मीर बाकी (Baqi Tashqandi) कौन था?

मीर बाकी मुगल बादशाह बाबर का एक प्रमुख कमांडर था और मूल रूप से ताशकंद (मौजूद समय में उज्बेकिस्तान का एक शहर) का निवासी था मीर बाकी मुगल बादशाह बाबर के साथ ही भारत आया था माना जाता है कि बाबर ने उसे अवध प्रदेश का शासक यानी गवर्नर बनाया था, बाबरनामा में मीर बाकी को बाकी ताशकंदी के नाम से भी बुलाया गया है इसके अलावा उसे बाकी शाघावाल, बाकी बेग और बाकी मिंगबाशी नामों से भी जाना गया, लेकिन बाबरनामा में उसे मीर नाम से नहीं पुकारा गया है, जनवरी फरवरी 1526 में बाकी को शाघावाला नाम से वर्णित किया गया है उस वक्त बाकी को लाहौर के पास दिबलपुर का क्षेत्र दिया गया और बल्ख (अब अफगानिस्तान) में एक विद्रोही को वश में करने की जिम्मेदारी दी गई यहां से वापस आने के बाद बाकी को चिन तिमूर सुल्तान के नेतृत्व में 6-7 हजार सैनिकों का कमांडर बनाया गया 1528 में इस सेना को एक अभियान पर चंदेरी भेजा गया यहां से उनके दुश्मन भाग निकले और चिन तिमूर सुल्तान को उनका पीछा करने का आदेश मिला, जबकि अधीनस्थ कमांडर (बाकी) को इससे आगे न जाने का आदेश हुआ मार्च 1528 में चिन तिमूर सुल्तान के ही नेतृत्व में बयाजिद और बिबन (इब्राहिम लोदी के पूर्व कर्मचारी) को अवध के पास पकड़ने के लिए भेजा गया इन दोनों ने मुगल सेना से लखनऊ का मुगल किला छीन लिया और 1529 तक लखनऊ को अपने कब्जे में रखा मुगल सेना की इस हार का ठींकरा मीर बाकी के सिर फूटा।



संभवत: उस वक्त लखनऊ किले की जिम्मेदारी मीर बाकी के कंधों पर थी बाबर हार मानने वाला नहीं था, उसने कुकी और अन्य के नेतृत्व में और सेना भेजी बयाजिद और बिबन को जब और सेना के आने की भनक लगी, तो वे लखनऊ से भाग निकले लखनऊ किले को कुछ समय के लिए खोना और बाकी के उस पर कब्जा न रख पाने की वजह से बादशाह बाबर उससे बहुत नाराज था इसके बाद 13 जून, 1529 को बाबर ने मीर बाकी को बुलावा भेजा, 20 जून, 1529 को बादशाह ने बाकी को अपनी सेना से निकाल दिया बाकी के साथ ही अवध में उसकी सेना को भी बाबर ने निकाल दिया, जिसका वह नेतृत्व करता था माना जाता है कि इसी मीर बाकी ने 1528 में बाबरी मस्जिद का निर्माण कराया था जो आगे चलकर एक बड़े विवाद का कारण बनी।

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