जानें, सोनू सूद क्यों कर रहे है दिल खोलकर मदद

Sonu Sood

कोरोना माहमारी के बीच प्रवासी मजदूरों और जरूरतमंदों के लिए मसीहा बनकर उभरे अभिनेता सोनू सूद इन दिनों पूरे भारत में काफी चर्चित व्यक्ति बन चुके है। वह लॉकडाउन और कोरोना वायरस की मार झेल रहे हजारों लोगों की मदद कर चुके हैं। उन्होंने न केवल बसों से उन्हें घर भिजवाया ​बल्कि केरल में फंसे 167 सिलाई कारीगरों के लिए एयर एशिया के चार्टर्ड विमान से उनके राज्य ओडिशा पहुंचाया। जिसमें 147 महिलाएं और 20 पुरुष शामिल थे। इसके चलते आज सोशल मीडिया के जरिए तमाम फैन्स, आर्टिस्ट, राजनेता और यहां तक कि बॉलीवुड के स्टार्स भी उनकी सराहना करने में लगे हुए हैं। आईये जानते है कि सोनू सूद बायोग्राफी और मदद करने का उनका नजरिया–


जन्म- 30 जुलाई 1973 (पटियाला, पंजाब)
शिक्षा- इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, यशवंतराव चव्हाण कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, नागपुर
सम्मान- आईफा 2011 बेस्ट एक्टर इन निगेटिव रोल (दबंग), फिल्मफेयर बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर (तेगुलु फिल्म के लिए)
बिजनेस- शक्ति सागर प्रोडक्शंस हाउस, लव लाते होटल फ्रेंचाइजी, शॉपिंग मॉल (मोंगा, पंजाब)
परिवार- पत्नी-सोनाली, बेटे- इशांत, अयान

अभिनेता सोनू सूद प्रवासी मजदूरों को घर पहुंचाने की वजह से सुर्खियों में बने हुए हैं। सोनू कहते हैं कि मदद करने की यह भावना उन्हें उनके माता-पिता से विरासत में मिली है। 1999 में तमिल फिल्म कल्लाझागर से कॅरिअर की शुरुआत करने वाले सोनू अब तक 100 से ज्यादा फिल्में कर चुके हैं। इनमें हिंदी, तमिल, तेलुगु, कन्नड़ और अंग्रेजी के अलावा एक चाइनीज फिल्म कुंग फू योगा भी शामिल है।

मोंगा के रहने वाले सोनू के पिता कपड़ों के व्यापारी और मां अंग्रेजी की प्रोफेसर थीं। एक इंटरव्यू में सोनू ने बताया कि 70 के दशक में पंजाब में आतंकवाद चरम पर था। ऐसे में माता-पिता ने पंजाब से बाहर जाकर पढ़ाई करने की सलाह दी थी। ग्रैजुएशन करने के लिए सोनू नागपुर गए। इंजीनियरिंग कॉलेज के सेकंड ईयर में सोनू के दोस्तों ने उन्हें एक्टिंग और मॉडलिंग में जाने के लिए प्रेरित किया। इससे पहले सोनू ने कभी भी थिएटर या एक्टिंग नहीं की थी। दोस्तों के कहने पर सोनू ने धीरे-धीरे मॉडलिंग शुरू की और मुंबई जाने के लिए पैसे बचाने लगे। ग्रैजुएशन करने के बाद सोनू 1996 में मुंबई पहुंचे। यहां से उनके स्ट्रगल का दौर शुरू हुआ। वह घर से पैसे नहीं मांगना चाहते थे इसलिए एक नौकरी भी शुरू कर दी। यहां वह नौकरी से समय निकालकर अपनी तस्वीरें स्टूडियो जाकर देते। लेकिन कहीं से कोई जवाब नहीं मिलता। सात महीने मुंबई में बिताकर सोनू दिल्ली चले गए। पहला ब्रेक नागराज टीवी एड से मिला। दिल्ली में मॉडलिंग करने के दौरान ही उन्हें तमिल इंडस्ट्री से एक फिल्म का ऑफर आया। इसके बाद उनके कॅरिअर ने रफ्तार पकड़ी।



मणि रत्नम ने बॉलीवुड में दिया पहला बड़ा ब्रेक
सोनू सूद को 1999 में कल्लाझागर फिल्म से ब्रेक मिला। पहली फिल्म के बाद सोनू की मां ने तमिल सीखने के लिए उन्हें एक किताब खरीदकर कुरिअर की। भाषा सीखने के लिए उन्होंने दिनरात मेहनत की। इसके बाद उन्हें तेलुगु और कन्नड़ फिल्म इंडस्ट्री से भी रोल के ऑफर आने लगे। सोनू ने 2002 में पहली हिंदी फिल्म शहीद-ए-आजम की। इस बीच निर्देशक मणि रत्नम की नज़र उन पर पड़ी और उन्हें युवा में अभिषेक बच्चन के भाई का रोल मिल गया। सोनू के कॅरिअर की टॉप फिल्मों में जोधा अकबर, दबंग, हैप्पी न्यू ईयर और सिंबा जैसी फिल्में हैं।

2017 की फिल्म कुंग फू योगा में सोनू ने जैकी चैन के साथ काम किया है। फिल्म चीन के अलावा भारत में भी रिलीज हुई थी। इसके लिए सोनू ने चीन के बीजिंग में रहकर जैकी चैन के बेटे के साथ सात महीने ट्रेनिंग की। फिल्म की जरूरत के मुताबिक यहां माइनस 10 डिग्री तापमान में ट्रेनिंग होती थी। कुंग फू फिल्म का भारत में डिस्ट्रीब्यूशन सोनू ने ही किया था। जैकी चैन सोनू के बुलावे पर 2017 में एक दिन के लिए भारत आए थे। चीन में सोनू को लोग खासा पसंद करते हैं।


सोनू वेबइंडिया की पब्लिक पोल में देश के टॉप 100 हैंडसम पुरुषों में चुने जा चुके हैं। वह जिम में रोज दो से ढाई घंटे बिताते हैं। कसरत की शुरुआत 20 मिनट कार्डियो एक्सरसाइज से करते हैं। कार्डियो के बाद एब्स एक्सरसाइज फिर वेट ट्रेनिंग करते हैं। इसके बाद 40 मिनट जॉगिंग करते हैं। वह अलग-अलग दिनों में स्विमिंग, साइकिलिंग, ब्रिस्क वॉक, किक बॉक्सिंग और योग भी करते हैं। सोनू सूद शाकाहारी हैं, लेकिन प्रोटीन की पूर्ति के लिए अंडे खाते हैं। वह सप्लीमेंट्स नहीं लेते हैं।

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ट्विटर पर एक यूजर ने सोनू सूद के संघर्ष के दिनों को याद दिलाते हुए एक ट्रेन पास शेयर किया। सोनू ने रीट्वीट करते हुए लिखा ‘लाइफ इज ए फुल सर्किल।’ वह रोज की नौकरी के साथ अपनी तस्वीरें स्टूडियो में देने के लिए लोकल ट्रेन से आते-जाते थे। बोरीबली से चर्चगेट के सफर का यह पास 420 रुपए में बना था। यह 1997 की बात है।

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