सियाचिन जांबाज हनुमंथप्पा का निधन

सियाचिन में मौत को मात देकर लौटे हनुमंथप्पा का आज 11 फरवरी को दिल्ली के रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल में निधन हो गया। हनुमंथप्पा को वेंटिलेटर पर रखा गया था। सीटी स्कैन से पता चला था कि उनके मस्तिष्क को ऑक्सीजन की सप्लाई पर गहरा असर पड़ा है। उनके दोनों फेफड़ों में न्यूमोनिया का संक्रमण था और उनके शरीर के तमाम अंगों ने काम करना बंद कर दिया था। हनुमंथप्पा 6 दिन तक बर्फ में दबे रहे थे जबकि उनके बाकी 9 साथियों को बचाया नहीं जा सका था।

गौरतलब है कि सियाचिन में 35 फीट बर्फ में 6 दिन तक दबे रहने के बाद लांसनायक हनुमंथप्पा को 8 फरवरी को निकाला गया था।

हनुमंथप्पा : संक्षिप्त परिचय
सियाचिन ग्लेशियर पर हुए हादसे में अद्भुत जीवटता दिखाने वाले लांस नायक हनुमंथप्पा ने 25 अक्टूबर, 2002 को मद्रास रेजिमेंट की 19वीं बटालियन ज्वाइन की थी। शुरूआत से ही चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों में जाना उन्होंने पसंद किया। 2004 से 2006 तक वह जम्मू-कश्मीर के माहौर में तैनात थे। वहां उन्होंने आतंकियों के खिलाफ अभियान में सक्रिय भागीदारी निभाई। इसके बाद उन्होंने 54 राष्ट्रीय राइफल्स (मद्रास) में जाना चुना। इसमें वह 2008 से 2010 तक रहे। इस दौरान उन्होंने आतंकियों के विरुद्ध अद्भुत साहस और वीरता दिखाई। हनुमंथप्पा 2010 से 2012 के बीच पूर्वोत्तर में भी काम कर चुके थे। वहां उन्होंने नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड और यूनाइटेड लिब्रेशन फ्रंट ऑफ असम के खिलाफ अभियान में हिस्सा लिया था। अगस्त 2015 से वह सियाचिन ग्लेशियर में तैनात थे।