जानिये, हीनयान और महायान में प्रमुख अंतर

हीनयान और महायान में क्या अंतर है– पहले बौद्ध धर्म की दो शाखाएं थीं, पहली हीनयान यानि निम्न वर्ग और दूसरी महायान यानि उच्च वर्ग, हीनयान का मार्ग केवल भिुक्षुओं के ही संभव था। यह लोग परिवर्तन अथवा सुधार के विरोधी थे और बौद्ध धर्म के प्राचीन आदर्शों का ज्‍यों त्‍यों बनाए रखना चाहते थे।हीनयान और महायान के निर्वाण की कल्पना में भी थोड़ा-सा मतभेद है। हीनयान के अनुसार निर्वाण सत्य, नित्य, पवित्र और दुःखाभावरूप है। महायानी इस निर्वाण की प्रथम तीन विशेषताओं को स्वीकार करके अंतिम विशेषता में परिवर्तन करते हैं। इनका निर्वाण वेदांत की मुक्ति के सदृश है।



हीनयान और महायान में 12 प्रमुख अंतर निम्न है–
हीनयान महायान
1. इसे श्रावकयान प्रत्येक बुद्धयान कहा जाता है। 1. इसे बुद्धयान बोधिसत्वयान एकयान एवं श्रेष्ठयान से संबोधित किया जाता है।
2. हीनयान का शाब्दिक अर्थ हीनयान है। 2. इसका शाब्दिक अर्थ उत्कृष्ठ मार्ग है
3. यह व्यक्तिवादी धर्म है अर्थात् प्रत्येक व्यक्ति को अपने प्रयत्नों से मोक्ष प्राप्त करनी चाहिए। 3. यह समस्तीवादी धर्म है जिसका उद्देश्य समस्त मानव जाति का कल्याण करना है।
4. हीनयानी महात्मा बुद्ध के अप्प दीपों भव को अपना मूलमंत्र मानते हैं। ये महात्मा बुद्ध को महापुरुष मानता है देवता नही। 4. महायान में बुद्ध को देवता का दर्जा प्राप्त है। महायान में आत्मा एवं पुनर्जन्म को स्वीकार किया गया है जबकि महात्मा बुद्ध अनात्मवादी थे।
5. हीनयान त्रिकाय की संकल्पना में विश्वास नहीं रखते थे। 5. महायान त्रिकाय धर्मकाय निर्माणकाय एवं संभोगकाय की संकल्पना के समर्थक थे।
6. हीनयान में वृद्ध की मूर्तिपूजा नही अपितु बोधिवृक्ष धर्मचक्र स्तूप प्रतीकों की पूजा विधान था। 6. महायानी मूर्तिपूजक थे और इसमें तीर्थों को महत्व दिया जाता था।
7. हीनयान का आदर्श अर्हत पूज्य पद प्राप्त् करना है। जो व्यक्ति अपनी साधना से निर्वाण प्राप्तकर्ता अर्हत कहलाते है जैसे यवन शासक मिनाण्डर। 7. महायान का अर्थ बोधिसत्व प्राप्त करना है।
8. हीनयान का प्रमुख संप्रदाय वैभाषिक व सौत्रान्तिक है। 8. महायान का प्रमुख संप्रदाय पूर्व शैल भदयानीय शून्यवाद विज्ञानवाद है।
9. हीनयान में केवल पुद्गल शून्यता का उल्लेख है। 9. महायान में पुद्गल शून्यता एवं धर्म शून्यता दोनों का उल्लेख है।
10. हीनयान के ग्रंथ सामान्यत: पालि भाषा में है। 10. महायान के ग्रंथ सामान्यत: संस्कृत भाषा में है।
11. हीनयान का प्रमुख साहित्य कथावस्तु विशुद्धि मग्ग, अवदान शतक है। 11. महायान का अष्टसा हस्त्रिका प्रज्ञापारमिता प्राचीनतम ग्रंथ है।
12. हीनयान के प्रमुख दार्शनिक वसुबंधु, कुमारलात, इत्सिंग है।
12. महायान के प्रमुख दार्शनिक नागार्जुन, असंग, ह्रेनसांग, मैत्रेय, वसुबंधु है।

Post a Comment

0 Comments