जापान के ओसुमी को चिकित्सा क्षेत्र में नोबेल मिला

इंसान में बुढ़ापे की कारक कोशिकाओं को खोजने वाले जापान के वैज्ञानिक डॉ. योशिनोरी ओसुमी (Yoshinori Ohsumi) को चिकित्सा क्षेत्र या फिजियोलॉजी (Physiology or Medicine) में योगदान के लिए 2016 का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया जाएगा। ओसुमी जापान के प्रसिद्ध सेल बायोलॉजिस्ट हैं।

उन्होंने 'आॅटोफेगी' नाम से पहचानी जाने वाली उस प्रक्रिया और जीन की खोज की है जिसमें पता चलता है कि शरीर में खत्म होने वाली कोशिकाएं अपने ही नाश से निपटते हुए खुद को ​'रिसाइकल' भी करती हैं। 'आॅटोफेगी' प्रक्रिया के नाकाम होने के कारण इंसान में बुढ़ापा व कोशिका क्षरण होता है।

उनकी इस खोज से कैंसर, पार्किंसन और टाइप-2 डायबिटीज जैसी बीमारियों को बेहतर तरीके से समझने में मदद मिलेगी।

कोशिकाओं के विभाजन के संबंध में ओशूमी का कार्य इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे यह समझने में मदद मिलेगी कि उक्त बीमारियों के दौरान किस तरह की गड़बड़ियां होती हैं। बयान के मुताबिक, कैंसर व स्नायु संबंधी बीमारियों समेत कई स्थितियों में स्वपोषण (सेल्फ ईटिंग) की प्रक्रिया होती है और स्वपोषित जीन्स में बदलावों के कारण ही बीमारियां होती हैं।

यह भी देखें : Nobel Prizes Physiology or Medicine Winners List (1901-2016)

डॉ. योशिनोरी ओसुमी का जन्म 1945 में जापान के फुकुओका में हुआ था और फिलहाल वे 2009 से टोक्यो इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में टेक्नोलॉजी के प्रोफेसर हैं। इस पुरस्कार के तहत 80 लाख स्वीडिश क्राउन्स (9,33,000 डॉलर) की राशि प्रदान की जाती है।

हर साल दिए जाने वाले नोबेल पुरस्कारों में सबसे पहले चिकित्सा क्षेत्र के पुरस्कार की घोषणा होती है। डायनामाइट के आविष्कारक और व्यवसायी अल्फ्रेड नोबेल की वसीयत के मुताबिक 1901 में विज्ञान, साहित्य और शांति के क्षेत्र में उपलब्धियां हासिल करने वालों को ये पुरस्कार देने की शुरुआत हुई थी।

बता दें कि चिकित्सा क्षेत्र में यह पुरस्कार प्रदान करने वाला कैरोलिन्सका इंस्टीट्यूट इस साल उस समय विवादों में घिर गया था जब उसने एक विवादित सर्जन को नियुक्त किया था। हालांकि, सितंबर में स्वीडिश सरकार ने बोर्ड के कई सदस्यों को बर्खास्त कर दिया था।

क्या है ऑटोफैगी?
ऑटोफैगी कोशिका के नष्ट होने और उसके पुननिर्माण की प्रक्रिया है। अगर ऑटोफैगी मशीनरी में खराबी आ जाती है, तो पर्किंसन, टाइप टू मधुमेह, कैंसर जैसे रोगों का खतरा बढ़ जाता है कोशिका नष्ट होती है और कैस वह अपने हिस्सों का पुननिर्माण कर लेती है। इससे व्यक्ति को भूख या तनाव का अहसास होता है। संक्रमण के दौरान बैक्टीरिया और वायरस को नष्ट करने का काम भी करता है।