ्योरी का उपयोग |
1990 | हैरी मार्को विट्ज | पोर्टफोलियो चॉइस का सिद्धांत |
विलियम शार्प | कैपिटल एसेट प्राइसिंग मॉडल | |
मर्टन मिलर | निगम वित्त के सिद्धांत | |
1991 | रोनाल्ड कोजे | ट्रांजैक्शन कॉस्ट्स एंड प्रॉपर्टी राइट्स |
1992 | गेरी बेकर | मानव व्यवहार का माइक्रोइकोनॉमिक विश्लेषण |
1993 | रॉबर्ट फोगेल और डगलस नॉर्थ | क्वांटिटेटिव मेथड्स इन इकोनॉमिक हिस्ट्री |
1994 | जॉन हरसान्यी, जॉन नाश और रीनहर्ड सेल्टन | थ्योरी ऑफ नॉन-ऑपरेटिव गेम्स |
1995 | रॉबर्ट लुकास | विवेकपूर्ण एक्सपेक्टेशन थ्योरी का विकास |
1996 | जेम्स मिर्लीस और विलियम विकरी | इंसेंटिव स्ट्रक्चर्स का विश्लेषण (पुरस्कार की घोषणा के तीन दिन बाद 11 अक्टूबर, 1996 को विकरी का निधन) |
1997 | रॉबर्ट सी. मर्टन और मिरोन एस. स्कोलेस | डेरीवेटिव्स व अन्य स्टॉक ऑप्शन्स के मूल्यांकन हेतु फार्मूले का विकास |
1998 | प्रो. अमर्त्य सेन | कल्याणकारी अर्थशास्त्र |
1999 | प्रो. रॉबर्ट मुंडेल | मौद्रिक एवं राजकोषीय नीति |
2000 | जेम्स हकमैन और डेनियल मैकफेडन | निर्णय करने की समस्या के समाधान हेतु हल विकसित करना |
2001 | जॉर्ज ए. एकेर्लोफ, ए.माइकल स्पेंस और जोसेफ ई. स्टिगस्ट्सि | सूचना अर्थशास्त्र की आधारशिला रखने के लिए |
2002 | वरनॉन एल. स्मिथ और डेनियल काहनमैन | वित्तीय बाजारों में निर्णय की व्याख्या |
2003 | रॉबर्ट एंग्ले (अमरीका) और क्लाइव ग्रेगर (ब्रिटेन) | काल श्रेणियों के क्षेत्र में नई सांख्यिकीय पद्धतियों का विकास |
2004 | फिन.ई. किडलैंड (नॉर्वे), एडवर्ड सी. प्रेस्कॉट (अमरीका) | मौद्रिक एवं राजकोषीय नीतियों के प्रभावों का विश्लेषण (मैक्रो इकोनोमिक्स) |
2005 | रॉबर्ट जे. आउमान (इजरायली-अमरीकन नागरिक) और टॉमस सी. शैलिंग (अमरीका) | गेम थ्योरी के विश्लेषण द्वारा आर्थिक विवाद और सहयोग पर समझ में वृद्धि करना। |
2006 | प्रो. एडमंड एस. फेल्प्स (Edmund S. Phelps) (अमरीका) | मैक्रो इकोनोमिक पॉलिसी में अंतसंबंधों का अध्ययन |
2007 | लियोनिड हुरविक्ज (Leonid Hurwic), एरिक मास्किन (Eric Maskin) और मायरसन (Roger Myerson) (सभी अमरीका) | मैकेनिज्म डिजाइन थ्योरी |
2008 | पॉल क्रगमैन (Paul Krugman) | व्यापार प्रणालियों का विश्लेषण |
2009 | इलीनॉर ऑस्ट्रम और ओलिवर विलियमसन (Elinor Ostrom and Oliver Williamson) | इकोनोमिक गवर्नेंस |
2010 | पीटर डायमंड (अमरीका), डेल मॉर्टेसन (अमरीका) और क्रिस्टोफर पिस्साराइड्स (ब्रिटेन) | बेरोजगारी पर आर्थिक नीतियों के प्रभाव की व्याख्या |
2011 | थॉमस सार्जेंट (Thomas Sargent) और क्रिस्टोफर सिम्स (Christopher Sims) (दोनों अमरीका) | अर्थव्यवस्था व नीतिगत इन्स्टूमेन्ट (ब्याज दर आदि) के बीच कारण व परिणाम (Cause and Effect) संबंधों की स्थापना |
2012 | लॉएड शैपले (Lyoyd Shapley) और एल्विन ई. रॉथ (Alvin E.Roth) | द थ्योरी ऑफ स्टेबल एलोकेशन एंड प्रक्टिस ऑफ मार्केट डिजाइन |
2013 | यूजिन फेमा, लार्स पीटर हैंसेन और रॉबर्ट शिलर (सभी अमरीका) | दीर्घकाल में परिसंपत्तियों के मूल्यों का पूर्वानुमान सुधारने पर किए गए शोध के लिए |
2014 | जीन तिरोल (फ्रांस) | सरकार द्वारा शक्तिशाली कंपनियों का नियमन |
2015 | आंगुस डीटॉन (Angus Deaton) | उपभोग, गरीबी एवं कल्याण संबंधित विश्लेषण |
2016 | ओलिवर हार्ट और बेनग्ट हॉल्मस्ट्राम | अनुबन्ध संबंधी सिद्धांत एवं उनकी संभावित चूकों का विश्लेषण |
2017 | डॉ. रिचर्ड थैलर | आर्थिक निर्णयन में मनोवैज्ञानिक कारकों की भूमिका |
2018 | विलियम द नोर्डहॉस और पॉल एम. रोमर (दोनों अमरीका) | इकोनॉमिक ग्रोथ पर शोध/td> |
2019 | अभिजीत बनर्जी (अमरीका), एस्थर डुफ्लो (फ्रांस) और माइकल क्रेमर (अमरीका) | वैश्विक गरीबी को कम करने के लिए प्रयोगात्मक दृष्टिकोण |
2020 | पॉल आर मिल्ग्रॉम और रॉबर्ट बी विल्सन (दोनों अमरीका) | नीलामी के सिद्धांत और नए नीलामी प्रारूपों के आविष्कारों में सुधार |
2020 | डेविड कार्ड, जोशुआ डी एंग्रिस्ट और गुइडो इम्बेन्स (तीनों अमरीका) | अनपेक्षित प्रयोगों, या तथाकथित 'प्राकृतिक प्रयोगों' से निष्कर्ष निकालने पर काम करने के लिए |
2022 | अभी दिया जायेगा | — |
साल 1998 में अमर्त्य सेन पहले भारतीय अर्थशास्त्री बने जिन्हें लोक कल्याण अर्थशास्त्र के लिए यह पुरस्कार दिया गया था। इसके बाद साल 2019 में अभिजीत बनर्जी को गरीबी हटाने की दिशा में काम करने के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया। अर्थशास्त्र के जानकार अमर्त्य सेन का जन्म साल 1933 में पश्चिम बंगाल में हुआ था, मगर पढ़ाई ढाका (बांग्लादेश) में की थी। वही साल 1961 में मुबंई में पैदा हुए अभिजीत बनर्जी 10वें नोबेल पुरस्कार पाने वाले भारतीय बने। उनके साथ उनकी पत्नी को भी यह खिताब दिया गया। उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय से पढ़ाई की और फिर जेएनयू गए। उन्होंने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से साल 1988 में पीएचडी की।
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