हिन्दी के प्रसिद्ध मुहावरे एवं लोकोक्तियां


'मुहावरा' शब्द अरबी भाषा से लिया गया है। 'मुहावरा' उन वाक्यांशों को कहा जाता है, जो सामान्य अर्थ की जगह विलक्षण अर्थ प्रकट करते हैं। मुहावरों के प्रयोग से भाषा से सहज प्रवाह तथा संगठन आता है।

लोकोक्तियाँ समाज में प्रचलित कथन होते हैं। यह एक पूर्ण वाक्य होता है, इसका प्रयोग एक स्वतन्त्र वाक्य के रूप में ही होता है। 'लोकोक्तियों' को 'कहावतों' के नाम से भी जाना जाता है।

यहां कुछ प्रसिद्ध मुहावरे और उनके अर्थ सहित दिए जा रहे है—
मुहावरे: उनके अर्थ सहित
आँख का काँटा होना – शत्रु होना
आँखों में खून उतरना – अधिक गुस्सा आना
आँखें फेर लेना – उदासीन हो जाना
आँख का तारा – बहुत प्यारा होना
आँख दिखाना – क्रोध करना
आँखों में धूल झोंकना – धोखा देना
आँखों में पानी न होना – शर्म का नहीं होना
अपना-सा मुँह लेकर रहना – लज्जित होना
अपना उल्लू सीधा करना – बेवकूप बनाकर काम निकालना
अपनी खिचड़ी अलग पकाना – अलग-अलग रहना
आग बबूला होना – अधिक क्रोधित होना
आपे से बाहर होना – क्रोधित होना
अपने पैरों पर खड़ा होना – आत्मनिर्भर होना
आठ-आठ आँसू बहाना – पश्चाताप करना
आसन डोलना – विचलित होना
आसमान टूट पड़ना – विपत्ति का आना
आस्तीन का साँप – कपटी मित्र
ईद का चाँद होना – कभी-कभी दिखना
उल्टी गंगा बहाना – उल्टा काम करना
कलेजे का टुकड़ा – बहुत प्यारा
कलेजे पर साँप लोटना – ईर्ष्या होना
कलेजा ठण्डा होना – सन्तोष होना
काँटा दूर होना – बाधा दूर होना
कान लगाना – ध्यान देना
कान भरना – शिकायत करना
खाक में मिलना – बर्बाद होना
खून खौलना – क्रोधित होना
घड़ों पानी पड़ना – लज्जित होना
घाट-घाट का पानी पीना – बहुत अनुभवी होना
घोड़े बेचकर सोना – निश्चिंत होकर सोना
चादर तानकर सोना – निश्चिंत होना
चैन की वंशी बजाना – आनन्दित जीवन व्यतीत करना
छक्के छुड़ना – परास्त करना
छठी का दूध याद आना – बहुत परेशान होना
जमीन-आसमान एक करना – बहुत सारे उपाय करना
जमीन पर पैर न रहना – बहुत घमण्ड करना
जहर का घूँट पीना – क्रोध को दबा जाना
जी नहीं भरना – सन्तोष नहीं आना
जी भर आना – भावुक होना
झक मारना – व्यर्थ समय व्यतीत करना

लोकोक्तियाँ : उनके अर्थ सहित
अधजल गगरी छलकत जाय – अधम व्यक्ति अल्प प्राप्ति पर अहंकार हो जाता है।
अब पछताये होत क्या जब चिड़ियाँ चुग गई खेत – नुकसान के बाद पछताने का क्या फायदा।
आँख का अंधा नाम नयनसुख – नाम के विपरीत गुण होना ।
आम के आम गु​ठलियों को दाम – दोहरा लाभ
उलटा चोर कोतवाल को डाँटे – दोषी होने पर भी धौंस जमाना।
ऊँची दुकान फीका पकवान – केवल बाहरी दिखावा ।
का वर्षा जब कृषि सुखानी – अवसर के बाद सहायता व्यर्थ है।
थोथा चना बाजे घना – अल्पज्ञ बढ़-चढ़कर बोलता है।
अन्त भला तो सब भला – परिणाम अच्छा तो सब अच्छा।
अंधेर नगरी चौपट राजा – लापरवाह राजा के कारा देश तबाह हो जाता है।
अक्ल बड़ी या भैंस – बुद्धि का महत्व अधिक है।
अपने मुँह मियाँ मिट्ठू – अपनी बड़ाई आप करना।
आँख एक नहीं कजरौटा दस-दस – व्यर्थ आडम्बर।
कब्र में पाँव लटकना – मरने का समय।
करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान – प्रयत्न करने से सफलता मिलती है।
काला अक्षर भैंस बराबर – न पढ़ा न लिखा (निरक्षर)।
खेत खाये गदहा, मार खाये जोलहा – दोष किसी का दण्ड किसी को।
एक तो करेला, दूसरे नीम चढ़ा – एक के साथ दूसरा दोष।
खोदा पहाड़ निकली चुहिया – परिश्रम अधिक, लाभ कम।
घर का भेदी लंका ढाहे – आपसी फूट सबसे बड़ी कमजोरी।

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