जस्टिस आरएम लोढ़ा समिति की सिफारिशें


जस्टि‍स आरएम लोढ़ा की तीन सदस्यी समिति ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) को पारदर्शी बनाने और कई सुधार प्रक्रियाओं के सुझाव के साथ सुप्रीम कोर्ट में 4 जनवरी को रिपोर्ट पेश कर दी है। लोढ़ा पैनल ने आईपीएल और बीसीसीआई के लिए अलग संचालन संस्थाओं की सिफारिश है। इसके साथ ही सट्टेबाजी को भी कानूनी मान्यता देने की सिफारिश की गई है।

ये हैं लोढ़ा समिति की प्रमुख सिफारिशें—
● क्रिकेट में सट्टेबाजी लीगल हो, खिलाड़ी और अधिकारी सट्टेबाजी से दूर रहें।
● बीसीसीआई को आरटीआई अधिनियम के तहत लाना जरूरी।
●  बीसीसीआई पदाधिकारी 70 साल से ज्यादा उम्र का नहीं होना चाहिए।
● बोर्ड पदाधिकारी मंत्री या सरकारी नौकर नहीं होना चाहिए।
● एक राज्य से एक एसोसिएशन का प्रतिनिधित्व हो।
● अध्यक्ष का कार्यकाल दो बार से ज्यादा न हो, सदस्यों के लिए तीन कार्यकाल की समयसीमा।
● एक व्यक्ति एक पद का नियम लागू हो। एक व्यक्ति एक समय में बोर्ड और राज्य संघ में पदाधिकारी नहीं होना चाहिए।
● चयन समिति में पूर्व क्रिकेटर शामिल हों, मुख्य चयनकर्ता ने सबसे अधिक टेस्ट खेले हों।
● खिलाड़ियों को भी बात करने का मौका मिले, गवर्निंग काउंसिल में शामिल हों खिलाड़ी।
● बीसीसीआई और आईपीएल के लिए अलग-अलग बॉडी हो।
● बोर्ड के हर दिन के कामकाज को एक सीईओ को देखना चाहिए।
● नौ सदस्यीय शीर्ष परिषद में दो खिलाड़ी संघ के प्रतिनिधि और एक महिला भी शामिल हो।

क्यों बनी लोढ़ा कमेटी 
● आईपीएल-2013 स्पॉट फिक्सिंग घोटाले पर जस्टिस मुकुल मुदगल कमेटी की जांच रिपोर्ट के बाद भावी कार्रवाई तय करने के लिए लोढ़ा समिति बनाई गई थी।
● इसी कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर पूर्व बीसीसीआई अध्यक्ष श्रीनिवासन के दामाद गुरुनाथ मैयप्पन (चेन्नई सुपर किंग्स के अधिकारी) और राज कुंद्रा (राजस्थान रॉयल्स के मालिक) पर लाइफ टाइम बैन लगा।
● दोनों टीमों को भी दो साल ​के लिए सस्पेंड कर दिया गया।
● खिलाड़ी एस श्रीसंत, अंकित च्वहाण, अजित चंदीला और हिकेन शाह स्पॉट फिक्सिंग मामले में फंसे