भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने देश के 25वें संचार उपग्रह को सफलतापूर्वक लांच कर दिया है। श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से गुरूवार को 4.52 बजे इसे तय कार्यक्रम के अनुसार जीएसएलवी डी-6 के जरिये प्रक्षेपित किया गया। इस उपग्रह से जहां टेलीकॉम स्पैक्ट्रम का रियूज बढ़ेगा वहीं सैन्य संचार सेवाओं को भी मजबूती मिलने की संभावना है।
इसरो के अनुसार जी सैट-6 से संचार सेवाओं में व्यापक सुधार होने की संभावना है। यह उपग्रह स्पैक्ट्रम की पुन: इस्तेमाल (रियूज) की क्षमता में इजाफा करेगा। जिसका मतलब यह है कि एक ही स्पैक्ट्रम फ्रीक्वेंसी को एक ही समय में अलग-अलग कार्य के लिए प्रभावी तरीके से इस्तेमाल किया जा सकेगा।
देश में जिस प्रकार से स्पैक्ट्रम की मांग बढ़ रही है और संचार सेवाओं का विस्तार हो रहा है, उसके मद्देनजर इस उपग्रह की भूमिका अहम हो गई है। इस उपग्रह में सैन्य संचार सेवाओं के विस्तार के लिए अलग से सी-बैंड का प्रावधान किया गया है जिसके जरिये सेटेलाइट फोन सेवाओं का विस्तार होगा। इसे सैन्य बल सेटेलाइट फोन आधारित अपने संचार तंत्र को मजबूत कर सकेंगे।
यह इसरो का 25वां संचार उपग्रह है। यदि जीसैट श्रंखला को देखें तो उसमें इसका नंबर 12 है। लेकिन छठे नंबर के इस उपग्रह में देरी के पीछे भी कई कारण रहे हैं। यह उपग्रह अंतरिक्ष-देवास विवाद में नामित था जिसकी वजह से इसके प्रक्षेपण में देरी हुई। लेकिन इस उपग्रह में कई खूबियां हैं। इसमें छह मीटर व्यास का एंटीना लगा है जिससे इसमें लगे पांच स्पॉट बीम को सिग्नल प्राप्त होंगे। उपग्रह का वजन 2117 किग्रा है तथा इसकी लंबाई 49.1 मीटर है।
उपग्रह में एस बैंड रेडियो फ्रीक्वेंसी के साथ सी बैंड भी है। लेकिन इसमें लगे सी बैंड को सिर्फ रक्षा सेवाओं के इस्तेमाल के लिए रखा जाएगा। सी बैंड की फ्रीक्वेंसी ज्यादा प्रभावी होती हैं तथा खराब मौसम में भी राडार या वाईफाई या सेटेलाइट फोन जैसी सेवाओं के लिए उनका इस्तेमाल किया जा सकता है। संभावना है कि सैन्य बलों में सेटेलाइट फोन सेवाओं का इससे विस्तार होगा।
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