1942-भारत छोड़ो आंदोलन के सभी महत्वपूर्ण तथ्य

भारत छोड़ो आन्दोलन क्या है?
भारत छोड़ो आन्दोलन 9 अगस्त, 1942 ई. को सम्पूर्ण भारत में राष्ट्रीयता महात्मा गांधी के आह्वान पर प्रारम्भ हुआ था।
● इस आंदोलन को अगस्त क्रांति भी कहा जाता है जो भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की अंतिम महान लड़ाई थी।



भारत छोड़ो आन्दोलन के कारण
1. निकट पूर्व में जापान की शानदार सफलता से भारतीयों को यह विश्वास हो गया कि ब्रिटिश साम्राज्य का खात्मा अवश्यंभावी है।
2. क्रिप्स मिशन की असफलता ने भारतीयों को कटुता से भर दिया।
3. भारतीयों को यह विश्वास हो गया कि ब्रिटिश सरकार युद्ध के बीच किसी भी प्रकार के सम्मानजनक समझौते के लिए तैयार नहीं है।
4. युद्ध के कारण भारत की बिगड़ती हुई आर्थिक स्थिति।
5. भारत में विदेशी सैनिकों का अभद्र व्यवहार।

भारत छोड़ो आन्दोलन कब शुरू हुआ
● 14 जुलाई, 1942 ई. को वर्धा प्रस्ताव द्वारा कांग्रेस कार्यकारिणी समिति ने अंग्रेजों को भारत से चले जाने की मांग की।
● इस प्रस्ताव से पूर्व गांधीजी ने कांग्रेस को अपने प्रस्ताव को न स्वीकार किये जाने की स्थिति में चुनौती देते हुए कहा कि ‘मैं देश की बालू से ही कांग्रेस से भी बड़ा आंदोलन खड़ा कर दूँगा।’ गांधीजी ने ब्रिटिश से भारत को ईश्वर के हाथों में सौंपकर चले जाने को कहा।
● आन्दोलन की सार्वजनिक घोषणा से पूर्व 1 अगस्त, 1942 ई. को इलाहाबाद में ‘तिलक दिवस’ मनाया गया। इस अवसर पर पं जवाहरलाल नेहरू ने कहा, ‘हम आग से खेलने जा रहे है। हम दुधारी तलवार का प्रयोग करने जा रहे हैं, जिसकी चोट उल्टी हमारे ऊपर भी पड़ सकती है।’

भारत छोड़ो आंदोलन कहाँ से शुरू हुआ
● 8 अगस्त, 1942 ई. को कांग्रेस ने ग्वालिया टैंक बंबई में अहिंसक संघर्ष चलाने हेतु भारत छोड़ो प्रस्ताव पास किया। इस अधिवेशन की अध्यक्षता मौलाना आजाद ने की थी।

भारत छोड़ो आन्दोलन श्लोगान
● कांग्रेस के इस ऐतिहासिक सम्मेलन में महात्मा गांधी ने लगभग 70 मिनट तक भाषण दिया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि ‘मैं आपको एक मंत्र देता हूँ, करो या मरो, जिसका अर्थ था–भारत की जनता देश की आजादी के लिए हर ढंग का प्रयत्न करे। गांधीजी के बारे में भोगराजू पट्टाभि सीतारमैया ने लिखा है कि ‘वास्तव में गाँधी जी उस दिन अवतार और पैगम्बर की प्रेरक शक्ति से प्रेरित होकर भाषण दे रहे थे।’ वह लोग जो कुर्बानी देना नहीं जानते, व आजादी प्राप्त नहीं कर सकते।

भारत छोड़ो आन्दोलन में गिरफ्तारी, उपवास व निधन
● 9 अगस्त, को कांग्रेस के सभी बड़े नेता गिरफ्तार कर लिये गये। इसके बावजूद आंदोलन शुरू हुआ। इसे स्वतः स्फूत आंदोलन कहा जाता है।
● गांधीजी को सरोजिनी नायडू के साथ पूना के आगा खाँ महल में रखा गया। नेहरू को अल्मोड़ा जेल में तथा मौलाना आजाद को बांकुरा में रखा गया। कांग्रेस को गैर-कानूनी घोषित कर दिया गया।
● गांधीजी ने आगा खाँ पैलेस में ही 10 फरवरी, 1943 को 21 दिन के उपवास का आरंभ किया।
● गांधीजी की रिहाई की मांग करते हुये एचएस एनी, एचपी मोदी व एनएस सरकार ने वायसराय की कार्यकारिणी से त्यागपत्र दे दिया।
● गांधीजी ने 7 मार्च, 1943 को उपवास तोड़ दिया व 6 मई, 1944 को उन्हें जेल से रिहा किया गया। इसी दौरान 22 फरवरी, 1944 को पुणे में कैद के दौरान ही कस्तूरबा गांधी का व गांधीजी के निजी सचिव महादेव देसाई का 15 अगस्त, 1942 को निधन हो गया।
● राजेन्द्र प्रसाद को नजरबंद किया गया व जयप्रकाश नारायण को गिरफ्तार कर हजारीबाग जेल में रख दिया गया। वे जेल से फरार होकर नेपाल में आजाद दस्ता की स्थापना की।
● अनेक जगहों पर समानान्तर सरकारों का गठन हुआ, जो हैंः बलिया में चित्तु पांडे के नेतृत्व में (पहली), बंगाल में तामलूक जातीय सरकार सतीश सामंत के नेतृत्व में 17 दिसंबर, 1942-1 सितंबर, 1944 व सतारा में पराति सरकार की स्थापना नाना पाटिल व वाईबी चह्वान के नेतृत्व में की गयी। पराति सरकार 1945 तक चली और यह सबसे लंबी रही।
● भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान जबर्दस्त हिंसा हुयी परंतु गांधीजी ने इसकी आलोचना करने से इंकार कर दिया।
● उषा मेहता ने बंबई से अवैध रेडियो स्टेशन चलाया।
● जयप्रकाश नारायण, लोहिया एवं अरूणा आसपफ अली ने भूमिगत रहकर आंदोलन का नेतृत्व किया।
● सी. राजगोपालाचारी तथा कम्युनिस्टों ने इस आंदोलन का विरोध किया, हिंदू महासभा ने इस आंदोलन की निंदा की।
● अहमदाबाद के कपड़ा मिलों में तीन महीने लगातार हड़ताल चली जिसे एक राष्ट्रवादी ने ‘भारत का स्तालिनग्राद’ की संज्ञा दी।
● भारत छोड़ो आन्दोलन मूल रूप से एक जनांदोलन था, जिसमें भारत का हर जाति वर्ग का व्यक्ति शामिल था। इस आन्दोलन ने युवाओं को एक बहुत बड़ी संख्या में अपनी ओर आकृष्ट कर लिया। युवाओं ने अपने काॅलेज छोड़ दिये और वे जेल का रास्ता अपनाने लगे।



भारत छोड़ो आन्दोलन की आलोचना
● मुस्लिम लीग ने आन्दोलन की आलोचना करते हुए कहा कि ‘आन्दोलन का लक्ष्य भारतीय स्वतंत्रता करना है, इस कारण यह आन्दोलन मुसलमानों के लिए घातक है।’ मुस्लिम लीग तथा उदारवादियों को भी यह आन्दोलन नहीं भाया।
● सर तेजबहादुर सपू ने इस प्रस्ताव को ‘अविचारित तथा असामयिक’ बताया।
● भीमराव अंबेडकर ने इसे ‘अनुत्तरदायित्व पूर्ण और पागलपन भरा कार्य’ बताया। हिन्दू महासभा एवं अकाली आन्दोलन ने भी इसकी आलोचना की।
● मुस्लिम लीग ने 23 मार्च, 1943 को पाकिस्तान दिवस मनाने का आह्वान किया।
● मुस्लिम लीग ने 1943 के करांची अधिवेशन में ब्रिटेन से कहा कि ‘विभाजन करो व छोड़ो।’

भारत छोड़ो आन्दोलन की असफलता के कारण
1. कार्यक्रम की रूपरेखा स्पष्ट नहीं थी।
2. नेतृत्व औपचारिक रूप से आंदोलन प्रारंभ करता, इससे पहले ही प्रमुख नेता गिरफ्तार हो गये थे।
3. आम जनता नेतृत्व विहीन हो गयी थी।
4. अंग्रेजों द्वारा युद्ध के लिए एकत्रित सेना का उपयोग इस आंदोलन के दमन में किया गया।

भारत छोड़ो आन्दोलन का महत्व
● इस आंदोलन ने ब्रिटिश सरकार के समक्ष स्पष्ट कर दिया कि भारत को स्वतंत्राता प्रदान करने की दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे।
● इस आंदोलन के कारण भारत में कम्युनिस्ट आंदोलन की छवि खराब हुई, क्योंकि उन्होंने इस आंदोलन में हिस्सा नहीं लिया।
● चीन के तत्कालीन मार्शल च्यांग काई शेक ने 25 जुलाई, 1942 ई. को संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति रूजवेल्ट को पत्रा में लिखा, ‘अंग्रेजों के लिए सबसे श्रेष्ठ नीति यह है कि वे भारत को पूर्ण स्वतंत्रता दे दें।’ रूजवेल्ट ने भी इसका समर्थन किया।
● सरदार वल्लभ भाई पटेल ने आन्दोलन के बारे में लिखा ‘भारत में ब्रिटिश राज के इतिहास में ऐसा विप्लव कभी नहीं हुआ जैसा कि पिछले तीन वर्षों में हुआ, लोगों की प्रतिक्रिया पर हमें गर्व है।’