केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) - स्थापना, महानिदेशक व कार्य

Central Bureau of Investigation
केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो सीबीआई (Central Bureau of Investigation - CBI) की स्थापना का मूल वर्ष 1941 में तत्कालीन ब्रिटिश भारतीय सरकार द्वारा निर्मित 'विशेष पुलिस स्थापना' (Special Police Establishment : SPE) में निहित है। SPE का निर्माण द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारत के युद्ध तथा आपूर्ति विभाग के साथ लेन-देन में रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार के मामलों की जांच पड़ताल के लिए किया गया था। SPE का अधीक्षण युद्ध विभाग में विहित था।

कालांतर में, संथानम समिति की अनुशंसाओं के आधार पर भ्रष्टाचार की रोकथाम के लिए गृह मंत्रालय के एक प्रस्ताव द्वारा सीबीआई (CBI) की स्थापना की गयी। तत्पश्चात इसे कार्मिक मंत्रालय में स्थानांतरित कर दिया गया और वर्तमान में यह एक अनुलग्र कार्यालय की तरह कार्य करता है।
• सीबीआई (CBI) एक वैधानिक निकाय नहीं है। यह दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम, 1946 से अपनी शक्तियां प्राप्त करता है।
• सीबीआई (CBI) केंद्र सरकार की प्रमुख जांच एजेंसी है। यह भ्रष्टाचार की रोकथाम और प्रशासन की एकता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। भ्रष्टाचार निवारण ​अधिनियम, 1988 के तहत यह केंद्रीय सतर्कता आयोग के अधीक्षण के तहत कार्य करती है।



केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की संरचना
सीबीआई (CBI) की अध्यक्षता निदेशक द्वारा की जाती है तथा एक विशेष निदेशक या अतिरिक्त निदेशक इसे सहायता प्रदान करता है। इसके अतिरिक्त, इसमें कई संयुक्त निदेशक, उपमहानिरीक्षक, पुलिस अधीक्षक और सामान्य रैंक के अन्य पुलिसकर्मी सम्मिलित होते हैं।
• CBI निदेशक, पुलिस महानिरीक्षक के रूप में दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना के तहत संगठन के प्रशासन के लिए उत्तरदायी होता है।
• CVC अधिनियम, 2003 (विनीत नारायण बाद) द्वारा CBI के निदेशक को 2 वर्ष के कार्यकाल की सुरक्षा प्रदान की गई है।
• CVC अधिनियम, 2003 CBI के निदेशक और CBI में पुलिस अधीक्षक तथा इससे उच्च अधिकारियों के चयन की व्यवस्था भी प्रदान करता है। CBI के निदेशक को एक समिति की अनुशंसा पर केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किया जाता है। इस समिति में निम्नलिखित सदस्य सम्मिलित होते हैं :
• केंद्रीय सतर्कता आयुक्त अध्यक्ष के रूप में,
• अन्य सतर्कता आयुक्त,
• गृह संचिव-भारत सरकार; तथा
• कैबिनेट सचिवालय के सचिव (समन्वय और लोक शिकायत)

केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की शाखाएं
वर्तमान में CBI की शाखाएं है–
1. भ्रष्टाचार-निरोधक शाखा
2. आर्थिक अपराध शाखा
3. विशेष अपराध शाखा
4. नीतिगत एवं अंतर्राष्ट्रीय पुलिस सहयोग शाखा
5. प्रशासनिक शाखा
6. अभियोजन निदेशालय
7. केंद्रीय फोरेंसिक विभाजन प्रयोगशाला



केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के कार्य
सीबीआई (CBI) के कार्य निम्नलिखित हैं–
(i) केंद्र सरकार के कर्मचारियों के भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी और कदाचार के मामलों की जांच करना।
(ii) राजकोषीय तथा आर्थिक कानूनों के उल्लंघन से संबंधित मामलों की जांच करना। इनमें निर्यात और आयात नियंत्रण, केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क, आय कर, विदेशी मुद्रा विनिमय के विनिमय आदि से सम्बंधित कानूनों के उल्लंघन के मामले सम्मिलित हैं। हालांकि, ऐसे मामलों में सम्बंधित विभाग के अनुरोध या परामर्श के आधार पर ही कदम उठाये जाते हैं।
(iii) पेशेवर अपराधियों के संगठित गिरोहों द्वारा प्रतिबद्ध राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रभाव वाले गंभीर अपराधों की जांच करना।
(iv) भ्रष्टाचार-निरोधक एजेंसियों और विभिन्न राज्य पुलिस बलों के मध्य समन्वय स्थापित करना।
(v) राज्य सरकार के अनुरोध पर सार्वजनिक महत्व के किसी मामले को जांच के लिए अपने हाथ में लेना।
(vi) अपराध से सम्बंधित आंकड़ों का निरीक्षण करना और आपराधिक सूचनाओं का प्रसार करना।
CBI भारत सरकार की एक बहुविषयक जांच एजेंसी है। CBI को भ्रष्टाचार संबंधी मामलों की जांच, आ​र्थिक अपराध और पारपरिक अपराध के मामलों की जांच की उत्तरदायित्व प्राप्त है। सामान्यत: यह केंद्र सरकार, केंद्र शासित प्रदेश तथा उनके लोक उद्यमों के कर्मचारियों के भ्रष्टाचार के अनुसंधान तक सीमित रहती है। परन्तु यह राज्य सरकारों द्वारा अनुरोध करने पर या उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय द्वारा निर्देश देने पर पारंपरिक अपराधों जैसे हत्या, अपहरण, बलात्कार आदि की भी जांच करती है। CBI भारत में इंटरपोल के 'राष्ट्रीय केंद्रीय ब्यूरो' (National Central Bureau) के रूप में कार्य करती है। CBI की इंटरपोल विंग भारतीय कानून प्रवर्तमन एजेंसियों और इंटरपोल के सदस्य देशों से होने वाली जांच संबंधी गतिविधियों के अनुरोधों का समन्वय करती है।

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