दुनिया में भ्रष्टाचार के मामलों पर नजर रखने वाली संस्था ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की ओर से करप्शन इंडेक्स-2015 की सूची 27 जनवरी को जारी कर दी गई है। इस इंडेक्स में भारत का स्थान 85 से कम होकर 76वां हो गया है।
इंटरनेशनल करप्शन परसेप्शन इंडेक्स 2015 के मुताबिक, 168 देशों की सूची में थाईलैंड, ब्राजील, टयूनीशिया, जांबिया और बर्किनाफासो के साथ भारत 76 वें स्थान पर है। डेनमार्क इस सूची में लगातार दूसरे साल शीर्ष पर है, जिसने 91 अंक हासिल किए हैं जबकि उत्तर कोरिया और सोमालिया आठ स्कोर के साथ निचले पायदान पर हैं।
करप्शन परसेप्शन इंडेक्स में 0 से लेकर 100 तक अंक होते हैं। जिस देश को जितने अंक दिए जाते हैं उस देश में उतना ही कम भ्रष्टाचार होता है। डेनमार्क को लिस्ट में पूरे 100 नंबर मिले हैं।
डेनमार्क के बाद फिनलैंड का नंबर है और उसे 90 अंक मिले हैं। इसके बाद 89 नंबरों के साथ स्वीडन तीसरे नंबर पर है।
इस बार रिपोर्ट में 168 देश शामिल थे जबकि वर्ष 2014 में 175 देशों की लिस्ट तैयार की गई थी। इस मामले में भूटान 27वें पायदान पर है, और उसकी रैंक 65 है।
लिस्ट में चीन को 83वीं पोजीशन और बांग्लादेश को 139वीं पोजीशन मिली है। पाकिस्तान, श्रीलंका और नेपाल की हालत में भी थोड़ा सुधार हुआ है।
नॉर्थ कोरिया और सोमालिया लिस्ट में सबसे नीचे हैं। इन दोनों देशों को आठ-आठ अंक ही मिले हैं।
क्या है ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशल
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशल (Transparency International) एक अन्तरराष्ट्रीय गैर-सरकारी संस्था है जो भ्रष्टाचार के निवारण आदि पर अपना ध्यान केन्द्रित करती है। यह संस्था हर वर्ष एक रिपोर्ट निकालती है जिसमें विश्व के विभिन्न देशों में भ्रष्टाचार की स्थित का मूल्यांकन होता है। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशल का अन्तरराष्ट्रीय मुख्यालय जर्मनी की राजधानी बर्लिन में है।
क्या है भ्रष्टाचार मापने का पैमाना
संस्था ने विभिन्न देशों में भ्रष्टाचार की स्थिति को मापने के लिए एक पैमाना (इंडेक्स) बना रखा है। इस पैमाने पर किसी भी देश की स्थिति वहां के सरकारी और सार्वजनिक क्षेत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार के आधार पर आंकी जाती है। साथ ही रैंक देने का आधार प्रेस की स्वतंत्रता, लोगों के पास बजट खर्च की जानकारी के पहुंचने का स्तर, सत्ता में जनता की हिस्सेदारी और न्यायपालिका की निष्पक्षता भी है।