टिड्डा/टिड्डी के बारे में रोचक जानकारी (Facts about Grasshopper)–
आजकल कोरोना महामारी के बीच टिड्डी दल काफी चर्चा का विषय बना हुआ है। जो
पाकिस्तान से होता हुआ अब भारत के राज्यों में धूमता फिर रहा है। यह कीट होता
तो शाकहारी है, लेकिन एक तरह का दानव है जो किसान की फसलों को भारी नुकसान
पहुंचाते है। कहा जाता है कि एक टिड्डी दल एक दिन में 35,000 लोगों का भोजन खा
सकता है। जिसके कारण भोजन और चारे की राष्ट्रीय आपातकालीन स्थिति पैदा हो सकती
है।
तो आइये जानते है इस टिड्डा/टिड्डी के बारे में मजेदार जानकारी और तथ्य–
– टिड्डा का वैज्ञानिक नाम सीलिफेरा (Caelifera) है।
– टिड्डा अंटार्कटिका को छोड़कर हर महाद्वीप पर पाए जाते हैं।
– विश्व में टिड्डी की लगभग 11,000 ज्ञात प्रजातियाँ पाई जाती हैं। जिनमें से
10 प्रमुख प्रजातियां पाई जाती हैं-रेगिस्तानी टिड्डी, बोम्बे टिड्डी,
प्रवासी टिड्डी, इटेलियन टिड्डी, मोरक्को टिड्डी, लाल टिड्डी, भूरी टिड्डी,
दक्षिणी अमेरिकन टिड्डी, आस्ट्रे्लियन टिड्डी और वृक्ष टिड्डी।
– भारत में केवल चार प्रजातियां रेगिस्तानी टिड्डी, प्रवासी टिड्डी, बोम्बेे
टिड्डी और वृक्ष टिड्डी (ऐनेक्रिडियम प्रजाति) पाई जाती हैं।
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– इसमें रेगिस्तानी टिड्डियों के दल को सबसे विनाशकारी माना जाता है, जो अपने
रास्ते की सारी हरियाली चट कर जाने के लिए जाने जाते हैं। यह प्रत्येक दिन
हवा में 150 किलोमीटर तक उड़ सकती है और लगभग 3 महीने तक जीवित रहती है।
– टिड्डियां की संख्या और प्रकोप का क्षेत्र, मौसम और पर्यावरणीय
परिस्थितियों पर निर्भर करता है।
– टिड्डियों के लिए तीन प्रजनन सीजन होते हैं– पहला शीतकालीन (नवंबर से
दिसंबर) दूसरा वसंत (जनवरी से जून) और तीसरा ग्रीष्मकालीन (जुलाई से अक्टूबर)
है।
– टिड्डी का जीवनकाल सिर्फ 10 हफ्तों से लेकर 4 महीनें तक ही होता है।
– दुनिया के लगभग 30 मिलियन वर्ग किमी में रेगिस्तानी टिड्डो का आतंक है।
इसमें लगभग 64 देशों के पूरे या कुछ हिस्से शामिल हैं। जिसमें उत्तर पश्चिम
और पूर्वी अफ्रीकी देश, अरब प्रायद्वीप, तत्कालीन यूएसएसआर (USSR) के दक्षिणी
गणराज्य, ईरान, अफगानिस्तान, भारतीय उप-महाद्वीप जैसे देश शामिल हैं।
– सामान्य रूप से भारत में रेगिस्तानी टिड्डियों के दल तबाही के कारण होते
हैं।
– भारत में आमतौर पर टिड्डी दल जुलाई से अक्टूबर के बीच दिखते हैं।
– साल 2020 में टिड्डियों का झुंड पहली बार 11 अप्रैल को भारत-पाकिस्तान सीमा
पर देखा गया था।
– टिड्डियां छोटे सींगों वाले प्रवासी कीट होते है। इसके दो एंटीना, 6 पैर और
दो जोड़े पंख होते हैं।
– टिड्डी के सुनने के अंग सिर पर न होकर पेट पर पाये जाते है।
– टिड्डी की लंबाई 2 इंच से 5 इंच के बीच होती है। मादा टिड्डी अधिकांशतय: नर
टिड्डी से बड़ी होती हैं।
– ये झुंड (वयस्क समूह) और हापर बैंड्स (अवयस्क समूह) बनाने में सक्षम होते
हैं।
– टिड्डी एक बार में करीब 25 सेंटीमीटर ऊँचा और लगभग 1 मीटर लंबा कूद सकती
है। जबकि इसके उड़ने की रफ्तार करीब 13 किलोमीटर प्रति घंटे की है।
– टिड्डी 1 दिन में 100 से 150 किलोमीटर तक उड़ सकती है। लेकिन उनकी दिशा और
गति तय नहीं होती। हवा का रुख जिस ओर होता है, उसी तरफ निकल जाते हैं। यह
हिंद महासागर को पार करने के लिए 300 किलोमीटर की दूरी भी पार कर जाती है।
– टिड्डी सुबह 7 से 5 बजे तक सफर करती हैं। इस दौरान रुकते भी हैं और जहां ये
रुकते हैं, वहां अंडे देते हैं।
– टिड्डी अंडा देने की अवधि में टिड्डी दल एक स्थान पर 3 से 4 दिन तक रुक
जाता है।
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– टिड्डियों का एक छोटा दल एक दिन में 10 हाथी और 25 ऊंट या 2500 आदमियों के
बराबर खाना खा सकता है।
– टिड्डी शाकाहारी होने के कारण प्राकृतिक और उगाई हुई वनस्पति खाते है।
जिसमें उनके पसंदीदा खाद्य पदार्थ घास, मक्का, गेहूं, जौ अदि हैं।
– टिड्डी किसी प्रकार का घोंसला या अपना घर नहीं बनाते, बल्कि यह भोजन की
तलाश में प्रवासी की तरह नए स्रोतों को खोजते हुए पलायन करते रहते हैं।
– अफ्रीकी, मध्य और दक्षिण अमेरिकी देशों में टिड्डी को आमतौर पर खाए जाते
हैं, टिड्डी प्रोटीन का बहुत अच्छा स्रोत है।
– 2470 से 2220 ईसा पूर्व की अवधि में कब्रों पर टिड्डों की नक्काशी की जाती
थी।
– अरस्तू ने भी टिडडी के प्रजनन और इनकी आदतों का उल्लेख किया था।
– साल 2003 में मॉरिटानिया, माली, नाइजर और सूडान में टिड्डी का पहला प्रकोप
हुआ था।
– इथोपिया और सोमालिया जैसे देशों यानी हॉर्न ऑफ अफ्रीका में पिछले 25 सालों
में टिड्डी दलों का सबसे भयानक हमला अभी भी जारी है।
– टिड्डी चेतावनी संगठन की स्थापना (एलडब्ल्यूओ) 1946 में की गई थी।
जयपुर में लगभग 28 साल बाद मई 2020 में टिड्डी दल ने दस्तक दी। इससे पहले
1993 में टिड्डियों ने जयपुर में फसलों को चट कर दिया था।
साल 1926 से 1931 के बीच टिड्डियों के हमले से लगभग 10 करोड़ का नुकसान हुआ,
जो 100 साल के दौरान सबसे अधिक है।
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