नोबेल शांति पुरस्कार 2019 मिला इथियोपिया PM को

nobel peace prize 2019 winner

शांति का नोबेल पुरस्कार 2019 इथियोपिया के प्रधानमंत्री अबी अहमद अली (Abiy Ahmed Ali) के देने की घोषणा 11 अक्टूबर 2019 को हुई। यह पुरस्कार उनके देश के चिर शत्रु इरिट्रिया के साथ 22 साल पुराने युद्ध संघर्ष को सुलझाने के लिए दिया गया है। जुलाई 2018 में दोनों देशों के बीच शांति समझौता हुआ था। नोबेल कमेटी के अनुसार अबी अहमद अली को शांति और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग प्राप्त करने के प्रयासों के लिए और विशेष रूप से पड़ोसी इरिट्रिया के साथ सीमा संघर्ष को सुलझाने के निर्णायक पहल के लिए इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 2019 के नोबेल पुरस्कार के लिए 301 उम्मीदवार थे। इनमें 223 शख्सियत और 78 संस्थाएं शामिल थीं।



नोबेल पुरस्कार पाने वाले अबी अहमद 100वें व्यक्ति होंगे। ओस्लो में 10 दिसंबर 2019 को उन्हें 9 मिलियन डॉलर का यह शांति पुरस्कार प्रदान किया जाएगा। बता दे कि 1901 से अब तक नोबेल शांति पुरस्कार 99 व्यक्तियों और 24 संगठनों को दिए जा चुके हैं। नोबेल से जुड़े पुरस्कारों का ऐलान स्टॉकहोम में होता है जबकि शांति पुरस्कार की घोषणा नार्वे की राजधानी ओस्लो में की जाती है।

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इथियोपिया अफ्रीका का दूसरा सबसे घनी आबादी वाला देश है और पूर्वी अफ्रीका का सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश है।



कौन है अबी अहमद अली
अबी अहमद का जन्म दक्षिण इथियोपिया के जिमा ज़ोन में 1976 में हुआ था। उनके पिता ओरोमो मुस्लिम थे और मां अम्हारा ईसाई। उन्होंने कई विषयों में डिग्री हासिल की। इसमें आदिस अबाबा विश्वविद्यालय से शांति एवं सुरक्षा में डॉक्टरी की डिग्री भी शामिल है। इसके अलावा उन्होंने लंदन के ग्रीनविच विश्वविद्यालय से ट्रासफॉरमेशनल लीडरशिप में मास्टर डिग्री हासिल की।



किशोरावस्था में वे तब के दर्ग्यू शासन के ख़िलाफ़ सशस्त्र संघर्ष में शामिल हो गए और आखिर में ख़ुफ़िया और संचार सेवाओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए लेफ़्टिनेंट कर्नल के पद तक पहुंचे। 1995 में उन्होंने रवांडा में संयुक्त राष्ट्र के शांतिदूत के रूप में कार्य किया। इरिट्रिया के साथ 1998-2000 में सीमा विवाद के दौरान उन्होंने इरिट्रिया के डिफेंस फोर्स के इलाकों में एक टोही मिशन पर गई जासूसी टीम का नेतृत्व किया था।

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वर्ष 2010 में अबी राजनीति में शामिल हुए। ओरोमो पीपल्स डेमोक्रेटिक ऑर्गेनाइजेशन के सदस्य बने और फिर संसद के सदस्य चुने गए। संसद में उनका कार्यकाल के दौरान ही मुसलमानों और ईसाइयों के बीच संघर्ष शुरू हुआ। उन्होंने इस समस्या के समाधान के लिए 'शांति के लिए धार्मिक मंच' नामक फोरम की स्थापना की। वर्तमान में वह किसी भी अफ़्रीकी सरकार के सबसे युवा प्रमुख हैं।

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