जुवेनाइल जस्टिस बिल क्या है? जानिये | Juvenile Justice Bill


याद रहे, कि 16 दिसंबर, 2012 के गैंगरेप पीड़िता निर्भया के दोषी नाबालिग को सिर्फ इसलिए कोर्ट से छोड़ दिया गया क्योंकि जिस वक्त इस संगीन अपराध को अंजाम दिया गया उस वक्त उसकी उम्र 18 साल नहीं थी। और यही फायदा कानून से उसे मिला और उसे सुधार गृह में रखने के तीन साल बाद उसे छोड़ दिया गया।

कानून की नजर में कौन है जुवेनाइल?
18 साल या उससे कम्र का कोई भी अपराधी कानून की नजर में नाबालिग होता है। इंडियन पैनल कोड के अनुसार 7 साल से कम उम्र के किसी भी बच्चे पर आपराधिक मामला दर्ज नहीं किया जा सकता।

नए बिल की क्यों है जरूरत?
संसद में बिल पेश करते हुए सरकार ने कहा कि मौजूदा कानून की वजह से जुवेनाइल अपराधियों के कई मामले पेंडिंग पड़े हुए हैं। देशभर में लंबी चली बहस के बाद इस बात की मांग उठी कि जुवेनाइल अपराधियों की उम्र 18 से कम करके 16 की जाए। नए जुवेनाइल जस्टिस बिल में प्रावधान है कि रेप और हत्या जैसे जघन्य अपराध करने वाले 16-18 साल के अपराधियों पर वयस्कों की तरह मामला चलाया जाए। ऐसा पाया गया कि जुवेनाइल जस्टिस कानून 2000 में कुछ प्रक्रियागत और कार्यान्वयन के लिहाज से खामियां थीं। वहीं राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के मुताबिक उन अपराधों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा था जिनमें शामिल लोगों की उम्र 16 से 18 साल के आसपास थी। एनसीआरबी का डेटा यह बताने के लिए काफी था कि 2003 से 2013 के बीच ऐसे अपराध में इजाफा हुआ है। इस दौरान 16 से 18 साल के बीच के अपराधियों की संख्या 54 फीसदी से बढ़कर 66 फीसदी हो गई।

ये हैं प्रावधानः
- जुवेनाइल जस्टिस बिल 2000 को बदलकर नए बिल को लाया जाएगा। नए बिल में प्रावधान है कि रेप और हत्या जैसे जघन्य अपराधों में 16-18 साल के अपराधियों को वयस्क माना जाएगा और उनपर वयस्कों की तरह ही केस चलेगा।
- रेप और हत्या जैसे जघन्य अपराध करने वाले 16-18 साल के किसी भी अपराधी पर केस तभी चलाया जाएगा जब वो 21 साल का हो जाएगा।
- बिल में देश के हर जिले में जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड(जेजेबी) और चाइल्ड वेलफेयर कमिटी (सीडबल्यूसी) बनाए जाने का प्रावधान है।
- जेजेबी के पास इस बात का फैसला करने का अधिकार होगा कि नाबालिग अपराधी को बाल सुधार गृह भेजा जाए या उसपर वयस्कों की तरह केस चलाया जाए।
- बच्चों के साथ दरिंदगी करने, बच्चों को ड्रग्स देने या बच्चों को अगवा करने/बेचने के अपराध में सजा वही रहेगी, जो पुराने बिल में है।

मौजूदा कानून से रुकावट 
कानून के कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि जघन्य अपराध करने वाले नाबालिग अपराधियों पर वयस्कों की तरह केस चलाने से धारा 14 (समानता का अधिकार) और धारा 21(कानून सबके लिए बराबर है) का उल्लंघन होता है।