मुहावरे एवं लोकोक्तियां प्रतियोगी परीक्षा हेतुुुु


हम यहां हिन्दी के प्रसिद्ध मुहावरें व लो​कोक्तियां प्रस्तुत कर रहे है। जो आपके लिए सभी सरकारी प्रतियोगिता परीक्षाओं के लिए उपयोगी साबित होगें।

'मुहावरा' शब्द अरबी भाषा से लिया गया है। 'मुहावरा' उन वाक्यांशों को कहा जाता है, जो सामान्य अर्थ की जगह विलक्षण अर्थ प्रकट करते हैं। लोकोक्तियाँ समाज में प्रचलित कथन होते हैं। यह एक पूर्ण वाक्य होता है, इसका प्रयोग एक स्वतन्त्र वाक्य के रूप में ही होता है।

मुहावरे: उनके अर्थ सहित
झाँसा देना – धोखा देना
टक्कर लेना – प्रतिस्पर्द्धा करना
टाँय-टाँय फिस होना – असफल हो जाना
टाँग अड़ाना – दखल देना
टेढ़ी खीर होना – मुश्किल काम
ठोकर मारना – त्याग देना
ठण्डा होना – शान्त हो जाना
डंक मारना – कटु वचन कहना
डूबते को तिनके का सहारा – आपातकाल की सहायता
ढाक के तीन पात – सदा एक-सा रहना
तलवे चाटना – खुशामद करना
तारे गिनना – चिन्तित रहना
तीन-तेरह करना – बिखेर देना
दो टूक बात करना – स्पष्ट कह देना
दुम दबाकर भागना – कायरता-पूर्वक भागना
नाक कट जाना – प्रतिष्ठा समाप्त होना
नाक का बाल होना – बहुत ​प्रिय होना
नाक में दम करना – परेशान करना
नाक रगड़ना – विनती करना
नौ-दो ग्यारह होना – भाग जाना
पानी-पानी होना – शर्मिन्दा होना
पीठ ठोंकना – शाबाशी देना
पौ-बारह होना – लाभ-ही-लाभ होना
बरस पड़ना – क्रोधित होना
मुँह उतरना – उदास होना
मुँह छिपाना – शर्म करना
मुँह की खाना – बुरी तरह हारना
मुँह में पानी आना – किसी चीज को पाने के लिए लालच होना
रात-दिन एक करना – कठोर परिश्रम करना
रोड़ा अटकाना – बाधा डालना
लकीर का फकीर होना – परम्परावादी होना
लोहा मानना – प्रभुत्व स्वीकार करना
शेखी बघारना – डींग हाँकना
सन्न रह जाना – आश्चर्यचकित होना
सिर उठाना – विरोध करना
हवा से बातें करना – बहुत तेज दौड़ना
हथियार डाल देना – हार मान लेना
होश उड़ जाना – आशंका से परेशान होना
हौसला पस्त होना – उत्साह न रह जाना
होश ठिकाने होना – भ्रांति दूर होना
हाथ मलना – पश्चाताप करना
हाथ-पैर मारना – कोशिश करना


लोकोक्तियाँ : उनके अर्थ सहित

घर की मुर्गी दाल बराबर – सहज प्राप्त वस्तु को आदर नहीं मिलता।
चार दिन की चाँदनी फिर अँधेरी रात – सुख थोड़े ही दिन का होता है।
चिराग तले अँधेरा – निकट में ही असहज प्रवृति।
चोर की दाढ़ी में तिनका – दोषी हमेशा चौकन्ना रहता है।
छोटा मुँह बड़ी बात – अपनी योग्यता से बढ़कर बात करना।
जिसकी लाठी उसकी भैंस – शक्तिसम्पन्न का प्रभाव रहना।
जिन खोजा तिन पाइयाँ गहरे पानी पैठ – परिश्रम से सफलता मिलती है।
जैसी करनी वैसी भरनी – जैसा काम, वैसा परिणाम।
तीन में, न तेरह में – किसी महत्व का नहीं होना।
दाल-भात में मूसलचन्द – किसी बात में दखत होना।
न रहेगा बाँस न बजेगी बाँसुरी – मूल कारण को ही समाप्त करना।
नेकी और पूछ-पूछ – भलाई के ​लिए अनुमति क्या?
बिल्ली के गले में घंटी – कठिन काम पूरा करना।
बोया पेड़ बबूल का आम कहाँ से होय – जैसा कर्म वैसे फल की प्राप्ति।
भूखे भजन न होय गोपाला – आवश्यकताओं की पूर्ति के बिना सब कुछ व्यर्थ।
मरता क्या न करता – मजबूरी में आदमी सब कुछ करता है।
मुँह में राम बगल में छुरी – ऊपर से मित्र, अन्दर से शत्रु।
समरथ को नहीं दोष गोसाईं – सामर्थ्यवान को कोई दोष नहीं।
साँच को आँच नहीं – सच्चे आदमी को कोई खतरा नहीं।
सिर मुँडाते ओले पड़े – शुरू में ही विघ्न पड़ना।
होनहार बिरवान के होत – भविष्य के गुण प्रारम्भ में ही दिखाई देत हैं।
हाथ कंगन को आरसी क्या – प्रत्यक्ष के लिए प्रमाण क्या?
रस्सी जल गई, पर ऐंठन न गई – पतन के बाद भी अहंकार। 

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