हांगकांग चीन के दक्षिण में पर्ल नदी के तट पर दक्षिण चीन सागर के किनारे स्थित है, इसकी कुल जनसंख्या केवल 70 लाख है, लेकिन हांगकांग अपनी व्यापारिक व आर्थिक गतिविधियों के कारण विश्व में अलग स्थान रखता है, इसी कारण हांगकांग को ग्लोबल सिटी अथवा अल्फा प्लस (Alfa+) सिटी के नाम से भी जाना जाता है हांगकांग की समस्या चीन की अधिनायकवादी नीतियों तथा उसकी अंतर्राष्ट्रीय समझौतों का पालन न करने की प्रवृत्ति का जीता जागता उदाहरण है हांगकांग को ब्रिटेन द्वारा 1997 में चीन को सौंपा गया था। इसकी पृष्ठभूमि यह है कि हांगकांग को 1898 में ब्रिटेन ने चीन से पट्टे पर लिया था, वास्तव में ब्रिटेन ने चीन के साथ पहले अफीम युद्ध, 1842 तथा दूसरे अफीम युद्ध, 1860 के बाद हांगकांग पर कब्जा कर लिया था, इसके बाद हांगकांग से सटे कतिपय अन्य क्षेत्रों को प्राप्त करने के लिए 1898 में पट्टे का समझौता किया था।
पट्टा अवधि पूरी होने के बाद 1 जुलाई, 1997 को ब्रिटेन ने हांगकांग को चीन को वापस कर दिया था, लेकिन इसके पहले चीन के सहयोग से हांगकांग के संविधान अथवा बेसिक लॉ का निर्माण किया गया था, हांगकांग की स्वायत्ता बनाए रखने के लिए ब्रिटेन द्वारा यह शर्त लगाई गई थी कि अगले पचास वर्षों तक हांगकांग के लोकतांत्रिक स्वरूप व उसकी स्वायत्ता में परिवर्तन नहीं किया जाएगा, चीन के अंदर इस व्यवस्था को वन चाइना टू सिस्टम के नाम से जाना जाता है, लेकिन चीन अब इस समझौते का पालन नहीं कर रहा है तथा नये-नये हथकंडे अपना कर हांगकांग की स्वायत्ता को समाप्त करना चाहता है। वर्तमान में विवाद का मुख्य कारण हांगकांग की विधानसभा में चीन द्वारा प्रस्तावित वह कानून है, जिसके द्वारा हांगकांग के निवासियों को अपराध के आरोप में चीन ले जाया जा सकेगा तथा वहां उन्हें सजा भी दी जा सकेगी इसके विरोध में 9 जून, 2019 को हांगकांग की दस लाख की आबादी में से 10 लाख लोगों ने विद्रोह प्रदर्शन किया था, इसी तरह का प्रदर्शन 16 जून 2019 को भी किया गया था, यह हांगकांग के इतिहास का सबसे बड़ा विरोध प्रदर्शन है इस विरोध के कारण यद्यपि अभी यह कानून वापस ले लिया गया है, लेकिन चीन कभी भी इसे दोबारा ला सकता है।
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