कोरोना का कहर : दो चीनी डॉक्टरों का बदल गया त्वचा का रंग


पूरी दुनिया को कोरोना महामारी की जंग में झौकने वाले चीन में ही Covid19 का नया कहर सामने आया है। चीन के वुहान शहर को इस संक्रमण का केंद्र माना जा रहा है और यहीं लोगों का इलाज कर रहे दो डॉक्टर्स यी फैन और हू वाइफैंग खुद भी संक्रमित हो गए। इन दोनों ही डॉक्टरों का शरीर कोरोना संक्रमण के प्रभाव के चलते असामान्य रूप से काला पड़ गया है जिससे उनकी हालत को देख लोगों में एक नया खौफ पैदा हो गया है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इन डॉक्टर के लिवर तो खराब हुए ही, उनकी त्वचा का रंग असामान्य रूप से काला पड़ गया है।



इनकी देखभाल कर रहे डॉक्टरों ने बताया कि उनकी त्वचा का रंग हार्मोन्स में बदलाव की वजह से काला हुआ है। गौरतलब है कि डॉक्टर हू वाइफैंग कोरोना संक्रमण की जानकारी देने वाली टीम के सदस्य रहे हैं। वही यी फैन हृदयरोग विशेषज्ञ हैं और उन्होंने 39 दिनों में ही कोरोना को मात दे दी थी। दोनों ही जनवरी के आखिरी सप्ताह में वुहान सेंट्रल हॉस्पिटल में एडमिट थे। उन्हें लाइफ सपोर्ट पर रखा गया था, हालांकि जब ठीक होकर दोनों ने आंखे खोली तो खुद को पहचान ही नहीं पाए और अपने चेहरे देखकर डर गए।


डॉक्टर्स के मुताबिक कोरोना के इलाज के दौरान डॉक्टर्स के लिवर को इस वायरस ने काफी नुकसान पहुंचा दिया है। लिवर में खराबी आने का सीधा असर इंसान की त्वचा का रंग बदलने के रूप में दिखाई देता है। चीन की मीडिया के मुतबिक ये दोनों डॉक्टर चीन में कोरोना वायरस के व्हिसल-ब्लोअर ली वेनलियानग के सहयोगी हैं, जिन्हें वायरस के बारे में खुलासा करने के बाद सजा दी गई थी और 7 फरवरी को कोरोना संक्रमण से ही उनकी मौत भी हो गयी थी।





डॉ. हु यूरोलॉजिस्ट हैं और 99 दिनों से बिस्तर पर हैं। उन्हें आईसीयू में रखा गया है, वे उसी अस्पताल में हैं जहां डॉक्टर हु को भर्ती किया गया है। डॉक्टर ली को संदेह है कि इन दोनों डॉक्टरों की त्वचा का रंग इलाज के शुरुआत में दी जाने वाली दवाइयों की वजह से काला पड़ा है। वही डॉ यी फैन वुहान में हृदय रोग विशेषज्ञ के तौर पर काम करते थे और 39 दिनों तक वेंटिलेटर पर रहने के बाद उन्होंने कोरोना वायरस पर जीत हासिल की है।

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