बांग्ला कवि शंख घोष को 52वां ज्ञानपीठ पुरस्कार

आधुनिक बांग्ला साहित्य के लब्ध प्रतिष्ठित बांग्ला कवि शंख घोष को वर्ष 2016 का ज्ञानपीठ पुरस्कार दिया जाएगा। करीब दो दशक बाद किसी बांग्ला लेखक को इस पुरस्कार के लिए चुना गया है। यह देश का सर्वोच्च साहित्य पुरस्कार होता है। पुरस्कार के रूप में शंख घोष को वाग्देवी की प्रतिमा, 11 लाख रुपये और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जायेगा।




इससे पहले वर्ष 1996 में बांग्ला लेखिका महाश्वेता देवी को इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। बांग्लादेश में जन्मे शंख घोष को साहित्य जगत में एक विद्वान आलोचक के रूप में जाना जाता है। उनकी प्रमुख रचनाओं में आदिम लता-गुलमोमॉय, मूर्खो बारो, सामाजिक नोय, बाबोरेर प्रार्थना, दिनगुली रातुगली और निहिता पाताल छाया शामिल हैं। काव्य के तौर पर कबीर अभिप्राय को काफी पसंद किया गया। वर्ष 1932 में तत्कालीन बांग्लादेश के चांदपुर में शंख घोष का जन्म हुआ था।

कोलकाता के प्रेसीडेंसी कॉलेज से उन्होंने स्नातक किया फिर कलकत्ता विश्वविद्यालय से परस्नातक डिग्री हासिल की वर्ष 1960 में शंख घोष 'लोवा राइटर्स वर्कशॉप' से जुड़ गए और साहित्य लेखन में खूब आगे बढ़ने लगे। वर्ष 1992 में वह जाधवपुर विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त हुए।

जानिये, अब तक कितने लोगों को मिल चुका है ज्ञानपीठ पुरस्कार

घोष को साहित्य के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए एक दर्जन पुरस्कारों से नवाजा गया। इसमें वर्ष 2011 में मिला पद्मभूषण पुरस्कार भी शामिल है। इसके अलावा साहित्य अकादमी पुरस्कार, रवींद्र पुरस्कार, सरस्वती सम्मान, साहित्यब्रह्म जैसे महत्वपूर्ण पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है।

इससे पहले बांग्ला लेखकों ताराशंकर, विष्णु डे, सुभाष मुखोपाध्याय, आशापूर्णा देवी और महाश्वेता देवी को ज्ञानपीठ पुरस्कार मिल चुका है। पहला ज्ञानपीठ पुरस्कार वर्ष 1965 में मलयालम लेखक जी शंकर कुरूप को प्रदान किया गया था और पिछली दफा वर्ष 2015 के ज्ञानपीठ पुरस्कार से गुजराती लेखक रघुवीर चौधरी को नवाजा गया था।