ग्रीन जोन (Green Zone) क्या होता है?
वे इलाके जहां कोरोना संक्रमण के मामले नहीं होते हैं। यहां लगभग सभी तरह की
सुविधाएं दी जाती हैं। इनमें दुकानों के खोलने से लेकर आने-जाने तक की छूट होती
है। हालांकि लोगों को बाहर निकलने पर मास्क लगाना और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन
करना जरूरी होता है।
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ऑरेंज जोन (Orange Zone) क्या होता है?
ऐसे इलाके जहां कोरोना के केस तो सामने आ रहे हैं, लेकिन लगातार यहां मरीजों की
रिकवरी भी हो रही है। ऐसी जगहों में स्थानीय प्रशासन ने कई तरह की छूट दी है।
इन इलाकों में प्रशासन थोड़ी ढील देते हैं। जिसकी वजह से जरूरी दुकानें खुल
सकती हैं। साथ ही आने-जाने की सहूलियत होती है।
रेड जोन (Red Zone) क्या होता है?
ऐसे एरिया जहां कोरोना वायरस के सबसे ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं, उनके रेड
जोन में रखा गया है। यहां पाबंदियां लागू रहेंगी। ऐसी जगहों में रहने वाले
लोगों को घरों में ही रहने होगा, सिर्फ जरूरी काम पर ही बाहर निकलने की अनुमति
होगी। साथ ही 10 साल से कम और 65 साल से अधिक उम्र के लोगों का घरों से निकलना
वर्जित होगा।
बफर जोन (Buffer Zone) क्या होता है?
ये वो जिले हैं जो रेड जोन वाले जिले से सटे हैं। आशंका है कि इन जिलों में छूट
देने से रेड जोन पर खतरा बढ़ सकता है। इसलिए ऐसे जिलों को अलग जोन में बांटकर
नजर रखी जाएगी। वैसे तो रेड जोन, ग्रीन जोन और ऑरेंज जोन का फैसला राज्य सरकार
करेगी। वहीं बफर जोन का फैसला जिला प्रशासन करेगा।
कंटेनमेंट जोन (Containment Zone) क्या होता है?
ऐसे इलाके जहां कोरोना संक्रमण के मामलों में लगातार उतार-चढ़ाव आते रहते हैं।
ऐसे में इन जगहों पर ज्यादा सतर्कता बरतनी जरूरी है। ऐसे इलाकों में प्रतिबंध
रहता है। यहां बिना प्रशासन की अनुमति के आने-जाने पर मनाही है। कंटेनमेंट जोन
में केवल अनिवार्य सेवाएं मिलेंगी। इसके अलावा नई गाइडलाइन के तहत कंटेनमेंट
जोन में स्वास्थ मंत्रालय के आदेश के तहत कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग और घर-घर जाकर
स्वास्थ्य की जांच की जाएगी।
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