संचार उपग्रह जीसैट-6ए सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 29 मार्च को देश के नए संचार उपग्रह जीसैट-6ए का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया और निर्धारित कक्षा में इसे स्थापित किया गया। चेन्नई से करीब 105 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद इसरो के श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से रॉकेट जीएसएलवी-एफ08 के जरिये जीसैट-6ए का प्रक्षेपण किया गया। ये सेटेलाइट 2015 में लांच जीसेट-6 से मिलकर एडवांस तकनीक के विकास के लिए प्लेटफार्म साबिल होगा। भूस्थैतिक उपग्रह प्रक्षेपण यान (जीएसएलवी) की यह 12वीं और स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन के साथ छठी उड़ान थी। रॉकेट का वजन 415.6 टन और इसकी लंबाई 49.1 मीटर है। जीसैट-6ए उपग्रह को प्रक्षेपण के 17वें मिनट में ही कक्षा में स्थापित कर दिया गया। इसरो के मुताबिक इस बार रॉकेट के दूसरे चरण के तहत दो सुधार किए गए थे जिनमें ज्यादा ताकत वाला विकास इंजन और इलेक्ट्रोमैकेनिकल एक्चुएशन सिस्टम शामिल है।


इसरो ने बताया कि जीसैट-6ए, जीसैट-6 की ही तरह है और यह उच्च क्षमता वाला एस-बैंड संचार उपग्रह है। इस मिशन में1-2के उपग्रह बस का इस्तेमाल किया गया है। इस अंतरिक्षयान के अभियान की मियाद तकरीबन 10 साल है। इसरो ने बताया कि यह उपग्रह मल्टी बीम कवरेज सुविधा के जरिये मोबाइल संचार में मदद देगा। जीसैट-6ए के बाद नेविगेशन उपग्रह को प्रक्षेपित किया जाएगा जो अगले वित्त वर्ष में संभव होगा। 2018-19 के केंद्रीय बजट में अंतरिक्ष विभाग को धरती की निगरानी करने वाले तीन अंतरिक्ष यान लॉन्च करने और चार ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) की उड़ान के लिए तैयार रहने को कहा गया है।

जनवरी में कार्यभार संभालने के बाद इसरो चेयरमैन के सिवान का ये पहला प्रोजेक्ट था।


ये होगा फायदा
● मल्टी बीम कवरेज सिस्टम से मोबाइल कम्युनिकेशन
● 6 मीटर तक खुलने वाले एस-बैंड एंटीना का पहली बार उपयोग
● हाथ में समाने वाले ग्रांउड टर्मिलन से भी पकड़े जाएंगे सिग्नल, अभी तक छोटे एंटीना होते थे, जिनके लिए लगते थे बड़े टर्मिनल
● 5 स्पॉट बीम से आम आदमी के लिए एस-बैंड कवरेज होगी, एक स्पॉट बीम से सेना के लिए सी-बैंड कवरेज देगा
● सेना बिना मोबाइल नेटवर्क वाले क्षेत्रों में भी बना सकेगी कम्युनिकेशन