25,000 करोड़ के रक्षा सौदों को मंजूरी मिली


लंबे समय से अटके पड़े 25,000 करोड़ रुपये के रक्षा सौदों को रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) ने हरी झंडी दिखा दी है। इसके तहत 20 हजार करोड़ रुपए की लागत से सेना के लिए परिवहन विमान खरीदे जाएंगे। इनमें एवरो एयरक्राफ्ट को बदलने का कार्यक्रम, सेना के लिए एम-777 होवित्जर तोपें की खरीद और रूस से हल्की उपयोगिता वाले कामोव-228 हेलीकॉप्टरों का सौदा शामिल है।

रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर की अध्यक्षता में हुई बैठक में निर्णय लिया गया कि वायुसेना के पुराने पड़ चुके एब्रो विमान बेड़े को सी-295 विमानों से बदला जाएगा। इस सौदे के तहत एयरबस -टाटा समूह से 16 विमान खरीदे जाएंगे जबकि शेष 40 विमान मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत देश में ही इस समूह के द्वारा बनाए जाएंगे।

रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार बैठक में रूस के उस प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी गई, जिसमें मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत कामोव का-226टी हेलिकॉटरों का निर्माण किया जाएगा।

इसके अलावा बैठक में भारतीय नौसेना के लिए 2700 करोड़ रुपए की लागत से छह नयी ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल प्रणाली की खरीद और 2900 करोड़ रुपए की लागत से अमेरिका से 145एम 777 हाविट्जर गन की खरीद को भी मंजूरी दी गई है।

यह खरीद सरकार से सरकार पर स्तर की जाएगी। बैठक में दो बोइंग 777-300 विमानों को वीवीआईपी यात्रा विमानों में बदलने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी गई है।

इस समय, भारत के पास आईएनएस विक्रमादित्य और आईएनएस विराट के रूप में दो विमानवाहक पोत हैं। वहीं एक और विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत का कोच्चि शिपयार्ड में निर्माण हो रहा है। इसके 2017-18 तक तैयार हो जाने की उम्मीद है। आईएनएस विराट के इस वर्ष सेवा से हट जाने की संभावना है। ऐसे में भारतीय नौसेना एक ही विमानवाहक पोत पर निर्भर हो जाएगी। भारत आईएसी-2 को इलेक्ट्रोमैग्नेटिक एयरक्राफ्ट सिस्टम और उन्नत प्रणालियों से लैस करने की संभावना तलाश सकता है। डीएसी की मंजूरी के बाद, नौसेना को ब्रहमोस क्रूज मिसाइल की छह अतिरिक्त यूनिट मिलेंगी।

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