क्या है स्विफ्ट SWIFT बैंकिंग प्रणाली?


स्विफ्ट SWIFT प्रणाली 1973 में लागू की गई थी। इस प्रणाली को विश्व में विभिन्न देशों के बीच आर्थिक लेन देन की रीढ़ माना जाता है। खास बात यह है कि स्विफ्ट खुद किसी राशि के हस्तांतरण से सीधे नहीं जुड़ता। यह संदेश के आदान प्रदान की एक प्रणाली है जिसे तब प्रचलित टेलेक्स मशीन के बजाय प्रयोग के लिए बनाया गया था। यह बैंकों को आपस में एक दूसरे से सुरक्षित, तेज और बेहद कम खर्च में संदेशों के आदान प्रदान का माध्यम प्रदान करती है।

स्विफ्ट SWIFT बैंकिंग प्रणाली : अन्तर्राष्ट्रीय लेनदेनों के लिए अपनाया जाने वाला स्विफ्ट (SWIFT-Society for Worldwide Interbank Financial Telecommunications) एक ऐसी प्रक्रिया है, जो वाणिज्यिक बैंकों द्वारा अपनाए जा रहे कोर बैंकिंग सिस्टम (CBS) का हिस्सा नहीं है। तकनीकी विशेषज्ञों के अनुसार भारत सहित विश्व के विभिन्न देशों के बैंकों में 68 से 169 प्रक्रियाएं तृतीय पक्षों द्वारा मुहैया कराईं जाती हैं। अधिकांश बैंक इन प्रक्रियाओं को कोर बैंकिंग सिस्टम (सीबीएस) के साथ एकीकृत नहीं करते, कतिपय महत्वपूर्ण एप्लीकेशन्स को सीबीएस के साथ एकीकृत किया जाता है। स्विफ्ट को भी सीबीएस के साथ एकीकृत किया जाता है। भारत के निजी क्षेत्र के अधिकांश बैंकों तथा देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक में स्विफ्ट सीबीएस के साथ एकीकृत है। लेकिन सार्वजनिक क्षेत्रक के अन्य बैंकों ने स्विफ्ट को सीबीएस से एकीकृत नहीं किया है। सम्भवतया ऐसा सम्बन्धित बैंकों के प्रबन्धकों द्वारा कपटपूर्ण तरीके से बड़े कारोबारियों को लाभ देने के उद्देश्य से ही किया गया है।

विशेषज्ञों का मानना है कि सीबीएस और राइटिंग कोड एक पहुंचने की अनुमति ही पर्याप्त नहीं है, इसे अनेक बार परिचालित करना पड़ता है। ताकि प्रणालीगत कमजोरियों को पकड़ा जा सके। सरकारी बैंकों के लिए यह प्राय: एक जटिल प्रक्रिया होती है इसलिए उनमें तीसरे पक्ष से सम्बन्धित अधिकांश सिस्टम (जैसे कि स्विफ्ट) सीबीएस से बाहर रखे जाते हैं। ज्ञातव्य है कि थर्ड पार्टी के ऐसे किसी भी एप्लीकेशन को अपनाने से बैंकिंग प्रणाली की संवेदनशील सूचना तन्त्र से बाहर जा सकती है। लगभग सभी बैंक अपने उत्पादों को एकीकृत करने के लिए पूरी तरह से सेवाप्रदाताओं पर निर्भर है।



जहां तक स्विफ्ट सिस्टम का प्रश्न है, तो यह थर्ड पार्टी सिस्टम का एक हिस्सा मात्र है। कारोबार (व्यापार) वित्तीयन हेतु मूरेक्स (Murex) का प्रयोग किया जाता है जिसका प्रयोग ब्लूम वर्ग और रायटर्स पूंजी बाजार के लिए करती हैं, जबकि कॉल सेन्टर्स बिक्री एवं सेवा प्रदान करने के लिए। 1986 में अस्तित्व में आए मूरेक्स ने तीन दशकों के दौरान जोखिम प्रबन्धन, प्रोसेसिंग एण्ड पोस्ट-ट्रेड सोल्यशन्स के अभिकल्पन, क्रियान्वन एवं एकीकृत ट्रेडिंग के क्रमिक विकास में उल्लेखनीय भूमिका निभाई है। इसका प्रयोग एटीएम परिचालन हेतु सहायक सेवा प्रदाताओं, मोबाइल लेन-देनों के लिए वॉलेट कम्पनियों द्वारा किया जाता है।

बैंकों द्वारा अलग-अलग एप्लीकेशन्स के लिए थर्ड पार्टी समाधान प्रदाताओं के इण्टरफेस को प्रयुक्त किया जाता है। कोई भी अच्छा सीटीओ अलग-अलग प्रणालियों को कोर बैंकिंग सिस्टम के साथ एकीकृत करना चाहेगा। लेकिन कतिपय कारणों से ऐसा हमेशा ही सम्भव नहीं हो पाता।