जानिये क्या है ग्रीन इकोनॉमी?

ग्रीन इकोनॉमी (Green Economy) को पहली बार अग्रणी पर्यावरण अर्थशास्त्रियोें के एक समूह द्वारा संयुक्त राष्ट्र की सरकार के लिए एक अग्रणी 1989 की रिपोर्ट में गढ़ा गया था, जिसका नाम ग्रीन इकोनॉमी (ब्लूफेण्ट फॉर ग्रीन इकोनॉमी, पीयरस, मार्कद्या और बारबियर, 1989) था। ग्रीन इकोनॉमी विकास की एक अवधारणा है जिसका उद्देश्य पर्यावरण के अनुकूल विकास करना है। जिसके पश्चात इस विषय पर समय—समय पर विचार—विमर्श के द्वारा इस संकल्पना का विकास हुआ। जिसके परिणामस्वरूप यूएन एन्वायर्नमेण्ट्स प्रोग्राम द्वारा वर्ष 2008 में ग्रीन इकोनॉमी पहल का शुभारम्भ किया गया।


क्या है ग्रीन इकोनॉमी? Why Green Economy?
ग्रीन इकोनॉमी को एक ऐसी इकोनॉमी के रूप में परिभाषित किया गया है जिसका उद्देश्य पर्यावरण के जोखिम और पारिस्थितिकीय कमी को कम करना व पर्यावरण को क्षति पहुंचाएं बिना मानव कल्याण एवं सामाजिक सहभागिता के साथ स्थायी विकास करना है।

कार्ल बुर्कट ने ग्रीन इकोनॉमी को मुख्य छह क्षेत्रों पर आधारित अर्थव्यवस्था (इकोनॉमी) के रूप में परिभाषित किया है।
ये छह क्षेत्र निम्न हैं–
• नवीकरणीय ऊर्जा
• ग्रीन बिल्डिंगस
• सतत परिवहन
• जल प्रबन्धन
• कचरा प्रबन्धन
• भू—प्रबन्धन


संयुक्त राष्ट्र के पर्यावरण कार्यक्रम की ग्रीन इकोनॉमी पहल 
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम ने वर्ष 2008 में ग्रीन इकोनॉमी पहल (जीईआई) का शुभारम्भ किया, जिसमें सतत विकास के सन्दर्भ में पर्यावरणीय निवेश का समर्थन करने के लिए नीतिगत सलाह देने वाले वैश्विक शोध और देश—स्तरीय सहयोग शामिल थे। सतत विकास और गरीबी उन्मूलन के सन्दर्भ में ग्रीन इकोनॉमी को वर्ष 2012 रियो + 20 एजेण्डे में रखा गया था और सतत विकास प्राप्त करने के लिए एक उपकरण के रूप में स्वीकार किया गया था।

विगत एक दशक से ग्रीन इकोनॉमी की अवधारणा कई सरकारों और अन्तर्सरकारी संगठनों के लिए एक रणनीतिक प्राथमिकता के रूप में उभरी है। सभी का मानना है कि, 65 देशों ने एक समावेशी ग्रीन इकोनॉमी और सम्बन्धित रणनीतियों के लिए एक मार्ग पर काम किया है। स्थिरता के उपायों में अपनी अर्थव्यवस्थाओं को बदलने के द्वारा शहरीकरण और संसाधन की कमी से जलवायु परिवर्तन और आर्थिक उतार—चढ़ाब तक 21वीं शताब्दी की प्रमुख चुनौतियों का सामना करना होगा।