महान आर्किटेक्ट चार्ल्स कोरिया का निधन


स्वतंत्र भारत की वास्तुकला को विकसित करने में निर्णायक भूमिका निभाने वाले सुप्रसिद्ध वास्तुकार और शहरी योजनाकार चार्ल्स कोरिया का 16 जून की रात मुंबई में निधन हो गया। वह 84 वर्ष के थे।

उन्होंने कई बेहद उत्कृष्ट संरचनाएं डिजाइन कीं। अहमदाबाद में महात्मा गांधी मेमोरियल और मध्य प्रदेश में विधान भवन की उत्कृष्ट संरचनाएं कोरिया के हुनर का ही नमूना हैं।  वह 1970 के दशक में नवी मुंबई के मुख्य वास्तुकार थे। उन्हें बाद में शहरीकरण पर राष्ट्रीय आयोग का पहला अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। कोरिया को कम आयवर्ग के लिए किफायती आवास निर्माण का मार्ग प्रशस्त करने के लिए भी जाना जाता है, जो कि विशेषकर 1970 के दशक के बाद से शहरी योजना का अहम हिस्सा है।

उन्होंने कई राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार जीते। उन्हें 1972 में पद्मश्री और 2006 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। 1 सितंबर 1930 को सिकंदराबाद में जन्मे कोरिया ने मुंबई के सेंट जेवियर कॉलेज से पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन और प्रतिष्ठित मेसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) से शिक्षा ग्रहण की।  कोरिया ने भारत और विदेश के कई विश्वविद्यालयों में पढ़ाया और उन्हें वास्तुकला के लिए आगा खान पुरस्कार, प्रीमियर इम्पीरियल ऑफ जापान और रॉयल इंस्टीट्यूट ऑफ ब्रिटिश आर्किटेक्ट्स (आरआईबीए) के रॉयल गोल्ड मेडल समेत कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। आरआईबीए ने उन्हें 'भारत का महानतम वास्तुकार' करार दिया। उन्होंने 1984 में मुंबई में शहरी डिजाइन अनुसंधान संस्थान की स्थापना की। यह संस्थान पर्यावरण संरक्षण और शहरी समुदायों में सुधार के लिए समर्पित है।  

इन डिजाइनाें से मिली प्रसिद्धि
नवी मुंबई, साबरमती स्थिति गांधी मेमोरियल, मध्य प्रदेश विधानसभा भवन और भारत भवन, जयपुर में जवाहर भवन, टोरंटो में इस्लामिक सेंटर, बोस्टन एमआईटी में ब्रेन साइंस सेंटर, लिस्बन में चंपालीमाउड सेंटर, यूएन में मिशन ऑफ इंडिया, गोवा में कला अकादमी, मुंबई में कंचनजंगा आवासीय टावर और दिल्ली में ब्रिटिश काउंसिल।

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