मैन बुकर पुरस्कार 2019 विजेता: ओमान की जोखा अल-हार्थी बनीं

Jokha Alharthi
पश्चिम एशियाई देश ओमान (Oman) की साहित्यकार जोखा अल्हार्थी (Jokha Alharthi) ने वर्ष 2019 का प्रतिष्ठित मैन बुकर अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार (Man Booker International prize) जीता है। यह पुरस्कार पाने वाली जोखा अरबी भाषा की पहली लेखिका हैं। अरबी भाषा में लिखी उनकी किताब ‘कैलेस्टियल बॉडीज’ (Celestial Bodies) के लिए यह पुरस्कार दिया गया है। यह कहानी तीन बहनों और एक मरुस्थली देश की है जो दासता के अपने इतिहास से उबर कर आधुनिक विश्व के साथ तालमेल करने की जद्दोजहद करता है। वह पुरस्कार में मिली 50,000 पाउंड की राशि को ब्रिटेन की अनुवादक मार्लिन बूथ के साथ साझा करेंगी। मार्लिन ने उनकी किताब का अंग्रेजी में अनुवाद किया था।

जोखा अल्हार्थी को बुकर पुरस्कार में जीत के स्वरूप 50 हजार पाउंड यानी 44 लाख रुपए से ज्यादा की रकम मिलेगी। इस रकम को उन्होंने अपने उपन्यास ‘कैलेस्टियल बॉडीज’ की अनुवादक अमेरिका की मर्लिन बूथ के साथ बांटने का फैसला किया है। ओमान की तीन बहनों पर केंद्रित मूलतः अरबी में लिखे गए इस उपन्यास का मर्लिन ने अंग्रेजी में अनुवाद किया है। ‘कैलेस्टियल बॉडीज’ उपन्यास में तीन बहनों- मय्या, अस्मा और ख्वाला की कहानी जो एक मरुस्थली देश में रहती हैं। उपन्यास में तीनों बहनों के दासता के अपने इतिहास से उबर कर जटिल आधुनिक विश्व के साथ तालमेल करने की जद्दोजहद का वर्णन किया गया है।



मस्कट की सुल्तान काबुस यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर जोखा ने इडेनबर्ग यूनिवर्सिटी से अरबी काव्य की पढ़ाई की है। वह अरबी भाषा में तीन उपन्यास, बच्चों की एक किताब और दो लघु कहानी संग्रह लिख चुकी हैं।

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मैन बुकर इंटरनेशनल अवार्ड दुनियाभर में लिखे गए उपन्यासों के अंग्रेजी अनुवाद को दिया जाता है। 2005 में शुरू हुआ यह अवार्ड पहले हर दो साल पर दिया जाता था। 2016 से यह हर वर्ष दिया जाने लगा। पुरस्कार की राशि लेखक और अनुवादक के बीच बंटती है। इस साल के अवार्ड के लिए जोखा समेत पांच लेखिकाएं और कोलंबिया के उपन्यासकार जुआन गर्बियल नामित थे।

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