जस्टिस ठाकुर बनें देश के 43वें मुख्य न्यायाधीश

राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने न्यायमूर्ति तीरथ सिंह ठाकुर को 3 दिसम्बर को राष्ट्रपति भवन में देश के मुख्य न्यायाधीश पद की शपथ दिलाई। न्यायमूर्ति ठाकुर देश के 43वें मुख्य न्यायाधीश बन गए हैं। उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीश 63 वर्षीय ठाकुर ने न्यायमूर्ति एच.एल. दत्तू का स्थान लिया है, जो 2 दिसंबर को सेवानिवृत्त हो गए। प्रधान न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति  तीरथ सिंह ठाकुर का कार्यकाल 13 माह का होगा। वह 3 जनवरी, 2017 को सेवानिवृत्त होंगे।

जस्टि‍स टीएस ठाकुर : एक परिचय
तीर्थ सिंह ठाकुर ने जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट से करियर शुरू किया था। उनका जन्म 4 जनवरी, 1952 को हुआ था। उन्होंने बतौर वकील अक्टूबर 1972 में अपना पंजीकरण करवाया। जस्टि‍स ठाकुर ने जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट में दीवानी, फौजदारी, टैक्स, सांविधानिक मामलों और नौकरी से संबंधित मामलों में वकालत शुरू की। इसके बाद उन्होंने अपने पिता अधिवक्ता स्व. डी.डी. ठाकुर के चैंबर में काम शुरू किया। जस्टि‍स ठाकुर के पिता भी जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट के न्यायाधीश और फिर केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं। न्यायमूर्ति ठाकुर को 17 नवंबर 2009 को सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त किया गया।

न्यायमूर्ति ठाकुर को 1990 में वरिष्ठ अधिवक्ता मनोनीत किया गया था। इसके चार साल बाद 16 फरवरी 1994 को उन्हें जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट का अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया और मार्च 1994 में उनका तबादला कर्नाटक कोर्ट कर दिया गया। बाद में सितंबर 1995 में उन्हें स्थाई न्यायाधीश बना दिया गया और फिर जुलाई 2004 में उनका तबादला दिल्ली हाईकोर्ट कर दिया गया था। 9 अप्रैल, 2008 से 11 अगस्त, 2008 के दौरान वह दिल्ली हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश भी थे।

चर्चित मामलेः
– जस्टिस ठाकुर (63) ने आइपीएल स्पॉट फिक्सिंग और सट्टेबाजी प्रकरण में फैसला सुनाने वाली पीठ की अध्यक्षता की थी।
– बहुचर्चित सारदा चिटफंड घोटाले के मामले की जांच की निगरानी भी उन्हीं की अध्यक्षता वाली पीठ कर रही है।
– ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ही उत्तर प्रदेश के राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन में करोड़ों रुपये के घोटाले के मामले की भी सुनवाई कर रही है। इस मामले में अन्य नेताओं और नौकरशाहों के साथ ही उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा भी आरोपी हैं।