[PDF] प्रसिद्ध हिन्दी कहावतें तथा लोकोक्तियाँ | Best Kahawate-Lokoktiyan in Hindi

hindi proverbs and idioms

हिन्दी कहावतें तथा लोकोक्तियाँ (Best Hindi Proverbs and Idioms) : सामान्य हिंदी में हिंदी कहावतें तथा लोकोक्तियाँ एक महत्वपूर्ण भाग है। इन्हीं प्रसिद्ध कहावतें और लोकोक्तियाँ पर अनेक प्रश्न लगभग सभी प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे यूजीसी, आरएएस, पीजीटी, टीजीटी, एसएससी, ग्रामीण बैंक, रेलवे, सब-इंस्पेक्टर, पुलिस कांस्टेबल इत्यादि में पूछे जाते है। अगर आप किसी भी सरकारी परीक्षा की तैयारी कर रहे है तो यह आपके मार्गदर्शन और ज्ञानवर्धन के लिए उपयोगी साबित होगी। इसके अलावा आप अपनी श्रेष्ठ तैयारी करके सफलता को प्राप्त कर सकते है।



Popular Proverbs & Sayings in Hindi

1. अपना ढेंढर न देखे और दूसरे की फूली निहारे – अपना दोष न देखकर दूसरों का दोष देखना
2. अशर्फी की लूट और कोयले पर छाप – मूल्यवान वस्तुओं को नष्ट करना और तुच्छ को सँजोना
3. आंख का अंधा नाम नयनसुख – गुण के विरुद्ध नाम
4. आग लगाकर जमालो दूर खड़ी – झगड़ा लगाकर अलग हो जाना
5. आधा तीतर आधा बटेर – बेमेल स्थिति
6. आप भला तो जग भला – स्वयं अच्छे तो संसार अच्छा
7. आम का आम गुठली का दाम – सब तरह से लाभ-ही-लाभ
8. इतनी-सी जान, गज भर ही जबान – छोटा होना पर बढ़-बढ़कर बोलना
9. इस हाथ दे, उस हाथ ले – कर्मों का फल शीघ्र पाना
10. ईंट का जवाब पत्थर – दुष्ट के साथ दुष्टता करना
11. उल्टा चोर कोतवाल को डांटे – अपराधी ही पकड़नेवाली को डांट बताये
12. ऊंची दूकान फीका पकवान – बाहर ढकोसला भीतर कुछ नहीं
13. ऊंचे चढ़ के देखा, तो घर-घर एकै लेखा – सभी एक समान
14. ऊंट किस करवट बैठता है – किसकी जीत होती है
15. ऊंट के मुँह में जीरा – मरूरत से बहुत कम
16. ऊधों का लेना न माधो का देना – लटपट से अलग रहना
17. एक तो करेला आप तीता दूजे नीम चढ़ा – बुरे का और बुरे से संग होना
18. एक तो चोरी दूसरे सीनाजोरी – दोष करके न मानना
19. एक पंथ दो काज – एक नहीं, दो लाभ
20. एक म्यान में दो तलवार – एक स्थान पर दो उग्र विचार वाले
21. ओस चाटने से प्यास नहीं बूझती – अधिक कंजूसी से काम नहीं चलता
22. कबीरदास की उलटी बानी, बरसे कंबल भींगे पानी – प्रकृतिविरुद्ध काम
23. कहाँ राजा भोज कहां भोजवा (गंगू) तेली – छोटे का बड़े के साथ मिलान करना
24. कहीं का ईंट कहीं का रोड़ा, भानुमति ने कुनबा जोड़ा – इधर-उधर से सामान जुटाकर काम करना
25. का बर्षा जब कृषि सुखाने – मौका बीत जाने पर कार्य करना व्यर्थ है

यह भी पढ़े : छंद की परिभाषा और इससे संबंधित प्रश्न

26. काठ की हाँड़ी दूसरी बार नहीं चढ़ती – कपट का फल अच्छा नहीं होता
27. काला अक्षर भैंस बराबर – निरा अनपढ़
28. खरी मजूरी चोखा काम – अच्छे मुआवजे में ही अच्छा फल प्राप्त होना
29. खेत खाये गदहा, मार खाये जोलहा – अपराध करे कोई, दण्ड मिले किसी और को
30. खोदा पहाड़ निकली चुहिया – कठिन परिश्रम, थोड़ा लाभ
31. गरजे सो बरसे नहीं – बकवादी कुछ नहीं करता
32. गाछे कटहल, ओठे तेल – काम होने के पहले ही फल पाने की इच्छा
33. गुड़ खाय गुलगुले से परहेज – बनावटी परहेज
34. गुरु गुड़ चेला चीनी – गुरु से शिष्य का ज्यादा काबिल हो जाना
35. गोद में छोरा नगर में ढिंढोरा – पास की वस्तु का दूर जाकर ढूँढ़ना
36. घड़ी में घर जले, नौ घड़ी भद्रा – हानि के समय सुअवसर-कुअवसर पर ध्यान न देना
37. घर का फूस नहीं, नाम धनपत – गुण कुछ नहीं, पर गुणी कहलाना
38. घर की भेदी लंका ढाए – आपस की फूट से हानि होती हे
39. घर की मुर्गी दाल बराबर – घर की वस्तु का कोई आदर नहीं करना
40. घी का लड्डू टेढ़ा भला – लाभदायक वस्तु किसी तरह की क्यों न हो
41. चमड़ी जाय, पर दमड़ी न जाय – महा कंजूस




42. चोर की दाढ़ी में तिनका – जो दोषी होता है वह खुद डरता रहता है
43. ठठेरे-ठठेरे बदलौअल – चालाक को चालक से काम पड़ना
44. तीन कनौजिया, तेरह चूल्हा – जितने आदमी उतने विचार
45. तीन लोक से मथुरा न्यारी – निराला ढंग
46. तुम डाल-डाल तो हम पात-पात – किसी की चाल को खूब समझते हुए चलना
47. तेली का तेल जले और मशालची का सिर दुखे (धाती फाटे) – खर्च किसी का हो और बुरा किसी और को मालू हो
48. थूक कर चाटना ठीक नहीं – देकर लेना ठीक नहीं, बचन-भंग करना, अनुचित
49. दमड़ी की हाँड़ी गयी, कुत्ते की जात पहचानी गयी – मामूली वस्तु में दूसरे की पहचान
50. दुधारु गाय की दो लात भी भली – जिससे लाभ होता हो, उसकी बातें भी सह लेनी चाहिए
51. दूध का जला मट्ठा भी फूँक-फूँक कर पीता है – एक बार धोखा खा जाने पर सावधान हो जाना
52. देशी मुर्गी, विलायती बोल – बेमेल काम करना
53. धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का – निकम्मा, व्यर्थ इधर-उधर डोलनेवाला
54. न देने के नौ बहाने – न देने के बहुत-से बहाने
55. न रहेगा बाँस, न बजेगी बाँसुरी – झगड़े के कारण को नष्ट करना
56. नाच न जाने आँगन टेढ़ा – खुद तो ज्ञान नहीं रखना और सामग्री या दूसरों को दोष देना
57. नाचे कूदे तोड़े तान, ताको दुनिया राखे मान – आडम्बर दिखानेवाला मान पाता है
58. नाम बड़े, पर दर्शन थोड़े – गुण से अधिक बड़ाई
59. नीम हकीम खतरे जान – अयोग्य से हानि
60. नौ की लकड़ी नब्बे खर्च – काम साधारण, खर्च अधिक
61. पंच परमेश्वर – पाँच पंचों की राय
62. पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं – पराधीनता में सुख नहीं
63. पराये धन पर लक्ष्मीनारायण – दूसरे का धन पाकर अधिकार जमाना
64. पानी पीकर जात पूछना – कोई काम कर चुकने के बाद उसके औचित्य पर विचार करना
65. बड़े मियाँ तो बड़े मियाँ, छोटे मिया सुभान अल्लाह – बड़ा तो जैसा है, छोटा उससे बढ़कर है
66. बन्दर क्या जाने अदरक का स्वाद – मूर्ख गुण की कद्र करना नहीं जानता
67. बिल्ली के भाग्य से छींका (सिकहर) टूटा – संयोग अच्छा लग गय
68. बूड़ा वंश कबीर का उपजा पूत कमाल – श्रेष्ठ वंश में बुरे का पैदा होना
69. बेकार से बेगार भली – चुपचाप बैठे रहने की अपेक्षा कुछ काम करना
70. बैल का बैल गया नौ हाथ का पगहा भी गया – बहुत बड़ा घाटा
71. बोये पेड़े बबूल के आम कहाँ से होय – जैसी करनी, वैसी भरनी
72. भइ गति साँप-छछूंदर केरी – दुविधा में पड़ना
73. भागते भूत की लँगोटी ही सही – जाते हुए माल में से जो मिल जाय वही बहुत है
74. भैंस के आगे बीन बजावे, भैंस रही पगुराय – मूर्ख को गुण सिखाना व्यर्थ है
75. मंगनी के बैल के दाँत नहीं देखे जाते – मुफ्त मिली चीज पर तर्क व्यर्
76. मन चंगा तो कठौती में गंगा – हृदय पवित्र तो सब कुछ ठीक
77. मानो तो देव, नहीं तो पत्थर – विश्वास ही फलदायक
78. मियां की दौड़ मस्जिद तक – किसी के कार्यक्षेत्र या विचार शक्ति का सीमित होना
79. मुंह में राम, बगल में छुरी – कपटी
80. मेढ़क को भी जुकाम – ओछे का इतराना
81. मोहरों की लूट, कोयले पर छाप – मूल्यवान वस्तुओं को छोड़कर तुच्छ वस्तुओं पर ध्यान देना
82. रस्सी जल गयी पर ऐंठन न गयी – बुरी हालत में पड़कर भी अभिमान न त्यागना
83. रोजा बख्शाने गये, नमाज लगे पड़ी – लाभ के बदले हानि
84. लश्कर में ऊँट बदनाम – दोष किसी का, बदनामी किसी की
85. लूट में चरखा नफा – मुफ्त में जो हाथ लगे, वही अच्छा
86. सारी रामायण सुन गये, सीता किसकी जाये (जोरू) – सारी बात सुन जाने पर साधारण सी बात का भी ज्ञान न होना
87. हंसा थे सो उड़ गये, कागा भये दीवान – नीच का सम्मान
88. हाथ कांगन को आरसी क्या? – प्रत्यक्ष के लिए प्रमाण क्या
89. हाथी के दाँत दिखाने के और, खाने के और – बोलना कुछ, करना कुछ
90. हाथी चले बाजार, कुत्ता भूँके हजार – उचित कार्य करने में दूसरों की निंदा की परवाह नहीं करनी चाहिए