भारतीय जीपीएस 'नाविक' सफलतापूर्वक प्रक्षेपित

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से अपना खुद का 7जी नेविगेशन सेटेलाइट 'नाविक' 28 अप्रैल, 2016 को प्रक्षेपित किया। इसके साथ ही भारत, अमेरिका और रूस की कतार में शामिल हो गया। भारत ऐसा करने वाला दुनिया का 5वां देश बन गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस भारतीय जीपीएस सिस्टम को भारतीय मछुआरों को समर्पित करते हुए 'नाविक' (NAVIC) नाम दिया है।

आईआरएनएसएस अमेरिका के जीपीएस, रूस के ग्लानोस, यूरोप के गैलीलियो और चीन के बीडोउ के समान है। आईआरएनएसएस श्रृंखला का प्रथम उपग्रह जुलाई 2013 में प्रक्षेपण किया गया था। इसरो के नेविगेशनल सेटेलाइट के प्रक्षेपित के साथ ही भारत दुनिया के उन देशों में शामिल हो गया है। जिनके पास स्पेश साइंस की महारत शामिल है।

आईआरएनएसएस-1 जी
आईआरएनएसएस-1 जी का प्रक्षेपण अपराह्न 12 बजकर पचास मिनट पर ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी सी-33) के जरिये किया गया। आईआरएनएसएस-1 जी का वजन 1425 किलोग्राम है और यह पूर्ववर्ती उपग्रहों के ही समान है। इसमें भी दो पे-लोड हैं। एक नेविगेशन पे-लोड और दूसरा रेंजिंग पे-लोड।

इन्हें एल-5 और एस बैंड पर परिचालित किया गया। प्रणाली के सक्रिय होने के बाद देश के 1500 किलोमीटर के दायरे में 15 से 20 मीटर शुद्धता तक की पोजिशनिंग सेवाएं मिलने लगेंगी।

इस श्रृंखला के सात में से छह उपग्रहों (आईआरएनएसएस-1ए, 1बी, 1सी, 1डी, 1ई और 1एफ) का प्रक्षेपण पहले ही हो चुका है। पहले छह अभियानों की तरह सातवें उपग्रह के प्रक्षेपण के लिए भी इसरो ने पीएसएलवी के विस्तारित संस्करण (एक्सएल) का उपयोग किया।

‘नाविक’ (NAVIC) की उपयोगिता
आईआरएनएसएस-1जी करीब एक माह में संचालन शुरू कर देगा। इसके बाद ‘नाविक’ हर वो सुविधा दे सकता है जो अभी जीपीएस देता है। यह आपके स्मार्ट मोबाइल में हो सकता है। विमानों की लैंडिग में मदद कर सकता है। मछुआरों को रास्ता दिखा सकता है। किसी बड़ी प्राकृतिक आपदा के वक्त यह बता सकता है कि मदद कहां और कैसे पहुंचानी है। देश से बाहर 1500 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र इसके दायरे में है।  इसरो ने आईआरएनएसएस का पहला उपग्रह ‘1ए’ 2 जुलाई 2013 को लॉन्च किया था। अब ‘1जी’ के प्रक्षेपण के साथ इस श्रृंखला का पहला चरण पूरा हो गया है। इससे पहले अमेरिका, रूस, यूरोप और चीन के पास ही अपना नेविगेशन सिस्टम है।