भारत की आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था | India's Internal Security Organizations

 India's Internal Security Organizations

भारत के आंतरिक सुरक्षा संगठन (India’s Internal Security Organization) : अगर आप किसी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे है। तो भारत के आंतरिक सुरक्षा संगठन के बारे में जरूर जान ले। क्यूंकि सभी सामान्य ज्ञान के पेपर में स्थापना दिवस, मुख्यालय, महानिदेशक आदि पर 2 या 3 प्रश्न अवश्य पूछे जाते है। इस पोस्ट से आप जान जाओगें कि भारत के आंतरिक सुरक्षा संगठन कौन से है और उनकी क्या भूमिका है।

भारतीय प्रतिरक्षा से संबंधित कुछ प्रमुख संस्थाओं का विवरण इस प्रकार हैं–
नेशनल कैडेट कोर (National Cadet Corps- NCC) – एनसीसी की स्थापना वर्ष 1948 में हुई थी। नेशनल कैडेट कोर (NCC) का मुख्य उद्देश्य भारत की रक्षा के प्रति युवकों तथा युवतियों को जागरूक करना तथा उन्हें अंतिम रक्षा-पंक्ति के लिए तैयार रखना है। इसका आदर्श वाक्य 'एकता और अनुशासन' (Unity and Discipline) है। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है। एनसीसी की उत्पत्ति सेना की कमी को बनाने के लिए वस्तु के साथ, भारतीय रक्षा अधिनियम 1917 के तहत बनाया गया था। पंडित हेमवती कुंजरू की अध्यक्षता वाली समिति ने एक राष्ट्रीय स्तर पर स्कूलों और कॉलेजों में स्थापित करने के लिए एक कैडेट संगठन की सिफारिश की थी। राष्ट्रीय कैडेट कोर अधिनियम गवर्नर जनरल ने स्वीकार कर लिया और 15 जुलाई 1948 को नेशनल कैडेट कोर अस्तित्व में आया था। राष्ट्रीय कैडेट कोर अनुशासित और देशभक्त नागरिकों में देश के युवाओं को संवारने में लगे हुए सेना, नौसेना और वायु सेना, जिसमें एक त्रिकोणीय सेवा संगठन है।

प्रादेशिक सेना (Territorial Army) – प्रादेशिक सेना भारतीय सेना की एक ईकाई तथा सेवा है। इसका गठन रक्षा की द्वितीय पंक्ति के रूप में किया गया है। इसमें 18 से 35 वर्ष की आयु के नौजवान नागरिक भर्ती किये जाते हैं। इन्हें पार्ट टाइम में सैनिक प्रशिक्षण दिया जाता है और आपात स्थिति में इस सेना को बुलाया जाता है। टेरिटोरियल आर्मी के रूप में प्रसिद्ध इस सेना के जवानों को टेरियार्स भी कहा जाता है। भारतीय संविधान द्वारा सितंबर 1948 में पारित प्रादेशिक सेना अधिनियम, 1948, के मुताबिक भारत में अक्टूबर, 1949 को प्रादेशिक सेना स्थापित हुई। भारत के पहले गवर्नर जनरल श्री राजगोपालाचारी ने 9 अक्टूबर 1949 को इंडियन टेरिटोरियल आर्मी का उद्घाटन किया था। नियमित सेना को स्थैतिक (static) कर्तव्यों से मुक्त करना और आवश्यकता पड़ने पर सिविल प्रशासन की सहायता करना, समुद्र तट की रक्षा और हवा मार यूनिटों की व्यवस्था तथा आवश्यकता होने पर नियमित सेना के लिए यूनिटों की व्यवस्था करना प्रादेशिक सेना के मुख्य कार्य हैं। प्रादेशिक सेना के अनेक विभाग हैं, जैसे कवच कोर (armoured corps); तोपखाना कोर, जिसमें हवामार और तटरक्षा यूनिटें सम्मिलित हैं इंजीनियर कोर, जिसमें बंदरगाह और रेलवे यूनिटें सम्मिलित हैं; संकेत कोर, जिसमें डाक तार कोर शामिल हैं; पैदल सेना; सेना सेवा कोर; सेना चिकित्सा कोर तथा विद्युत और यांत्रिक इंजीनियरी का कोर।

सीमा सुरक्षा बल (Border Security Force-BSF) – सीमा सुरक्षा बल स्थापना दिवस 1 दिसम्बर को मनाया जाता है। बीएसएफ की स्थापना 1 दिसम्बर 1965 को 25 बटालियनों के साथ हुई थी। इसका प्रमुख कार्य शत्रु-सेना की घुसपैठ तथा सीमा-उल्लंघन से अपने देश की सीमा को सुरक्षित बनाना है। बीएसएफ पर भारत-पाकिस्तान और भारत-बांग्लादेश की लगभग 6386 किलोमीटर लंबी सीमाओं की सुरक्षा का दायित्व है। इस विशाल सीमाओं के पार व आस पास होने वाले अपराध नियंत्रण में भी बीएसएफ महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है।

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असम राइफल्स (Assam Rifles) – पूर्वोत्तर में भारत-म्यांमार सीमा और भारत-चीन सीमा की सुरक्षा असम राइफल्स द्वारा की जाती है। देश के इस प्राचीनतम अद्र्धसैनिक बल की स्थापना 1835 ई. में कछार लेवी के नाम से किया गया था। यह केंद्रीय सशस्त्र बल है जिसकी 46 बटालियन है। इस बल को प्यार से 'पूर्वोत्तर का प्रहरी' और 'पर्वतीय लोगों का मित्र' कहा जाता है। इसका आदर्श वाक्य 'फ्रेंड्स ऑफ द हिल पीपुल एंड सेंटीनेल्स ऑफ नॉर्थ-ईस्ट' है। असम राइफल्स का मुख्यालय शिलांग (Shillong) में स्थित है।

राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (National Security Guard - NSG) – भारत सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा सात केन्द्रीय सशस्त्र बलों (सीएपीएफ) में से एक नेशनल सिक्योरिटी गॉर्ड्स या एनएसजी कमांडो होते हैं। आतंकवादियों का मुकाबला करने और 1984 के हाईजैक जैसी घटनाओं को रोकने के लिए 1984 में संघीय आपात बल के रुप में राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) का गठन किया गया। एनएसजी यूके के एसएएस और जर्मनी के जीएसजी-9 कमांडो बलों के पैटर्न पर आधारित है। एनएसजी कमांडो हमेशा काले रंग के नकाब, काले कपड़े और काले रंग के ही अन्य जरूरत के सामानों का प्रयोग करते हैं। इसलिए एनएसजी कमांडो को ब्लैक कैट कमांडो भी कहा जाता है। इसके दो समूह हैं – स्पेशल एक्शन ग्रुप (SAG) जिसमें सैन्य कर्मचारी होते हैं और स्पेशल रिजर्व ग्रुप (SRG) जिसमें राज्य पुलिस बलों के कर्मचारी होते हैं। एनएसजी कमांडो को आमतौर पर ब्लैक कैट कमांडों के नाम से जाना जाता है। इनकी ट्रेनिंग मानेसर, हरियाणा में होती है।

केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (Central Industrial Security Force – CISF) – एक अर्धसैनिक बल हैं। इसकी स्थापना 10 मार्च 1969 में की गई। जिसका कार्य सरकारी कारखानो एवं अन्य सरकारी उपक्रमों को सुरक्षा प्रदान करना है। यह देश के विभिन्न महत्वपूर्ण संस्थानों की भी सुरक्षा करता है। इस बल का गठन 10 मार्च 1969 में हुआ था। इस बल की संख्या लगभग 1.50 लाख है। सरकारी उपक्रमों की सुरक्षा के आलावा देश के आंतरिक सुरक्षा,विशिष्ट लोगों की सुरक्षा,मेट्रो,परमाणु संस्थान,ऐतिहासिक धरोहरों आदि की भी सुरक्षा करता है। इस बल के अधिकारियों को हकीमपेट (हैदराबाद) में स्थित राष्ट्रीय औद्योगिक सुरक्षा अकादमी में प्रशिक्षण दिया जाता है।

केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (Central Reserve Police Force - CRPF) – इसकी स्थापना 27 जुलाई, 1939 में की गई। इसे पहले क्राउन रिप्रेजेंटेटिव पुलिस कहा जाता था। 28 दिसंबर, 1949 के बाद से इसे सीआरपीएफ कहा जाने लगा। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल का मुख्य लक्ष्य रेड काँलिडोर मे नकस्लियों को रोकना व कश्मीर में शान्ति स्थापित करना व देश की एकता व अखण्डता को बनाए रखना ही इसका मुख्य उददेश्य है।  इस बल को शुरू में कानून व व्यवस्था बनाए रखने में रजवाड़ों की सहायता करने की जिम्मेदारी दी गयी थी। लेकिन कालान्तर मे देश ने बढ़ते आन्तरिक व बाहरी खतरो से निपटने मे के लिये इस बल की सख्या मे इजाफा किया गया ओर आज इसमे जवानो की सख्या लगभग 3 लाख है इसकी कुल 230 बटालियन है जिनमे 10 कोबरा बटालियन 10 रेपिड एक्शन फोर्स कि बटालियन 5 सिग्नल बटालियन व 4 एनडीआएफ की बटालियन है। इसका मुख्यालय दिल्ली में है। राजस्थान के मांउट आबू में सीआरपीएफ अकेडमी स्थित हैं। यहाँ इस बल के अधिकारियों को ट्रेनिंग दी जाती है। इसके अलावा, नीमच (मध्य प्रदेश) कोयंबटूर (तमिलनाडु) और नांदेड़ (महाराष्ट्र) में सी आर पी एफ के तीन प्रशिक्षण कॉलेज हैं जहाँ अधीनस्थ अधिकारियों के लिए पाठ्यक्रम चलाये जाते हैं।

सशस्त्र सीमा बल (Sashastra Seema Bal-SSB) – देश की सीमाओं की सुरक्षा में लगे सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) का गठन 1963 में किया गया था। इसके गठन का मुख्य उद्देश्य 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद सीमावर्ती क्षेत्रों के लोगों में विश्वास पैदा करना और देशभक्ति की भावना का विकास करना था। एसएसबी 15 जनवरी, 2001 से गृह मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में है। वर्तमान में भारत-नेपाल और भारत-भूटान सीमाओं पर कार्यरत एसएसबी इससे पहले भारत-चीन के सीमावर्ती क्षेत्रों के अलावा राजस्थान, गुजरात, मिजोरम, नागालैंड, मणिपुर, मेघालय और सिक्किम की सीमाओं पर अपनी सेवा दे चुका है। वर्ष 2018 में सशस्त्र सीमा बल ने अपना 55वां स्थापना दिवस मनाया था।



भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (Indo-Tibetan Border Police - ITBP) – भारत-तिब्बत सीमा पुलिस का गठन चीन आक्रमण के बाद अक्टूबर, 1962 को किया गया था। इसका गठन खुफिया/सिग्नल/पायनियर/इंजीनियरिंग/चिकित्सा और छापामार की एकीकृत इकाई के रूप में किया गया था और नियंत्रण प्रारंभ में खुफिया ब्यूरो के हाथों में दिया गया था। वर्ष 1975 में इसके कार्यक्षेत्र की पुन: व्याख्या की गई, जिसके तहत इन पर सीमा पार से घुसपैठ और अपराध को रोकने का उत्तरदायित्व सौंपा गया। भारत-तिब्बत सीमा पुलिस का मुख्यालय नई दिल्ली में है और इसका अध्यक्ष महानिदेशक होता है। आईटीबीपी का आदर्श वाक्य 'शौर्य-दृढ़ता-कर्म-निष्ठा' है। यह बल वर्तमान में मध्य और पश्चिमी हिमालय क्षेत्र में आपदा प्रबंधन की नोडल एजेंसी का दायित्व संभालने के साथ-साथ कैलाश मानसरोवर यात्रा की दौरान तीर्थयात्रियों को सुरक्षा-संचार और स्वास्थ्य-सुविधाएँ भी उपलब्ध करवाता है। वर्तमान में भारत-तिब्बत सीमा पुलिस में कुल 68 (जनवरी, 2017 तक) बटालियन हैं।

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