जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर

24th Tirthankara Lord Mahavira
जैन धर्म की वास्तविक संस्थापक 24वें तीर्थकर भगवान माहवीर है। यद्यपि जैन धर्म को संगठित व विकसित करने का श्रेय वर्धमान महावीर को दिया जाता है, तथापि वे इस धर्म के संस्थापक नहीं थे। जैनधर्म की स्थापना का श्रेय जैनियों के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव को जाता है। जैन शब्द संस्कृत के 'जिन' शब्द से बना जिसका अर्थ विजेता (जितेन्द्रिय) है। जैन महात्माओं की​ निर्ग्रन्थ (बंधन रहित) तथा जैन धर्म के अधिष्ठाता को तीर्थकर कहा गया। जैन धर्म के प्रथम तीर्थकर ऋषभदेव या आदिनाथ थे। ऋषभदेव व अरिष्टनेम का उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है।



24वें तीर्थकर माहवीर (जैन धर्म के वास्तविक संस्थापक)
जन्म – 540 ई पू (पुरानी इतिहास NCERT)
जन्मस्थान – कुंडग्राम (निकट वैशाली) बिहार
पिता – सिद्धार्थ (वज्जि संघ के, कुंड ग्राम के ज्ञातृक क्षत्रिय के प्रधान)
माता – त्रिशला (लिच्छवी शासक चेटक की बहन)
पत्नी – यशोदा (कुण्डिन्य गोत्र के राजा समरवती की कन्या)
दामाद – जामालि (प्रथम विरोधी) (ज्ञान प्राप्ति के 14वें वर्ष)
द्वितीय विरोधी – तिसगुप्त (ज्ञान प्राप्ति के 16वें वर्ष)
गृह त्याग – 30 वर्श की आयु में बड़े भाई नन्दिवर्धन की आज्ञा से।
शिष्य – मक्खलि पुत्र गोशाल (आजीवक संप्रदाय के संस्थापक)
बचपन का नाम – वर्धमान
गोत्र/वंश – कश्यप/इक्ष्वाकु
प्रतीक – सिंह
प्रथम वर्षावास – अस्ति का नाम
अंतिम वर्षावास – पावापुरी
पुत्री – प्रियदर्शना (अणोज्जा)


ज्ञान प्राप्ति – 12 वर्ष की तपस्या।
ज्ञान प्राप्त स्थल – 42 वर्ष की अवस्था में जृम्भिका ग्राम में ऋजुपालिका नदी के तट पर।
साल वृक्ष – इसी वृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति
प्रथम शिष्य – जामालि (दामाद व भांजा) प्रियदर्शना का पति
प्रथम शिष्या – चंदना (भिक्षुणी संघ की प्रमुख)
प्रथम उपदेश – राजगृह में विपुलांचल पहाड़ी पर वाराकर नदी के तट पर।
प्रमुख उपाधि – केवलिन (कैवल्य : सर्वोच्च ज्ञान प्राप्त व्यक्ति) जिन (विजेता) अर्हत् (पूज्य), निर्ग्रन्थ (बंधनरहित)
जीवन के अंत में निर्वाण– पावापुरी (​नालंदा) विहार में 72 वर्श की आयु में दीपावली के दिन 468 ई पू को निर्वाण।
​– सस्तिपाल (मल्ल गणराज्य के प्रधान) का शासित क्षेत्र।

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महावीर जयंती – प्रत्येक वष 9 अप्रैल को मनाया जाता है।
स्पष्टीकरण 1. जृम्भिका ग्राम हजारीबाग के निकट पार्श्वनाथ की पहाड़ियों में स्थित है। ऋजुपालिका नदी की पहचान बराकर नदी (दामोदर नदी के निकट) से की गई है।
2. अनेक विद्वानों का मानना है कि महावीर की वास्तविक निर्वाण स्थली बिहार के पावापुरी (नालंदा जिला) में है परंतु डॉ. ओ पी एल श्रीवास्तव का मत उत्तर प्रदेश के कुशीनगर निकट पड़रौना (वीरभारी) से है।
3. अनेक विद्वान महावीर की जन्म तिथि 30 मार्च 599 ई पू और निर्वाण तिथि 15 अक्टूबर 527 ई पू मानते हैं। जबकि प्राचीन इतिहास (पुरानी NCERT) लेखक रामशरण शर्मा ने पृष्ठ संख्या 101 पर जन्म 540 ई पू व निर्वाण 468 ई पू तिथि को उचित माना है।

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