भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली के पांचवें उपग्रह IRNSS-1E का आज 20 जनवरी को सफल प्रक्षेपण किया गया। भारत ने श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लांच पैड से इसका प्रक्षेपण किया गया।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने चेन्नई से करीब 100 किलोमीटर दूर श्रीहरिकोटा से सुबह करीब 9.31 बजे IRNSS-1E का प्रक्षेपण किया। 44.4 मीटर ऊंचे और 320 टन वजन वाले PSLV रॉकेट ने 19 मिनट बाद ही खुद को IRNSS-1E से अलग कर लिया और इसे कक्षा में स्थापित किया। साल 2016 में ये भारत का पहला रॉकेट है।
IRNSS-1E आईआरएनएसएस अंतरिक्ष प्रणाली का 5वां दिशासूचक उपग्रह है। इस प्रणाली के तहत कुल सात उपग्रह हैं और इन सभी का प्रक्षेपण हो जाने के बाद यह प्रणाली अमेरिका आधारित जीपीएस के समकक्ष हो जाएगी। भारत छठा देश है जिसके पास ऐसा सिस्टम है। इस सिस्टम की भारतीय सेनाओं को तो काफी जरूरत है ही, लेकिन इससे आम लोगों को भी फायदा मिलेगा।
इसरो के अनुसार पीएसएलवी की यह 33वीं जबकि पीएसएलवी विस्तारित वर्जन की यह 11 वीं उड़ान है। यह पांचवां नेविगेशन सैटेलाइट है जो सात उपग्रह समूहों का हिस्सा है। फिलहाल अपने चार उपग्रहों के साथ इसरो सैटेलाइट नेविगेशन सिस्टम के भारतीय वर्ज़न के लिए 18 घंटे का सिग्नल मुहैया करा रहा है।
IRNSS-1E के दो सौर पैनल भूस्थतिक कक्षा में उपग्रह को भेजे जाने के बाद एक-एक करके स्वत: ही क्रियाशील हो जाएंगे। इसके बाद कर्नाटक के हासन स्थित ‘मास्टर कंट्रोल फैसिलिटी’ कक्षा उत्थान अभियानों का नियंत्रण अपने हाथ में ले लेगी।