मैनेजमेंट कोटा में भी मिलेगा एजुकेशन लोन


धीमी प्रगति से एजुकेशन लोन उपलब्ध कराने से चिंतित सरकार अब इस मामले में बैंकों पर सख्ती से पेश आ रही है। सरकार ने बैंकों को जो नया दिशा-निर्देश भेजा है, उसके मुताबिक बैंक किसी संस्थान में मैनेजमेंट कोटा के अन्तर्गत प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों को अब एजुकेशन लोन देने से इंकार नहीं कर सकते हैं, बशर्ते वह मेधावी हो। अभी तक ऐसे विद्यार्थियों को बैंक एजुकेशन लोन देने से सिर्फ इसलिए इंकार कर देते थे क्योंकि उसने मैनेजमेंट कोटे के अंतर्गत प्रवेश लिया है। यही नहीं, बैंकों को एजुकेशन लोन देने में मानदंड में थोड़ा लचीलापन लाने को भी कहा गया है ताकि अधिक से अधिक विद्यार्थियों को इसका लाभ मिल सके।

केन्द्रीय वित्त मंत्रालय में बैंकिंग डिवीजन के आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक एजुकेशन लोन के बारे में सभी सरकारी बैंकों के अध्यक्ष एवं प्रबंधक निदेशकों के साथ-साथ निजी क्षेत्र के बैंकों को भी कुछ नया निर्देश भेजा गया है। जिसमें कहा गया है कि मैनेजमेंट कोटा में प्रवेश लेने वाले प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को भी एजुकेशन लोन दिया जाए। यही नहीं, किसी बैंक की कोई शाखा नॉन सर्विस एरिया का बहाना बना कर किसी विद्यार्थी को एजुकेशन लोन देने से इंकार नहीं कर सकती है।

एजुकेशन लोन देने में देश भर के बैंक फिसड्डी साबित हुए है। वर्ष 2014-15 के दौरान सरकार ने सभी बैंकों को एजुकेशन लोन के तहत 33,07,682 खाते खोल कर 74,828 करोड़ रुपये उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक आलोच्य अवधि के दौरान 30,39,151 खाते ही खोले जा सके ,जबकि इसके अंतर्गत 72,958 करोड़ रुपये ही उपलब्ध कराए जा सके। एजुकेशन लोन देने में देश के उत्तरी राज्यों दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और राजस्थान तथा मध्य क्षेत्र के राज्यों उत्तर प्रदेश, उत्तराखड, मध्य प्रदेश और चंडीगढ़ की हालत कुछ ज्यादा ही खराब रही।

वर्ष 2014-15 के दौरान उत्तर प्रदेश में 2,66,524 खाते खोलने का लक्ष्य तय किया गया था लेकिन इस दौरान 2,31,658 खाते ही खोले जा सके। इस दौरान उत्तर प्रदेश में 6,386.57 करोड़ रुपये के लक्ष्य के मुकाबले 6,129.43 करोड़ रुपये ही उपलब्ध कराए जा सके। इसी अवधि के दौरान उत्तराखंड के लिए 34,844 खाते का लक्ष्य था जबकि सभी बैंकों ने 30,039 खाते ही खोले। इस अवधि के लिए उत्तराखंड में 905.84 करोड़ रुपये के विरुद्ध 638.25 करोड़ रुपये ही वितरित किए जा सके।

उत्तरी क्षेत्र के राज्यों के लिए इस अवधि के दौरान 2,32,487 खाते खोल कर 6,733 करोड़ रुपये उपलब्ध कराना था लेकिन पूरे वर्ष के दौरान 2,14,960 खातों में 6149.31 करोड़ रुपये ही वितरित किये जा सके।
(साभार : अमर उजाला; 20 जून, 2015)

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