पाकिस्तान में पहली बार कोई हिंदू बना पायलट पाकिस्तानी वायुसेना का

hindu pilot in pakistan

पाकिस्तान के इतिहास में पहली बार किसी हिंदू को पाकिस्तान एयरफोर्स में पायलट चुना गया है। चुने गये युवक का नाम है 'राहुल देव'। उन्हें पाकिस्तान एयरफोर्स में जनरल ड्यूटी पायलट ऑफिसर के रूप में चुना गया है। राहुल देव सिंध प्रांत के थारपारकर जिले के रहने वाले हैं। यहां बड़ी संख्या में हिंदू समुदाय के लोग रहते हैं। बताते चले कि अब पाकिस्तानी वायु सेना बाधाओं को लांघ रही है। पिछले साल कैनत जुनेद खैबर पख्तूनख्वा प्रांत से लड़ाकू पायलट प्रशिक्षण के लिए चुनी जाने वाली पहली महिला बनी थी। जुनेद ने सामान्य ड्यूटी पायलट के लिए पाकिस्तानी वायुसेना द्वारा आयोजित परीक्षा में न केवल पहला स्थान हासिल किया था, बल्कि वह पाकिस्तान की पहली लड़ाकू पायलट भी बनी। उनके पिता अहमद जुनेद भी लड़ाकू पायलट हैं। वह पाकिस्तानी वायुसेना में स्क्वाड्रन लीडर हैं।



पाकिस्तानी वायुसेना में सामान्यतौर पर 20 साल की आयु में युवकों की भर्ती की जाती है। राहुल देव सिंध प्रांत के विकास से वंचित सबसे बड़े जिले से पाकिस्तान वायुसेना में पहुंचने वाले पहले व्यक्ति हैं। ऑल पाकिस्तान हिंदू पंचायत के सचिव रवि दवानी ने राहुल की नियुक्ति पर प्रसन्नता जताई है। उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक समाज के कई सदस्य सिविल सेवा के साथ-साथ सेना के अन्य अंगों में सेवाएं दे रहे हैं। विशेष रूप से देश के कई बड़े डॉक्टर हिंदू समुदाय से संबंध रखते हैं।
बता दे कि, पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा है कि 2019 में पाकिस्तान का मानवाधिकार के मामलों में रिकॉर्ड 'बेहद चिंताजनक' रहा, जिसमें राजनीतिक विरोध के सुर पर व्यवस्थित तरीके से लगाम लगाने के साथ ही मीडिया की आवाज भी दबाई गई। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि कोरोना वायरस महामारी के कारण कमजोरों और खासकर धार्मिक अल्पसंख्यकों की स्थिति और खराब होगी। पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग (एचआरसीपी) ने बृहस्पतिवार को जारी रिपोर्ट में यह भी रेखांकित किया कि धार्मिक अल्पसंख्यक अपनी धार्मिक स्वतंत्रता या मान्यता का लाभ पूरी तरह उठाने में सक्षम नहीं हैं जिसकी गारंटी संविधान के तहत उन्हें दी गई है। 



'2019 में मानवाधिकार की स्थिति' शीर्षक वाली रिपोर्ट में कहा गया है, बहुत से समुदायों के लिए....उनके धर्मस्थल के साथ भेदभाव किया जाता है, युवतियों का जबरन धर्मांतरण कराया जाता है और रोजगार तक पहुंच में उनके साथ भेदभाव होता है। एचआरसीपी ने कहा कि व्यापक तौर पर सामाजिक और आर्थिक रूप से हाशिये पर डाले जाने के कारण समाज का सबसे कमजोर तबका अब न लोगों को दिखता है न उनकी आवाज सुनी जाती है।

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